आज के आर्टिकल में हम राजस्थान मानवाधिकार आयोग (Rajasthan Manvadhikar Aayog) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
राजस्थान मानवाधिकार आयोग – Rajasthan Manvadhikar Aayog
राज्य मानवाधिकार आयोग एक निगरानी संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य राजस्थान की जनता के लिए मानव अधिकारों का प्रभावी संरक्षण करना है।
- मानव अधिकार शब्द को अधिनियम की धारा 2 (घ) मे पारिभाषित किया गया है।
- जिसमें मानव अधिकारों से अभिप्राय संविधान में उल्लेखित अथवा अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठता से संबंधित अधिकारों से है, जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो ’मानवाधिकार’ कहलाते है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन – 10 अक्टूबर, 1993
- इसका मुख्यालय – नई दिल्ली (प्रथम अध्यक्ष – रंगनाथ मिश्र)
- राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक/वैधानिक निकाय है।
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अध्याय 5 में धारा 21 से 29 के अधीन राज्य मानवाधिकार आयोग का उपबंध किया गया है।
- एच.एल. दत्तू ने राज्य मानवाधिकार आयोग को ’दंतहीन बाघ व कागजी शेर’ की संज्ञा दी है।
- गठन – धारा 21 (1)
⇒ राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21 (1) के तहत 18 जनवरी, 1999 को किया गया तथा आयोग ने विधिवत रूप से अपना कार्य प्रारम्भ मार्च 2000 से किया। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
राज्य मानव अधिकार की संरचना
प्रथम अध्यक्ष – जस्टिस कान्ता कुमारी भटनागर
वर्तमान में अध्यक्ष – जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास, माननीय अध्यक्ष (2021 से)
वर्तमान में सदस्य – श्री महेश गोयल
अध्यक्ष – मुख्यमंत्री
संरचना – धारा 21 (2)
⇒ राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना के समय इसके 1 अध्यक्ष और 4 सदस्यों का प्रावधान किया गया। इसके अलावा इसमें एक सचिव और एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी होता है तथा इसे किसी विभाग के सचिव के बराबर दर्जा प्राप्त होता है।
जिसको 2006 में संरचना संशोधित अधिनियम में घटाकर एक अध्यक्ष और दो सदस्य कर दिए गए।
वर्तमान में एक अध्यक्ष तथा 2 सदस्य, कुल तीन सदस्यीय है।
नोट – 2019 के संविधान संशोधन द्वारा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों को भी शामिल कर लिया गया है। राज्य आयोग के अध्यक्ष या सदस्य की कोई नियुक्ति समिति में किसी रिक्ति के कारण अविधिमान्य नहीं होगी।
सदस्य –
- उच्च न्यायालय का सेवानिवृत या वर्तमान न्यायाधीश/जिला न्यायालय का सेवानिवृत्त या वर्तमान न्यायाधीश।
- जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश जिसे 7 वर्ष का अनुभव हो अथवा ऐसा व्यक्ति जो मानवाधिकारों का विशेषज्ञ हो।
- पदेन सदस्य – महिला (2019 के संशोधन द्वारा जोङा गया)
- धारा 21 (3) – आयोग का एक सचिव होगा, जो आयोग का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा।
- नियुक्ति – धारा 22 (1) आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है।
- चयन समिति – इसमें अध्यक्ष सहित 4 सदस्य होते हैं तथा इसका अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है।
- मुख्यमंत्री (अध्यक्ष)
- विधानसभा अध्यक्ष
- विधानसभा में विपक्ष का नेता
- गृहमंत्री
- जिन राज्यों में द्विसदनात्मक विधान मंडल है, उनमें चयन समिति में छह सदस्य होते हैं।
5. विधान परिषद् का सभापति
6. विधान परिषद् का विपक्ष का नेता
नियुक्ति :
राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर।
कार्यकाल – धारा (24)
- 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।
- नोट – 2019 में हुए संशोधन से पूर्व कार्यकाल 5/70 वर्ष जो भी पहले हो, था।
- अध्यक्ष व सदस्यों को पुनर्नियुक्ति किया जा सकता है।
- नोट – अध्यक्ष व सदस्र्य कार्य मुक्ति के उपरांत राज्य सरकार अथवा भारत सरकार के अधीन किसी भी नियोजन के पात्र नहीं होगे।
- धारा 25 (1) – यदि अध्यक्ष का पद उसकी मृत्यु, पद त्याग अथवा किसी कारण से रिक्त होता है तो राज्यपाल अधिसूचना द्वारा एक सदस्य को अध्यक्ष की नवनियुक्ति होने तक कार्य करने के लिए प्राधिकृत कर सकता है।
- यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हो अथवा अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो तो राज्यपाल किसी सदस्य को अधिसूचना द्वारा अध्यक्ष के कृत्यों का निर्वहन करने के लिए प्राधिकृत कर सकता है।
आयोग के सदस्यों का हटाया जाना – (धारा 23)
- राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को राष्ट्रपति के आदेश से पद से तभी हटाया जा सकता है जब उच्चतम न्यायालय द्वारा जाँच के दौरान कदाचार व अक्षमता सिद्ध हो जाए।
जिसके निम्नलिखित आधार है –
- कदाचार
- अक्षमता
- दिवालिया घोषित होने पर
- विकृचित अपराध के लिए दोषी सिद्ध ठहराया जाए।
- लाभ का पद धारण करने पर
त्यागपत्र
अध्यक्ष व सदस्य अपना त्याग-पत्र राज्यपाल को देते हैं।
नोट – राज्य मानवाधिकार के अध्यक्ष व सदस्यों को हटाने की शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त है।
वेतन भत्ते – (धारा 26)
- इनके वेतन भत्तों का निर्धारण राज्य सरकार करती है।
चार सदस्य – इनकी योग्यताएँ
- उच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश।
- उस राज्य में जिला न्यायाधीश रहा हो।
- दो सदस्य वे होंगे जिन्हें मानवाधिकार के मामलों
वार्षिक प्रतिवेदन – राज्य सरकार को प्रस्तुत करता है।
राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्य
- मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच करना।
- राज्य मानवाधिकार आयोग राज्य सूची व समवर्ती सूची के विषयों पर मानवाधिकार उल्लंघन की जाँच करता है।
- मानवाधिकार क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठनों एवं संस्थानों के प्रयासों को प्रोत्साहित करना।
- यह संस्थान एक सलाहकारी या परामर्श निकाय के रूप में कार्य करता है। इसकी सलाह राज्य सरकार या उसके किसी अधिकारी पर बाधकारी नहीं है, लेकिन सरकार आयोग को यह बताएगी की रिपोर्ट पर क्या कार्यवाही की गई।
- जिला मुख्यालय में ’मानव अधिकार प्रकोष्ठ’ की स्थापना करना।
- किसी न्यायालय में लम्बित मानवाधिकारों के उल्लंघन वाली किसी कार्यवाही में उस न्यायालय की अनुमति से हस्तक्षेप करेगा।
- ये संस्था मानव अधिकार उल्लंघन की जाँच कर सकती है। लेकिन दंड या सजा नहीं दे सकती।
- राज्य के कारागारों व बंदीगृहों (जेलों) की स्थिति का निरीक्षण कर सकते है।
आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर के कार्य –
- आयोग स्वयं की जाँच एजेन्सी रखता है। जिसमें एक सचिव (आई.ए.एस. रैंक) अधिकारी तथा एक पुलिस महानिरीक्षक (आई.जी.पी.) होता है।
- राज्य मानवाधिकार आयोग न्यायालय में लम्बित या विचाराधीन मामले की जाँच न्यायालय से पूर्वानुमति के बिना नहीं कर सकता।
- राज्य मानवाधिकार आयोग सेना, श्रम या औद्योगिक विवादों से संबंधित मामलों की जाँच नहीं करता।
- किसी अन्य आयोग में लंबित मामलों की जाँच नहीं करता।
- आयोग द्वारा एक वर्ष से पुराने मामलों की जाँच नहीं की जाती।
शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया –
- परिवाद की भाषा 8 वीं अनुसूची में शामिल भाषा में होनी चाहिए।
निम्न माध्यम से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है – - फोन काॅल्स, स्वयं उपस्थित होकर पत्र द्वारा, फैक्स द्वारा व तार आदि द्वारा।
आयोग जाँच के दौरान/बाद में निम्न कदम उठा सकता है – - आयोग पीङित व्यक्ति को जिसे आयोग आवश्यक समझे राज्य सरकार अथवा प्राधिकारी से अंतरिम सहायता तत्काल देने की अनुशंषा कर सकता है।
- आयोग उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय से ऐसे निर्देश, आदेश या रीट के लिए अनुरोध कर सकता है।
आयोग की शक्तियाँ –
- राज्य मानवाधिकार आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त है तथा किसी मामले की सुनवाई के लिए राज्य सरकार या अन्य अधीनस्थ प्राधिकारी को निर्देशित कर सकता है।
- जाँच के दौरान आयोग को निम्न शक्तियाँ प्राप्त है –
- दस्तावेज को खोजना व प्रस्तुत करना।
- हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करना।
- साक्षियों के दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन गठित करना।
- साक्षियों को बुलाना, परिक्षित करना एवं शपथ पत्र पर उनकी परीक्षा करना।
महत्वपूर्ण तथ्य –
- राजस्थान मानवाधिकार आयोग की प्रथम अध्यक्ष – कांता भट्टनागर
- राजस्थान मानवाधिकार आयोग की एकमात्र महिला अध्यक्ष – कांता भट्टनागर
- राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के रूप में न्यूनतम कार्यकाल – कांता भट्टनागर।
- राजस्थान मानवाधिकार आयोग के प्रथम कार्यवाहक अध्यक्ष – एच.आर. कुङी।
- राजस्थान मानवाधिकार आयोग के एकमात्र अध्यक्ष जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे – जस्टिस सैय्यद सगीर अहमद
- राजस्थान मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल – पुखराज सीरवी
- राजस्थान मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में न्यूनतम कार्यकाल – नमोनारायण मीणा
- संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक व सामाजिक परिषद ने 1946 में श्रीमती एलोनोर रुजवेल्ट की अध्यक्षता में मानवाधिकारों के प्रारूप की रचना के लिए एक मानवाधिकार आयोग का गठन किया।
- आयोग ने मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा जून, 1948 को स्वीकार किया।
- हर वर्ष 10 दिसम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- मानवाधिकार से वंचित देशों के नागरिकों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1 जनवरी 1995 से सन् 2004 तक मानवाधिकार दशक घोषित किया गया था।
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत् देश में मानवाधिकारियों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन 12 अक्टूबर 1993 में न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता में किया गया। इसका प्रधान कार्यालय दिल्ली में है।
- भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम ’मानव अधिकार अधिनियम 1993’ के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर ’राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ एवं राज्य स्तर पर ’राज्य मानव अधिकार आयोग’ को स्थापित करने की व्यवस्था की गई है। मानवाधिकार शब्द ’मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम’ की धारा 2 (घ) में परिभाषित किया गया है।
- राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग की स्थापना हेतु राज्य सरकार द्वारा 18 जनवरी, 1999 को अधिसूचना जारी की गई।
- आयोग ने मार्च, 2000 से कार्य शुरू कर दिया।
- इसका मुख्य कार्यालय सचिवालय जयपुर में है।
1993 के अधिनियम के अध्याय 5 में राज्य मानव अधिकार आयोग के बारे में प्रावधान किए गए है जो यह हैं –
अध्यक्ष – इसकी योग्यता उच्च न्यायालय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहा हो।
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष | |
नाम | पदावधि |
1. कांता कुमारी भट्टनागर | 23 मार्च, 2000 – 11 अगस्त, 2000 |
2. सैय्यद सगीर अहमद | 16 फरवरी, 2001 से 3 जून, 2004 |
3. नगेन्द्र कुमार जैन | 16 जुलाई, 2005 से 15 जुलाई, 2010 |
4. प्रकाश टाटिया | 11 मार्च, 2016 से 26 नवम्बर, 2019 |
5. गोपाल कृष्ण व्यास | जनवरी 2021 से लगातार |
FAQ –
1. राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना कब हुई?
उत्तर – 18 जनवरी 1999
2. राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय कहाँ है ?
उत्तर – जयपुर
3. राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष कौन है ?
उत्तर – श्री गोपाल कृष्ण व्यास, माननीय अध्यक्ष (2021 से)
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