समान नागरिक संहिता – Uniform Civil Code Kya Hai? || फायदे – नुकसान

आज के आर्टिकल में हम समान नागरिक संहिता (Uniform Civil code meaning in hindi) के बारें में विस्तार से अध्ययन करेंगे। इससे होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जानेंगे।

समान नागरिक संहिता – Uniform Civil Code

Table of Contents

समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता (यू सी सी) क्या है?

समान नागरिक संहिता (यू सी सी) एक सामाजिक मामलों से संबंधित कानून है जो सभी समाज , पंथ , संप्रदाय के लोगों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, और बच्चा गोद लेने इत्यादि मे एक समान लागू होता है।
संविधान के अनुच्छेद 44 कहता है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र मे नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करेगा।

यह अनुच्छेद 44 कहता है कि यू सी सी भारत के पूरे क्षेत्र मे नागरिकों पर लागू होगा , जिसका अर्थ यह है कि अलग अलग राज्यों के पास वह शक्ति नहीं है।

इसको आसान तरीके से समझें  

समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना चाहिए , चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। इस कानून के लागू होने के बाद  सभी धर्मों के लिए शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में एक ही कानून लागू होगा। इसका अर्थ एक निष्पक्ष/धर्म निरपेक्ष कानून है। इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर किसी भी वर्ग विशेष के साथ होने वाले भेदभाव या पक्षपात को खत्म करना है।

अनुच्छेद 44 का उद्देश्य कमजोर समुहों के खिलाफ भेदभाव दूर करना और देश -भर मे विविध सांस्कृतिक समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।

23नवम्बर 1948 को संविधान सभा मे बहस करते समय डा. बाबा साहब अम्बेडकर ने भी कहा था समान नागरिक संहिता(यू सी सी) भारत मे जरुरी है। लेकिन कुछ लोगों के विरोध के कारण इसे स्वैच्छिक कर दिया गया और संविधान के अनुच्छेद 35 के भाग 4 मे राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के साथ जोड़ दिया गया था।

ucc kya hai

समान नागरिक संहिता (यू सी सी) नई बात नहीं है सबसे  पहले 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट मे भी इसकी चर्चा की गई थी । 1930 मे पं. जवाहर लाल नेहरू ने भी समान नागरिक संहिता का समर्थन किया था लेकिन उस समय वे विरोध के भय के कारण अडिग नहीं रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कह चुका है।

कई देशों मे समान नागरिक संहिता (UCC) लागू है –

  • पाकिस्तान
  • बांग्लादेश
  • मलेशिया
  • तुर्की
  • इंडोनेशिया
  • सूडान
  • मिस्र

दुनिया मे कोई ऐसा देश नहीं है जहाँ जाति और धर्म के आधार पर अलग अलग कानून है। लेकिन भारत मे अलग अलग पंथों के मैरेज ऐक्ट है जिसके कारण विवाह, जनसंख्या समेत कई तरह की सामाजिक ताना बाना बिगड़ा हुआ है।
इसलिए समान नागरिक संहिता( Uniform Civil Code )  लागू होना आवश्यक है।अगर भारत की पंथ निरपेक्षता को बरकरार रखनी है तो यू सी सी (UCC) समान नागरिक संहिता लागू करना आवश्यक है।

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का इतिहास

  • भारत में यह विवाद अंग्रेजो के समय  से ही चला आ रहा है। उस समय अंग्रेज मुस्लिम धर्म के निजी कानूनों में बदलाव कर उससे दुश्मनी नहीं चाहते थे।  और आज के समय में विभिन्न महिला आंदोलनों के कारण मुसलमानों के निजी कानूनों में आंशिक  बदलाव हुआ है ।
  • UCC प्रक्रिया की शुरुआत 1882 के हैस्टिंग्स योजना से हुई और इसका अंत शरिअत कानून के लागू होने से हुआ।
  • वर्ष 1941 में हिंदू कानून को संहिताबद्ध करने के लिये बी.एन. राव समिति गठित करने के लिये मजबूर किया।
    इन सिफारिशों के आधार पर हिंदुओं, बौद्धों, जैनों और सिखों के लिये निर्वसीयत उत्तराधिकार से संबंधित कानून को संशोधित एवं संहिताबद्ध करने हेतु वर्ष 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के रूप में एक विधेयक को अपनाया गया।
  • इस समय मुस्लिम, इसाई और पारसी लोगों के लिये अलग-अलग व्यक्तिगत कानून थे।
  • कानून में एकरूपता लाने के लिये विभिन्न न्यायालयों/सुप्रीम कौर्ट ने अक्सर अपने निर्णयों में कहा है कि सरकार को एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास करना चाहिये।
  • शाह बानो मामले (1985) में दिया गया निर्णय भी सर्वविदित है।
  • सरला मुद्गल वाद (1995) भी इस संबंध में काफी चर्चित है, जो कि बहुविवाह के मामलों और इससे संबंधित कानूनों के बीच विवाद से जुड़ा हुआ था।

समान नागरिक संहिता के फायदे :

  • इस कानून के लागू होने पर न्यायपालिका पर दबाव कम होगा और धर्म के कारण वर्षों से पड़े केस जल्दी से निपटा लिए जायेंगे। और ख़ास बात यह भी है कि कोई भी आसानी से धर्म के आधार पर राजनीति नहीं कर पाएगा। जिस प्रकार चुनाव प्रक्रिया के समय राजनीती दल धर्म विशेष का फायदा उठाते है।
  • समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद शादी, तलाक, दहेज, उत्तराधिकार के मामलों में हिंदू, मुसलमान और ईसाइयों सभी पर एक समान कानून ही लागू होगा।
  • UCC लागू होने के बाद देश में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार आएगा। मुस्लिम समाज में तीन शादियां करने की परम्परा टूटेगी और तीन बार तलाक कहने से शादी खत्म नहीं होगी। इस प्रक्रिया पर कोर्ट के नियम लागू होंगे।

समान नागरिक संहिता के नुकसान:

  • भारत एक ऐसा देश है जहां कई धर्मों और संस्कृतियों को मानने वाले लोग रहते हैं। इसी कारण यूसीसी न केवल मुसलमानों को प्रभावित करेगा।
  • हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, यहूदी, पारसी और आदिवासी वर्ग भी इससे प्रभावित होंगे। क्यों कि सभी धर्मों में अलग – अलग  परम्पराएं और कानून है।

मोदी जी के अनुसार

  • हालांकि अभी भारत में शादी, तलाक़, गोद लेने के मामलों में विभिन्न धर्मों  में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून बनें हैं। यूसीसी ( Uniform Civil Code )

आने के बाद भारत में किसी धर्म में लैंगिक झुकाव की परवाह किए बग़ैर सब पर एक ही क़ानून लागू होगा।

  • प्रधानमंत्री ने देश में समान नागरिक संहिता के संदर्भ में बोलते  हुए कहा कि ‘एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम या कानून नहीं हो सकते। ऐसी दोहरी व्यवस्था से  आम आदमी का घर कैसे चल पाएगा ?’
  • पीएम मोदी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा ह कि कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन कुछ दोगले लोग वोट बैंक की राजनीती करना चाहते हैं।”
  • “कुछ लोग मुस्लिम बेटियों के सिर पर ‘ट्रिपल तलाक़’ का  दाग रखना चाहते हैं, ताकि उन्हें उनका शोषण करते रहने की आज़ादी मिल सके।”

क्या बदलाव होंगे

हिन्दू विवाह अधिनियम1955
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम1956
हिन्दू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम1956
शरियत अधिनियम1937
मुस्लिम विवाह अधिनियम1939
मुस्लिम विवाह अधिनियम1979

हिंदू धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अगर UCC का कानून लागु होता है, तो हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) जैसे कानूनों को संशोधित करना होगा।

सिख धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

सिखों की शादी संबंधित कानून 1909 के आनंद विवाह अधिनियम के अंतर्गत आते हैं, लेकिन अगर UCC आता है तो एक सामान्य कानून सभी समुदायों पर लागू होने की संभावना है। ऐसे में आनंद विवाह अधिनियम भी खत्म हो सकता है।

मुस्लिम धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

मुस्लिम पर्सनल (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 में कहा गया है कि शरीयत या इस्लामी कानून के तहत शादी, तलाक और भरण-पोषण कानून लागू होगा। लेकिन अगर UCC(Uniform Civil Code) आता है, तो शरीयत कानून के तहत विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी और बहुविवाह,तलाक जैसी प्रथाओं  में काफी बदलाव आयेंगे।

ईसाई धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

UCC आने से विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार संबंधित व्यक्तिगत कानून प्रभावित होंगे। ईसाई तलाक अधिनियम 1869 की धारा 10A(1) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन देने से पहले पति-पत्नी को कम से कम दो साल तक अलग रहना अनिवार्य है। लेकिन UCC आने के बाद ये खत्म हो जाएगा।

निष्कर्ष – Conclusion

आज के आर्टिकल में हमनें समान नागरिक संहिता (यू सी सी) के बारें में विस्त्तार से पढ़ा। इससे होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जाना। आप भी इस कानून के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरुर देवें।

FAQ

1. यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

उत्तर – समान नागरिक संहिता (यू सी सी) एक सामाजिक मामलों से संबंधित कानून है जो सभी समाज , पंथ , संप्रदाय के लोगों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, और बच्चा गोद लेने इत्यादि मे एक समान लागू होता है। संविधान के अनुच्छेद 44 कहता है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र मे नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करेगा।


2. समान नागरिक संहिता से क्या लाभ है?

उत्तर – हर धर्म के लोगो को एक समान  कानून मिलेगा , जिससे हर वर्ग का विकास होगा।


3. समान सिविल संहिता क्या है

उत्तर – समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना चाहिए , चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। इस कानून के लागू होने के बाद  सभी धर्मों के लिए शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में एक ही कानून लागू होगा।


4. भारत में समान नागरिक संहिता क्यों लागू नहीं की जाती है?

उत्तर –  कुछ दलों के लोग यह नहीं चाहते, क्योंकि वे चुनावों में वोट बैंक का फायदा लेते है ।


5. यूनिफॉर्म सिविल कोड कब लागू हुआ?

उत्तर – 1867 में , गोवा में।


6. क्या भारत में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए?

उत्तर – बिल्कुल, इसे जल्द भारत में लागू किया जाना चाहिए ।


7. समान नागरिक संहिता कितने राज्यों में है?

उत्तर  – गोवा (1867), उत्तराखंड।


8. समान नागरिक संहिता का विरोध क्यों?

उत्तर – समान नागरिक संहिता का विरोध इसलिए हो रहा है कि कुछ लोगो का मानना है कि इस कानून के लागू होने से सभी धर्मों पर हिंदू कानूनों को लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत अनुच्छेद 25 में मिले अधिकारों का उल्लंघन होगा। क्योंकि हमारा संविधान हमें अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

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