आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के चर्चित लोकगीतों (Rajasthan ke Lokgeet) के बारे में पढेंगे ,आप इसे उत्साह से पढ़ें ।
राजस्थान के लोकगीत – Rajasthan ke Lokgeet
Table of Contents
बनङे
बनङी
बधावा
पांवणा
रातिजोगा
माहेरा (भात)
घोङी
दुपट्टा
राजस्थान के लोकगीत
जलो और जलाल
बोल – ’’म्हे तो थारा डेरा निरखण आई ओ, म्हारी जोङी रा जला।।’’
सींठवे
पणिहारी
इण्डोणी
बोल – म्हारी सवा लाख री लूँम गुम गई इण्डोणी।’’
घूमर
कुरजां
Rajasthan ke Lokgeet
पीपली
कागा
बोल – ’’उङ-उङ रे म्हारा ’काळा रे कागला
जद म्हारो पिवजी घर आवै।’’
झोरावा गीत
केसरिया बालम
सूंटिया गीत
सुपणा
हिचकी
औल्यूँ
कोयलङी गीत
चिरमी
तेजा गीत
कलाकी
Rajasthan ke Lokgeet
पवाङा
चौबाली
घुङला
हरजस
हमसीढ़ों
हिंडल्यों
कांगसियों
काजलियों
कामण
कलाली
कूकङी गीत
परणेत
राजस्थान लोकगीत
🔷 पपैया – पपैया एक प्रसिद्ध पक्षी है। इसके माध्यम से एक युवती किसी विवाहित पुरुष को भ्रष्ट करना चाहती है, किन्तु युवक उसको अन्त में यही कहता है कि मेरी स्त्री ही मुझे स्वीकार होगी। अतः इस आदर्श में गीत में पुरूष अन्य स़्त्री से मिलने के लिए मना करता है।
♦️ पंछीङा – हाङौती व ढूंढाङ क्षेत्र में मेलों के अवसर पर अलगोजे, ढोलक व मंजीरे के साथ गाया जाता है।
🔷 सुपियारदे का गीत – इसमें एक त्रिकोणीय प्रेम कथा गीत है।
♦️ सैंजा गीत – इसमें युवतियां श्रेष्ठ वर की कामना के लिए पूजा अर्चना करती हुई गीत गाती है।
🔷 बिणजारा – इस गीत में पत्नी पति को व्यापार हेतु प्रदेश जाने की प्रेरणा देती है। यह प्रश्नोत्तर गीत है।
♦️ बीछूङा – यह हङौती क्षेत्र का गीत है। जिसमें पत्नी को बिच्छु ने डस लिया है और मरने वाली है वो पति से प्रार्थना करती है कि मेरे बच्चों के लिए दूसरा विवाह करवा लेना।
🔷 जच्चा (होलर) गीत – यह गीत पुत्र जन्म के अवसर पर गाया जाता है।
♦️ जीरों – इस गीत में पत्नी अपने पति से जीरा न बोने का अनुरोध करती है।
🔷 रसिया – यह गीत भरतपुर, धौलपुर में गाया जाता है।
♦️ लांगुरिया गीत – करौली क्षेत्र की कुल देवी ’केला देवी’ की आराधना में गाए जाने वाले गीत है।
🔷 लावणी गीत – ये बुलावा गीत है। नायक के द्वारा नायिका को बुलाने के लिए यह गीत गाया जाता है। मोरध्वज सेऊसंमन, भरथरी आदि प्रमुख लावणियां है।
♦️ गोपीचन्द – बंगाल के शासक गोपीचन्द द्वारा अपनी रानियों के साथ किया संवाद गीत है।
🔷 गणगौर का गीत – स्त्रियों द्वारा गणगौर पर गाया जाने वाला गीत है।
♦️ गोरबंद – गोरबन्द ऊँट के गले का आभूषण होता है, जिस पर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों विशेषतः मरूस्थली व शेखावटी क्षेत्रों में लोकप्रिय ’गोरबंद’ गीत प्रचलित है।
Rajasthan ke Lokgeet
🔷 गढ़ गीत – ये गीत राज दरबारों में गाए जाते थे।
♦️ मोरिया – इसमें ऐसी युवती की व्यथा है, जिसका सम्बन्ध तो तय हो चुका है, लेकिन विवाह में देरी है।
🔷 मूमल – मूमल लोद्रवा (जैसलमेर) की राजकुमारी थी। जैसलमेर में गाया जाने वाला शृंगारिक एवं प्रेम गीत है।
♦️ फतमल का गीत – यह गीत हङौती के राव फतमल तथा उसकी प्रेयसी प्रेम गीत है।
🔷 ढोलामारू गीत – यह सिरोही का प्रेम गीत है। इसे ढाढ़ी गाते है।
♦️ चिरमी – भाई व पिता की प्रतिक्षा में नववधू यह गीत चिरमी पौधें को सम्बोधित करके गाती है।
🔷 दारूङी – राजा-महाराजा के महफिलों में गाया जाने वाला गीत।
बोल – दारूङी दाखां री म्हारै छैल भंवर ने थोङी-थोङी दीज्यौ ए।
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