आज के आर्टिकल में हम हस्त रेखा(Hast Rekha Gyan) के हर उस रहस्य को जानेंगे ,जो कि ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है। हस्तरेखा का ज्ञान – हस्त रेखा देखने की विधि -चित्र सहित, Hast Rekha Gyan (Palmistry in Hindi)
Hast Rekha Gyan – हस्त रेखा ज्ञान चित्र सहित
दोस्तो ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत हस्त-रेखा का एक अलग महत्व है। हस्त रेखा को भारतीय ज्योतिष शास्त्र का महत्त्वपूर्ण पार्ट माना गया है। आज के समय हम अक्षर सुनते रहते है कि अमुक व्यक्ति का भाग्य बहुत बड़ा है या अमुक व्यक्ति का भाग्य बुरा है। हस्त रेखाओं का जानकार व्यक्ति हस्त रेखा की सहायता से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओं के बारे में अनुमान लगा सकता है। हमारे हाथ में खींची हुई हर रेखा हमारे भविष्य, वर्तमान तथा भूत से जुड़े रहस्यों को छुपाए हुए होती है। हम भी उत्सुक बने रहते है कि आखिर इन रेखाओं का क्या कनेक्शन होता है हमारे भाग्य के साथ।
आज के आर्टिकल में हम बिल्कुल ही आसान तरीके से हस्त रेखाओं के बारे में जानेंगे।
हमें हस्त रेखा ज्ञान के लिए कुछ बातों का ज्ञान होना आवश्यक है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली में सूर्य से राहु-केतु तक सभी ग्रहों के स्थान अलग-अलग होते हैं। हथेली की इन जगहों को ही पर्वत कहा जाता है।
हथेली के पर्वत
- मंगल पर्वत
- गुरु पर्वत
- शनि पर्वत
- सूर्य पर्वत
- बुध पर्वत
- शुक्र पर्वत
- चंद्र पर्वत
मंगल पर्वत – Mangal Parvat
हथेली में मंगल के दो क्षेत्र पाए जाते हैं – उन्नत मंगल और अवनत मंगल । जीवन रेखा हथेली में जहाँ से शुरु होती है उसके नीचे का क्षेत्र को मंगल क्षेत्र कहते हैं। इस पर्वत को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। जिस जातक में मंगल प्रधान होगा , वह साहसी, निडर तथा शक्तिशाली होता है। अगर मंगल पर्वत पर कोई रेखा हो तो जातक उर्जावान माना जाता है। ऐसे लोग साहसी और पराक्रमी होते है। इस राशि पर अग्नि तत्व का प्रभाव होता है। यदि मंगल पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह हो तो उस व्यक्ति की मृत्यु युद्ध में होती है
गुरु पर्वत – Guru Parvat
गुरु पर्वत तर्जनी उंगली के नीचे स्थित होता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, इस पर्वत से व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता का पता चलता हैं। जिन जातकों की हथेली में गुरु पर्वत उभरा हुआ और सुंदर दिखाई देता है, वे लोग अपने जीवन में शिखर तक पहुंच सकते हैं।
1. अगर गुरु पर्वत पर खड़ी रेखाएं हैं तो ये शुभ फल देती हैं।
2. गुरु पर्वत पर तारे का निशान हो या त्रिशूल का चिह्न दिखाई देता है तो व्यक्ति के अच्छा प्रबन्धक बनने के योग होते है।
3. यदि गुरु पर्वत पर आड़ी/तिरछी रेखाएं या रेखाओं के जाल का निशान हो तो यह अशुभ माना जाता है।
शनि पर्वत – Shani Parvat
हथेली में शनि पर्वत मध्यमा अंगुली के नीचे की ओर होता है। भाग्य रेखा इसी पर्वत पर आकर रूकती है। इसलिए शनि पर्वत का सीधा संबंध भाग्य से माना जाता है।
1. यदि शनि पर्वत पर एक रेखा हो तो व्यक्ति भाग्य का धनी होता है।
2. एक से अधिक रेखाएं हों तो व्यक्ति के जीवन में समस्याएं आती रहती हैं।
3. शनि पर्वत पर अगर बिंदु हो तो अचानक घटनाएं घटित होती हैं।
4. क्रॉस का चिह्न हो तो यह नपुंसकता का प्रतीक है।
5. यदि शनि पर्वत पर गोले का चिह्न हो तो व्यक्ति आजीवन कुंवारा रहता है।
सूर्य पर्वत – Surya Parvat
हथेली पर यह पर्वत अनामिका अंगुली के नीचे के हिस्सों में बने हुए होते हैं। यह सरकारी सेवा के योग को दिखाता है।
1. हथेली पर सूर्य रेखा के मजबूत होने पर नौकरी में आसानी से उच्चपद प्राप्त कर लेते हैं।
2. जिन लोगों का सूर्य पर्वत अंदर धंसा हुआ होता है उनका जीवन परेशानियों भरा होता है।
3. सूर्य क्षेत्र में क्रॉस का चिह्न हो तो व्यक्ति को असफलता मिलती है।
बुध पर्वत – Budh Parvat
हाथ में सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत होता है। बुध पर्वत से किसी भी व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का पता चलता है।
1. जिन जातकों की हथेली में बुध पर्वत पर खड़ी रेखाएं हो, उन्हें घर-परिवार और समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।
2. इस पर्वत पर रेखाओं का जाल अशुभ माना जाता है।
3. बुध पर्वत उभरा हो तो व्यक्ति का मानसिक स्तर काफी ऊँचा होता है।
4. बुध पर्वत बहुत ज्यादा धंसा हुआ दिखाई देता है तो व्यक्ति बुद्धि से संबंधित कार्यों में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है।
5. बुध पर्वत साफ और सुंदर हो तो व्यक्ति सभी सुख प्राप्त करता है।
शुक्र पर्वत – Shukra Parvat
अंगूठे के मूल तथा जीवन रेखा के नीचे वाला भाग शुक्र क्षेत्र या शुक्र पर्वत कहलाता है। जब यह पर्वत अच्छी बनावट का हो तो जातक की कलात्मक एवं भावात्मक प्रवृत्ति की ओर संकेत करता है। सभी कलाकारों, गायकों एवं संगीतज्ञों का शुक्र क्षेत्र प्रमुखता प्राप्त किये होता है। शुक्र पर्वत जब ऊँचा और उभरा होता है तो सकारात्मक और अगर यह छोटा होता है तो नकारात्मक कहा जाता है।
चंद्र पर्वत – Chandra Parvat
हथेलियों में बुध पर्वत के नीचे चन्द्रमा पर्वत होता है। इस पर्वत से व्यक्ति के मन और आर्थिक स्थिति को जाना जा सकता हैं।अगर चंद्र पर्वत सामान्य विकसित हो तो जातक बहुत जल्दी सपनों की दुनिया में ही लाखों कमा लेते हैं। ये हमेशा करोडपति होने के सपने देखतें है। हालांकि ये सपने काल्पनिक ज्यादा होते हैं। इस श्रेणी के व्यक्ति ज्यादा भावुक होते हैं। किसी भी व्यक्ति की हल्की से बात इनको अंदर तक झकझोर देती है। ये लोग निराशावादी होते हैं।
यदि चंद्र पर्वत गोल हो तो जातक राजनीति कार्य से विदेश यात्रा करता है।
हमारे हाथ में महत्त्वपूर्ण रेखाएं जो हमारे भाग्य के साथ जुड़ी हुई है
हाथ की रेखाएं – Hast Rekha
- ह्रदय रेखा (Heart Line)
- भाग्य रेखा (Fate Line)
- मस्तिष्क रेखा (Mind Line)
- संतान रेखा (Child Line)
- विद्या रेखा (Learning Line)
- यात्रा रेखा (Travel Line)
- विवाह रेखा (Marriage Line)
ह्रदय रेखा – Hriday Rekha
हृदय रेखा (Hriday Rekha) निम्न तीन स्थानों से शुरु होती है
- शनि और गुरु पर्वत के मध्य से।
- गुरु पर्वत के केन्द्र से।
- शनि पर्वत के केन्द्र से।
हृदय रेखा 16 प्रकार की होती है – Types of Heart Line
- कुग्रहणी
- कुमारी
- गान्धारी
- वैश्वदेवी
- सेनानित्वप्रदा
- महाराजकरी
- दरिद्रकारी
- रमणी
- वासवराजपददात्री
- चम्पकमाला
- धृती
- जगती
- चपलवदना
- त्रिपदी
- वासवी
- गांधारी
हृदय रेखा के प्रभाव:
ह्रदय रेखा का आरंभ तर्जनी ऊँगली के नीचे हथेली को क्रॉस करता हुआ कनिष्ठा पर समाप्त होता है। ह्रदय रेखा जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के ऊपर हथेली के शीर्ष पर स्थित होती है। इसका आरंभ तीन महत्वपूर्ण स्थानों गुरु पर्वत के मध्य से ,पहली और दूसरी उंगलियों के बीच और शनि पर्वत के मध्य से होता है। यह जातक की विपरीत लिंग के मध्य आकर्षण ,भावनात्मक स्थिरता और मनोवैज्ञानिक सहनशक्ति का विश्लेषण करने के काम आती है।
यदि एक हाथ की ह्रदय रेखा स्पष्ट नहीं है पर दूसरे हाथ में ह्रदय रेखा स्पष्ट है तो वह व्यक्ति प्रेम में असफल होता है।
– ह्रदय रेखा जितनी लंबी हो और गुरु पर्वत पर जितने अंदर से प्रारंभ होती हो तो वो व्यक्ति उतना ही प्रेम में निपुण होगा।
– यदि ह्रदय रेखा की कोई रेखा मस्तिष्क रेखा को काटती है तो परिवार में मानसिक क्लेश होता है।
– अगर ह्रदय रेखा से अगर छोटी-छोटी रेखाएं आकर मस्तिष्क रेखा में मिलती है तो उस व्यक्ति तो सम्पूर्ण जीवन मानसिक परेशानियां से सामना करना होगा।
भाग्य रेखा – Bhagya Rekha
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार भाग्य रेखा हर इंसान के हाथ में नहीं पाई जाती है। जो जातक भाग्यशाली होते है उन्हीं के हाथों में ही भाग्य रेखा पाई जाती है। इस कारण ही इसे भाग्य रेखा कहा जाता है। हाथ की हथेली पर यह रेखा चंद्र पर्वत से आरंभ होती है और वृहस्पति पर्वत पर जाकर समाप्त होती है।
अगर हमें हाथ में धन की रेखा को जानना है तो इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। हस्त ज्योतिष के अनुसार इस धन की रेखा को भाग्य रेखा भी कहा जाता है। माना जाता है कि जिस व्यक्ति के हाथ में यह रेखा है उसे धन के साथ, मान सम्मान और वैभव भी प्राप्त होता है। भाग्य रेखा वाले लोगों की हथेली में ये रेखा होने से, वे जीवन में उच्च पद प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति कुशल बिजनेसमैन, प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता या अभिनेता भी हो सकते हैं।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार भाग्य रेखा जितनी लंबी और दोष रहित होगी, व्यक्ति किस्मत का उतना ही लकी होगा। ऐसे लोग अपार धन दौलत के मालिक होते हैं।
मस्तिष्क रेखा – Mastishk Rekha
मस्तिष्क रेखा हाथ में जीवन रेखा से मिलती हुई निकलती है या फिर जीवन रेखा के पास से निकलती हुई नजर आती है। कई व्यक्तियों में बृहस्पति क्षेत्र से भी यह रेखा निकलती है। मस्तिष्क रेखा से व्यक्ति की मानसिक या बौद्धिक क्षमता का पता लगाया जाता है। हस्त ज्योतिष में यह मन की शक्ति और उसकी क्षमताओं को दर्शाता है।
मस्तिष्क रेखा से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का विचार किया जाता है। कुछ जातकों की मस्तिष्क रेखा बहुत ही बड़ी होती है। ऐसी मस्तिष्क रेखा हथेली के दूसरे सिरे तक पहुंचती है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार ऐसे लोग अपने जीवन में खूब यात्राएं करते हैं।
संतान रेखा – Santan Rekha
संतान रेखा का स्थान छोटी अंगुली/कनिष्ठा की जड़ पर विवाह रेखा के ठीक ऊपर खड़ी रेखाएं संतान रेखा होती है, इसके अलावा अंगूठा वाला क्षेत्र पितृ क्षेत्र कहलाता है क्यों कि अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत होता है जो संतान सम्बंधित जानकारी देता है।
इस रेखा से हम यह अनुमान लगा सकतें है कि आपके कितने बच्चे होंगे, पुत्र-पुत्री के जन्म का विवरण, संतान का माता-पिता प्रति लगाव को दर्शाना,साथ में आपके संतान के स्वास्थ्य के बारे में भी बहुत जानकारी प्रदान करती है।
अगर संतान रेखा मोटी और चौड़ी है तो ये पुत्र प्राप्ति की ओर संकेत करती है। इन रेखाओं को देखकर ये भी जाना जा सकता है कि किसी भी व्यक्ति की संतान कैसी होगी, उनका स्वास्थ कैसा होगा।
यदि संतान रेखा पतली व हल्की है तो ये पुत्री प्राप्ति की ओर संकेत करती है।
विद्या रेखा – Vidhya Rekha
विद्या रेखा का हमारे जीवन में बड़ा महत्व होता है विद्या रेखा से हम यह अनुमान लगा सकतें है कि हम कितना पढ़ पाएंगे। विद्या रेखा का आरंभ हाथ में अनामिका व मध्यमा उंगली के बीच से होता है
जिन जातकों के हाथों में यह रेखा होती है वे जातक चाहे कितने भी गरीब घर से क्यों न हो ,अच्छी शिक्षा प्राप्त करते है। कुछ जातकों के हाथ में विद्या रेखा पर क्रॉस का चिन्ह होता है । ये जातक जीवन में विद्या प्राप्ति में असफल होते है। कुछ जातकों के हाथो में विद्या रेखा नही होती तो उन जातको की विद्या का अनुमान अन्य रेखा अथवा पर्वत के आधार पर किया जाता है
यात्रा रेखा – Yatra Rekha
हस्त रेखा में हथेली पर बनी हर रेखा का अपना विशेष महत्व है। हथेली पर अन्य सभी रेखाओं में यात्रा रेखा एकमात्र रेखा है, जो हथेली के विभिन्न अलग -अलग क्षेत्रों में पाई जा सकती है।
यह एक उभरती हुई रेखा होती है, इसका सही विश्लेषण किया जाना जरुरी है इसलिए रेखा में बदलाव को देखते हुए व विश्लेषण करते समय सावधानी जरूरत रखनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि कोई विदेश यात्रा करता है तो उसका परिवर्तन भाग्य और जीवन रेखा दोनों में दिखाई देगा।
विवाह रेखा – Vivah Rekha
यात्रा रेखा तीन स्थानों पर होती है
1. चन्द्र क्षेत्र पर
2. जीवन रेखा से निकलकर जीवन रेखा के सहारे-सहारे चलने वाली रेखाएँ।
3. मणिबन्ध से प्रारम्भ होकर ऊपर को जाने वाली
विवाह रेखा से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी
➡️ हथेली में विवाह रेखा लंबी, सीधी और स्पष्ट होनी चाहिए। जो विवाह रेखा ह्रदय रेखा के बराबर चलती है वह जातक के लिए अच्छी मानी जाती है।
➡️अगर हथेली पर एक से ज्यादा विवाह रेखा हो तो यह प्रेम प्रसंग का संकेत दिखाता है।
➡️यदि विवाह रेखा में दो शाखाएं निकली हुई हो तो उस जातक की शादी टूटने का डर रहता है।
➡️ अगर विवाह रेखा को कोई रेखा बुध पर्वत पर काट दे तो जातक का वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा हो सकता है।
➡️ विवाह रेखा अगर लम्बी और सूर्य पर्वत तक जाए तो यह संपन्न और समृद्ध जीवन साथी का घोतक होता है।
➡️ अगर किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के पास द्वीप का निशान बना हुआ हो तो विवाह में धोखा होने की संभावनाएं होती हैं।
➡️ विवाह रेखा पर क्रास का निशान शुभ नहीं माना जाता है।
➡️ यह रेखा अगर बीच में टूटी हो तो यह विवाह टूटने का खतरा बना रहता है।
➡️विवाह रेखा पर त्रिशूल का निशान बनने पर पति-पत्नी के बीच काफी प्रेम होता है।
ऐसी रेखाओं वाले लोग होते हैं धनवान
आज के समय में जिसके पास पैसा है ,उसी की वैल्यू है। आज के समय हर कोई पैसे कमाने के लिए पढ़ाई-लिखाई से लेकर हर तरीके से कोशिश करता है जिससे वह ज्यादा से ज्यादा धनार्जन कर सके। आज के समय समाज का दृषिकोण बदल गया है। जिसके पास पैसा नहीं है तो समाज में भी उसका अस्तित्व नगण्य माना जाता है। हस्तरेखा शास्त्र में (Hast Rekha) हाथ की रेखाओं को व्यक्ति के भाग्य व धन से जोड़ कर देखा जाता है। हम भी उत्सुक रहते है कि आखिर क्या कनेक्शन है इन हस्त रेखाओं का धन से।
हर किसी की हथेली में प्रमुख रूप से तीन रेखाएं होती हैं
- जीवन रेखा
- मस्तिष्क रेखा
- हृदय रेखा
वैसे इन रेखाओं में मुख्य रूप से भाग्य रेखा को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। हथेली के बीचो-बीच ऊपर की ओर अनामिका की और जाने वाली वाली रेखा को भाग्य रेखा माना गया है।
हस्तरेखा शास्त्र (Hast Rekha Shastr) के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की हथेली पर जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और भाग्य रेखा के मिलने के स्थान पर M की आकृति बने तो व्यक्ति के धनवान बनने के प्रबल योग माने जाते हैं।
यदि किसी जातक की हथेली पर भाग्य रेखा सूर्य रेखा पर जाकर मिलती है तो ऐसे व्यक्ति को अचानक धन लाभ होने का योग बना रहता है।
अगर किसी के हाथ में भाग्य रेखा मणिबंध से निकलती हुई शनि पर्वत तक सीधी जाती है तो ऐसा व्यक्ति भाग्यवान और धनवान होता है।
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हमनें आपको हस्तरेखा(Hast Rekha)ज्ञान के बारे में विस्तार से बताया ,हम आशा करतें है कि आपने कुछ नया सीखा होगा . नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया जरुर लिखें।
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