आज के आर्टिकल में हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) की पूरी जानकारी अच्छे से पढेंगे और इसमें जो बदलाव हुए है उनके बारे में भी चर्चा करेंगे ।
सबसे पहले हम सरल भाषा में इसे समझेंगे ,फिर हम इस नीति को विस्तार से जानेंगे ।
आपको यह जानकारी हो गई होगी कि नई नीति के तहत शिक्षा को लेकर मानव विकास मंत्रालय जो अब शिक्षा मंत्रालय हो गया है। इसके द्वारा नई शिक्षा नीति जारी की गई है । नई शिक्षा नीति सरकार की प्राथमिकता में थी।
प्राथमिकता में कैसे थी ?
मतलब 2014 में चुनाव हुए तब मौजूदा सरकार के मन में था की हम नई शिक्षा नीति लेकर आएं, क्योंकि उनका मानना था कि हमें देश में बहुत बङे बदलाव करने है, देश का बहुत बङे स्तर पर विकास करना है, देश को अग्रणी देशों में लाकर खङा करना है। इसलिए उन्होंने विचार किया कि देश की शिक्षा नीति को बदल दिया जाए। उनका मानना था कि यदि शिक्षा पद्धति को बदल देगें तो हमारे देश का भविष्य और भी ज्यादा उज्जवल हो जाएगा। युवाओं का भविष्य सुनहरा होगा ।
हमने ऐसी शिक्षा नीति निर्मित करने की कोशिश की है जो हमारी समझ में शैक्षिक परिदृश्य को परिवर्तित कर देगी ताकि हम युवाओं को वर्तमान और भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर सके। यह एक ऐसी यात्रा रही है जिसमें हर सदस्य ने वैयक्तिक और सामूहिक रूप से हमारे देश के व्यापक शैक्षिक परिदृश्य के विभिन्न आयाम को शामिल करने की कोशिश की है। यह नीति सभी की पहुंच, क्षमता, गुणवत्ता, वहनीयता एवं जवाबदेही जैसे मार्गदर्शी उद्देश्यों पर आधारित है। पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक हमने इस क्षेत्र को एक अविछिन्न निरंतरता में देखा है और साथ ही व्यापक परिदृश्य इससे जुङे अन्य क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया है।
-के. कस्तूरीरंगन पूर्व प्रमुख, इसरो तथा शिक्षा नीति कमेटी के अध्यक्ष
नई शिक्षा नीति 2020 – National Education Policy 2019- 2020
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नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर एक अध्यादेश आया है अर्थात् एक बिल आया है। इसका नाम नेशनल हायर एज्यूकेशन बिल। इसे केबिनेट की मंजूरी प्राप्त हुई है। यह शिक्षा नीति से जुङा हुआ बिल है। अब यह बिल ससंद में जाएगा, ससंद से पास होगा और फिर लागू हो जाएगा। इस बिल को केबिनेट की मंजूरी प्राप्त हुई है और यह बहुत चर्चा में है।
1986 में राजीव गांधी की सरकार थी और उस समय 1986 शिक्षा नीति से लेकर अब 2020 में नई शिक्षा नीति लागू हुई है। यानी 34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति लागू हुई है।
2015 में पूर्व केबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में 5 सदस्य कमेटी बनाई गई थी। पहली कमेटी 2015 में बनाई गई थी, इसका कार्य नई शिक्षा नीति को लेकर एक मसौदा बनाना था । परन्तु यह मसौदा सरकार के द्वारा स्वीकार नहीं किया गया।
दूसरी कमेटी 2016 में बनाई गई। यह कमेटी एक अन्तरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरी रंगन ने बनाई। के. कस्तूरी रंगन द्वारा जो मसौदा बनाया गया उसे 31 मई 2019 को सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया। यह मसौदा 29 जुलाई 2020 को लागू कर दिया गया।
महत्वपूर्ण बिंदु – National Education Policy 2020
इसका नाम मानव विकास मंत्रालय से बदल कर शिक्षा मंत्रालय रख दिया गया है ।
इस शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है।
पहले पांच में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज कहा गया है। बच्चे के मन में शिक्षा के प्रति रूचि पैदा करना इसका उद्देश्य होता है। इसमें बच्चे की नींव मजबूत की जाती है। इसके तहत बच्चे को खेलकूद जैसी गतिविधियों के साथ पढ़ाई कराई जाएगी।
अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इस स्टेज पर बच्चे को गणित, विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान आदि विषयों से परिचित करवाया जाएगा।
अगले तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) कहा गया है। इस चरण में बच्चे को एप बनाना, साॅफ्टवेयर बनाना, कोडिंग करना आदि काम करवाये जाएंगे जो चीन जैसे देशों मे होता है। शिक्षा के दो उद्देश्य होते है एक तो व्यक्तित्व का निर्माण करना और दूसरा रोजगार की प्राप्ति।
हमारे देश में शिक्षा रोजगारपरक नहीं है। इसलिए नई शिक्षा नीति के तहत हमें शिक्षा को रोजगारपरक बनाना होगा।
अगले 4 वर्ष माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) में छात्रों में गहरी सोच विकसित करने का प्रयत्न किया जाएगा। छात्रों की विश्लेषण क्षमता में काम करने का प्रयास किया जाएगा। इसमें बच्चे का सर्वांगीण विकास किया जाएगा।
5+3+3+4 क्या है ?
स्कूल पाठ्यक्रम के 10+2 के ढांचे की जगह 5+3+3+4 का नया पाठ्यक्रम ढांचा लागू होगा।
यह ढांचा उम्र के अनुसार होगा-
- 3 से 8 वर्ष
- 8 से 11 वर्ष
- 11 से 14 वर्ष
- 14 से 18 वर्ष
इस पूरे फाॅर्मेट को समझने के लिए हम इसे चार भागों में बांट सकते है।
1. फाॅउन्डेशन स्टेज
- इसमें 3 से 8 वर्ष तक के बच्चे होंगे।
- पहले 3 वर्ष तक बच्चे आंगनबाङी एवं प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे।
- अगले 2 वर्ष स्कूल में कक्षा 1 व 2 में पढ़ेंगे।
2. प्रीपेटरी स्टेज
- इसमें 8 से 11 वर्ष तक के बच्चे होंगे।
- इसमें कक्षा 3 से 5 तक की शिक्षा ग्रहण करेंगे।
3. मिडिल स्टेज
- इसमें 11 से 14 वर्ष के बच्चे होंगे।
- इसमें कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा ग्रहण करेंगे।
4. सैकेण्डरी स्टेज
- इसमें 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे होंगे।
- इसमें कक्षा 9 से 12 तक की शिक्षा ग्रहण करेंगे।
महत्वपूर्ण बिंदु (National Education Policy 2020)
इस चरण में कला वर्ग और साइंस वर्ग के छात्रों में कोई अंतर नहीं किया जाएगा। कला वर्ग का विद्यार्थी साइंस वर्ग के विषयों को भी पढ़ सकता है।
कक्षा 12 के बाद बहुस्तरीय प्रवेश व विकासी प्रणाली विकसित की गई है। मल्टिपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी। नए सिस्टम में ये रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी। 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर एम. ए. और उसके बाद बिना एम. फिल के सीधे पी. एच. डी. कर सकते है।
सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा मानक समान रहेंगे। जैसे पिछले वर्षों में कोई भी एग्जाम के लिए अलग-अलग सिलेबस बनाए जाते थे परन्तु अब ऐसा नहीं होगा । अब सम्पूर्ण देश के लिए एक सिलेबस लागू किया जाएगा। इसमें नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना होगी जिससे रिसर्च को बढावा मिलेगा।
5वीं कक्षा तक पढ़ाई मातृभाषा में होगी-
दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्रीय भाषा में ही होगी। यानि अंग्रेजी में पढ़ाई की अनिवार्यता यहीं समाप्त हो जाएगी। उदाहरण के लिए अगर आप 5 वीं कक्षा तक अपने बच्चे को मराठी, संस्कृत या गुजराती भाषा में पढ़ना चाहते है तो आप ऐसा कर सकते है। अंग्रेजी अब सिर्फ एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही स्कूलों का जबरन अंग्रेजीकरण का दौर अब समाप्त हो जाएगा।
छठी कक्षा से बच्चे को कम्प्यूटर कोडिंग सीखने का मौका मिलेगा। इससे भारत के छात्र भी चीन जैसे देशों की तर्ज पर छोटी उम्र में ही साॅफ्टवेयर बनाने का भी मौका मिलेगा। अगर किसी छात्र की किसी विषय में रूचि है ओर वो उसकी प्रेक्टिकल जानकारी हासिल कर सकता है। अगर कोई बच्चा पेंटिग करने का शौक रखता है तो वो किसी पेंटर के पास इंटरशीप के लिए जा सकता है।
सालाना के बजाय अब सेमेस्टर आधारित होगी परीक्षाएं-
9वीं कक्षा से 12 वीं कक्षा तक की परीक्षाएं अब सेमेस्टर आधारित होगी। वर्ष में दो सेमेस्टर होगें और हर 6 महीने पर एक परीक्षा होगी और दोनों सेमेस्टरर्स के अंक जोङकर आपकी अन्तिम अंकतालिका तैयार की जाएगी। इसका मतलब यह हुआ कि अब तक छात्र के तौर पर आपको पूरे वर्ष पढ़ाई करनी होगी और आप ये कहकर नहीं बच पाएंगे कि आप सिर्फ फाइनल एग्जाम की तैयार करना चाहते है।
बोर्ड एग्जाम को बनाया जाएगा आसान-
बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा और इसमे छात्रों की क्षमता पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। ट्यूशन और कोंचिग क्लास के जरिए रट्टा लगवाने की आदत को समाप्त कर दिया जाएगा। बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को अब उनकी पंसद की भाषा में परीक्षा देने की छूट होगी। उदाहरण के लिए अगर आप चाहें तो हिन्दी या अंग्रेजी में से किसी एक भाषा में परीक्षा दे सकते है।
रिपोर्ट कार्ड में शिक्षणेतर गतिविधियों के भी अंक जुङेंगें-
रिपोर्ट कार्ड को भी अब पहले की तरह तैयार नहीं किया जाएगा। किसी छात्र को अंक देते समय उसके व्यवहार, मानसिक क्षमताओं का भी ध्यान रखा जाएगा। विषय पढ़ाने वाले शिक्षक भी छात्र को अंक देंगे और छात्रों के सहपाठी भी उनका आंकलन करेंगे।
काॅमन एप्टीट्यूड टेस्ट से भी मिल सकेगा काॅलेजों में दाखिला-
काॅलेज में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए भी इस शिक्षा नीति में बहुत सारे बदलाव किए गए है। अब छात्र काॅलेज में एडमिशन के लिए काॅमन एप्टीट्यूड टेस्ट दे पाएंगे। इसका अर्थ ये है कि 12वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम में आपके नंबर्स इतने नहीं आए है किा आपको कट आॅफ के आधार पर सीधे काॅलेज में एडमिशन मिल पाए तो आप काॅमन एप्टीट्यूड टेस्ट दे सकते है। इस टेस्ट में आपके प्रदर्शन को आपके 12 वीं कक्षा के नतीजों के साथ जोङ दिया जाएगा। उसके आधार पर आपको एडमिशन मिल जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की नई बातें –
- नई शिक्षा नीति में अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर जोर दिया गया है। अब हायर एजुकेशन में वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा।
- पाठ्यक्रम में भारतीय पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019-20 को भारतीय लोगों, उनकी परम्पराओं,संस्कृतियों और भाषाओँ की विविधता को ध्यान में रखते हुए तेज़ी से बदलते समाज की ज़रूरतों के आधार पर तैयार किया गया है।
- आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।
- अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का ढांचा भी बदला जाएगा।
- अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
- इस शिक्षा नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।
- नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।
अब हम इस नीति को विस्तार से पढ़ेंगें ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मुख्य विशेषताएँ
स्कूल शिक्षा
2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण
- आंगनवाङियों को मजबूत बनाना।
- नए प्री-स्कूल खोलना।
- प्राथमिक शिक्षा के साथ लिंक।
- मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का विस्तार।
2025 तक सभी के लिए मूलभूत साक्षरता/संख्यात्मकता
- भाषा/गणित – गुणवता शिक्षण सामग्री पर ध्यान।
- नेशनल टयूटर कार्यक्रम।
- स्कूल की तैयारी माॅड्यल।
- उपचारात्मक निर्देशात्मक सहायता कार्यक्रम।
- शिक्षक छात्र अनुपात 1ः30 से कम हो।
नई पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना
- 5 + 3 + 3 + 4 डिजाइन (उम्र 3-18)।
- मूलभूत चरण (पूर्व-प्राथमिक और ग्रेड 1-2)।
- प्रारंभिक चरण (ग्रेड 3-5)।
- मध्य चरण (ग्रेड 6-8)।
- माध्यमिक चरण (ग्रेड 9-12)।
- केवल शैक्षिक पुनर्संरचना, स्कूलों की कोई भौतिक पुनर्संरचना नहीं।
पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र का परिवर्तन
- भाषा दक्षता, वैज्ञानिक स्वभाव, सौंदर्य बोध, नैतिक तर्कख् डिजिटल साक्षरता, भारत का ज्ञान, सामयिकी का विकास करना।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा को सभी भाषाओं में संशोधित किया जाएगा।
- भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाली नई पाठ्यपुस्तकें।
- लचीला/एकीकृत पाठ्यक्रम और मूल्यांकन।
देश के हर बच्चे के लिए समान और समावेशी शिक्षा
- कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों (URGS) पर विशेष ध्यान
- लिंग (महिला और ट्रांसजेंडर),
- सामाजिक-सांस्कृतिक (अ.जा.,अ.ज.जा., अ.पि.व., मुस्लिम, प्रवासी समुदाय),
- विशेष आवश्यकताएं (सीखने और शारीरिक अक्षमता), और
- सामाजिक-आर्थिक स्थिति (शहरी गरीब)
- मुस्लिमों और अन्य शैक्षणिक रूप से अल्पसंख्यकों को प्रोत्साहित करने के लिए हस्तक्षेप।
रणनीतियाँ
- वंचित क्षेत्रों में विशेष शिक्षा जोन।
- राष्ट्रीय छात्रवृत्ति कोष।
- लक्षित जिलों को वित्त पोषण और सहायता प्रदान करना।
- यूआरजी शिक्षक भर्ती।
- 25: 1 शिष्य-शिक्षक अनुपात।
- समावेशी स्कूल वातावरण और पाठ्यक्रम।
- मदरसों, गुरुकुल, पाठशालाओं, को अपनी परंपराओं को संरक्षित करने और NCF को सिखाने और एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
- शहरी गरीबों पर ध्यान देना।
यूनिवर्सल एर्क्सस एड रिर्टशन
2030 तक सभी स्कूल शिक्षा के लिए 100% सकल नामांकन अनुपात
- मौजूदा स्कूलों में प्रवेश में वृद्धि।
- रेखांकित स्थानों में नई सुविधाएँ।
- परिवहन और छात्रावास सुविधाओं द्वारा समर्थित स्कूल युक्तिकरण।
- उपस्थिति, ड्राॅप आउट, स्कूल के बहार के बच्चों और सीखने के परिणामों पर नजर रखना।
- दीर्घकाल तक स्कूल न जाने वाले किशोरों के लिए कार्यक्रम।
- सीखने के लिए कई रास्ते – औपचारिक और गैर-औपचारिक मोड, ओपन स्कूलिंग, प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों को मजबूत करना।
- शिक्षा का अधिकार ग्रेड 12 तक बढ़ाया जाए।
भाषा
बच्चे 2-8 वर्षों के बीच सबसे जल्दी भाषा सीखते हैं, और बहुभाषावाद के छात्रों के लिए महान संज्ञानात्मक लाभ हैं-
- शिक्षा के माध्यम के रूप में घरेलू भाषा/मातृभाषा।
- प्री-स्कूल और ग्रेड 1 से छात्रों को तीन या अधिक भाषाओं के लिए एक्सपोजर।
- तीन-भाषा सूत्र में लचीलापन: छात्र ग्रेड 6 या 7 में तीन भाषाओं में से एक या एक से अधिक बदल सकते हैं।
- केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बङी संख्या में क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों की भर्ती करना।
- माध्यमिक विद्यालय के दौरान वैकल्पिक के रूप में विदेशी भाषा का चुनाव।
- संस्कृत को वैकल्पिक भाषाओं में एक के रूप में पेश किया जा सकता है।
- स्कूलों में तमिल, तेलुगू, कन्नङ, मलयालम, ओडिया, पाली, फारसी, और प्राकृत सहित अन्य शास्त्रीय भााषाओं और साहित्य का शिक्षण।
स्कूल परिसर
- स्कूल परिसर स्कूल प्रशासन की न्यूनतम व्यवहार्य इकाई है।
- एक सन्निहित भूगोल के भीतर लगभग 30 पब्लिक स्कूलों का क्लस्टर।
- एक माध्यमिक विद्यालय और पङौस के अन्य पब्लिक स्कूलों का संकलन करता है।
स्कूल परिसर क्यों
- प्रभावी प्रशासन-स्कूलों का कोई भौतिक स्थानांतरण नहीं।
- संसाधनों को साझा करना: प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, खेल सुविधाएँ।
- शिक्षकों, परामर्शदाताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को साझा करना।
- एक साथ काम करने के लिए शिक्षकों का समुदाय।
- स्वामित्व लेने के लिए स्कूल प्रबंधन समितियाँ।
स्कूल शिक्षा का विनियमन
- हितों के टकराव को खत्म करने के लिए अलग-अलग निकार्यों द्वारा स्कूलों का विनियमन और संचालन।
- नया स्वतंत्र राज्य विद्यालय नियामक प्राधिकरण (SSRA) – बनाया जाना है।
- स्कूल शिक्षा निदेशालय – पब्लिक स्कूल प्रणाली का संचालन।
- एससीईआरटी- सभी शैक्षणिक मामलों का नेतृत्व करते हैं।
- राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण जारी रखना – राज्य द्वारा जनगणना आधारित राज्य मूल्यांकन सर्वेक्षण जारी रखना।
- सार्वजनिक और निजी स्कूलों का एक ही मापदंड, बेंचमार्क और प्रक्रियाओं पर विनियमन।
शिक्षक: परिवर्तन का पथप्रदर्शक
2022 तक पैरा-शिक्षकों की प्रथा को समाप्त करना।
- पर्याप्त भौतिक अवसंरचना, शिक्षण संसाधन, पीटीआर।
- पुनः डिजाइन किया गया शिक्षक पात्रता परीक्षा, साक्षात्कार और प्रदर्शन।
- शिक्षकों को जिले में भर्ती किया गया और स्कूल परिसर में नियुक्त किया गया।
- शिक्षक कैरियर विकास: शैक्षिक प्रवेश या शिक्षक शिक्षा।
- शिक्षक का निरंतर व्यावसायिक विकास।
- लचीला और माॅड्यूलर दृष्टिकोण।
- पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण का कोई केंद्रीकृत निर्धारण नहीं।
- भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री।
- कायाकल्प शैक्षिक सहायता संस्थान।
सक्रिय, संलग्न और सक्षम संकाय
- हर संस्थान में पर्याप्त संकाय।
- तदर्थ, संविदा नियुक्तियों पर रो।
- अकादमिक विशेषज्ञता, शिक्षण क्षमताओं, सार्वजनिक सेवा के लिए प्रस्तावों पर आधारित संकाय भर्ती।
- स्थायी रोजगार (कार्यकाल) ट्रैक प्रणाली।
- सतत संकाय पेशेवर विकास।
- संकाय भर्ती, कैरियर की प्रगति: संस्थागत विकास योजना का हिस्सा।
- अकादमिक स्वंतत्रता के साथ संकाय को पाठ्यक्रम बनाने, अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाया गया है।
उच्चतर शिक्षा
संस्थागत पुनर्गंठन और समेकन
लगभग 15,000 बङे, बहु-विषयक संस्थानों में 800 विश्वविद्यालयों और 40,000 काॅलेजों का एकीकरण।
तीन प्रकार के HEI:
1. अनुसंधान विश्वविद्यालय – अनुसंधान और शिक्षण (150-300सं.) पर समान ध्यान केंद्रित।
2. शिक्षण विश्वविद्यालय – अनुसंधान के साथ शिक्षण पर प्राथमिक ध्यान (1000-2000 सं.)।
3. स्वायत्त डिग्री देने वाले काॅलेज – शिक्षण पर विशेष ध्यान (5,000-10,000 सं.)।
- सभी HEI, विषयों और क्षेत्रों में शिक्षण कार्यक्रमों के साथ, बहु-विषयक संस्थान बनने के लिए।
- वंचित भौगोलिक क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों को प्राथमिकता।
- पर्याप्त सार्वजनिक निवेश।
- मिशन नालंदा (MN) और मिशन तक्षशिला (MT)।
- MN : समान क्षेत्रीय वितरण के साथ 2030 तक कम से कम 100 टाइप 1 और 500 टाइप 2 HEI कार्य करते हैं।
- MT : 2030 तक हर जिले में कम से कम एक उच्च गुणवत्ता वाले HEI की स्थापना करना।
उच्च गुणवत्ता की उदार शिक्षा की ओर
व्यापक बहुसांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ उदार शिक्षा
- कई विकास विकल्पों के साथ 3-4 साल की स्नातक की डिग्री।
- 4 साल का कार्यक्रम – उदार कला/शिक्षा के स्नातक – मेजर और माइनर्स।
- 3-वर्षीय कार्यक्रम – स्नातक की डिग्री।
- 2 साल के उन्नत डिप्लोमा या 1 साल के प्रमाण पत्र के साथ विकास।
- 3 और 4 दोनों साल के कार्यक्रम – अनुसंधान कार्य के साथ ऑनर्स की डिग्री।
- लचीली मास्टर्स डिग्री प्रोग्राम।
- 3 साल स्नातक की डिग्री वाले लोगों के लिए 2 साल।
- ऑनर्स उपाधि के साथ 4 साल की स्नातक डिग्री वालों के लिए 1 वर्ष।
- 5 साल का एकीकृत कार्यक्रम।
- कल्पनाशील और लचीली पाठय संरचना।
- अध्ययन के विषयों का रचनात्मक संयोजन।
- एकाधिक विकास और प्रवेश बिंदु।
- स्नातकोत्तर और डाॅक्टरेट शिक्षा अनुसंधान आधारित विशेषज्ञता प्रदान करते हैं।
उच्च शिक्षा: शासन और विनियमन
- मानक सेटिंग, वित्त पोषण, मान्यता और विनियमन स्वंतत्र निकाय।
- ’हल्का किन्तु घाना’ (लाइट बट टाइट) विनियमन।
- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक प्राधिकरण (NHERA)।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग – उच्च शिक्षा अनुदान परिषद् में परिवर्तित।
- व्यावसायिक मानक सेटिंग बाॅडीज (PSSBS) – पेशेवर अभ्यास और शिक्षा के लिए मानकों को निर्धारित करें।
- सामान्य शिक्षा परिषद – राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क का विकास।
- नियमन के लिए आधार के रूप में प्रत्यायन – NAAC- प्रत्यायन और पारिस्थितिकी तंत्र का विकास।
- उच्च शिक्षा के राज्य विभाग – नीति स्तर पर शामिल।
- उच्च शिक्षा की राज्य परिषद – सहकर्मी सहायता और सर्वोत्तम अभ्यास साझा करने की सुविधा।
- सार्वजनिक और निजी संस्थानों के लिए सामान्य नियामक शासन।
- निजी परोपकारी पहल को प्रोत्साहन।
उच्च शिक्षा में स्वायत्तता
- सभी उच्च शिक्षा संस्थान स्वायत्त स्वशासी संस्थाएं बनें।
- उच्च शिक्षा संस्थानों को स्वतंत्र समितियों द्वारा पूर्ण शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वायत्तता के साथ शासित किया जाना है।
- बाहरी हस्तक्षेप समाप्त करना।
- संस्थागत प्रतिबद्धता के साथ उच्च क्षमता वाले व्यक्तियों को कार्यनियोजित करना।
- कार्यक्रम शुरू करने और चलाने के लिए पाठ्यक्रम, छात्र की क्षमता और संसाधनों की आवश्यकता निर्धारित करना, शासन और लोगों के प्रबंधन के लिए आंतरिक प्रणाली विकसित करना।
- संबद्धता – संबद्ध महाविद्यालयों को उपाधि देने वाले स्वायत्त महाविद्यालयों के रूप में विकसित करना।
- संबद्ध विश्वविद्यालय एक जीवंत बहुविषयक संस्थान के रूप में विकसित होंगे।
अध्यापक/ व्यावसायिक शिक्षा को उच्च शिक्षा में एकीकृत करना
अध्यापक की शिक्षा
- बहु-विषयक संस्थानों में 4-वर्षीय एकीकृत शिक्षा स्नातक
- वर्तमान दो वर्षीय बी.एड. पाठ्यक्रम 2030 तक जारी रहें
- 2030 के बाद केवल 4-4 वर्ष के शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम चलाने वाले संस्थान 2-वर्षीय कार्यक्रम चला सकते हैं
- घटिया और निष्क्रिय शिक्षक संस्थान बंद किये जाएं
व्यावसायिक शिक्षा
- उच्च शिक्षा प्रणाली के एक अभिन्न अंग के रूप में व्यावसायिक शिक्षा
- स्वचलित (स्टैंड-अलोन) तकनीकी विश्वविद्यालयों , स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, विधि और कृषि विश्वविद्यालयों, या इन क्षेत्रों अथवा अन्य में भविष्य में संस्थान स्थापित नहीं किया जाएंगे और यदि आवश्यक हो, तो बंद भी कर दिया जाएगा।
- व्यावसायिक या सामान्य शिक्षा प्रदान करने वाले सभी संस्थानों को 2030 तक दोनों पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थानों के रूप में व्यवस्थित रूप से विकसित होने चाहिए।
इष्टतम शिक्षण वातावरण, छात्र सहायता, ओडीएल, अंतर्राष्ट्रीयकरण और आर्थिक प्रौद्योगिकी
- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता का फ्रेमवर्क – परिणाम- आधारित और साख आधारित
- प्रभावी शैक्षणिक प्रथाओं के माध्यम से सीखने के अनुभवों को उभारना।
- छात्रों का मूल्यांकन केवल शैक्षणिक पहलुओं के आधार पर न कर समिति की क्षमताओं और प्रकृति के अनुरूप करना।
- छात्रों के लिए उपलब्ध शैक्षणिक, वित्तीय और भावनात्मक समर्थन।
- ओपन और डिस्टेंस लर्निंग का विस्तार।
- शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण सुगम बनाना।
- इसके लिए शिक्षा में प्रौद्योगिकीः
- वंचित समूहों तक शैक्षिक पहुंच को बढ़ाया जाना
- शिक्षा योजना, प्रशासन और प्रबंधन।
- राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम – एक स्वायत्त निकाय – प्रौद्योगिकी के उपयोग, तैनाती, तैनाती पर निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करना।
- शैक्षिक डेटा का राष्ट्रीय भंडार – संस्थानों, शिक्षकों और छात्रों के सभी रिकाॅर्ड का रख-रखाव करना।
नेशनल रिसर्च फाउडेशन (NRF)
- स्वायत्त निकाय, संसद के एक अधिनियम के माध्यम से स्थापित।
- रु. 20,000 करोङ का वार्षिक अनुदान – अगले दशक में उत्तरोत्तर वृद्धि।
- फाउंडेशन के काम के दायरे में शामिल होंगेः
- एक प्रतिस्पर्धी, सहकर्मी-समीक्षा आधारित प्रक्रिया के माध्यम से राज्य विश्वविद्यालयों में अनुसंधान क्षमता को प्रोत्साहित करना और निर्माण करना, राज्य विश्वविद्यालयों में मौजूदा शोध बढ़ रहा है, डाॅक्टरेट और पोस्टडाॅक्टोरल फैलोशिप।
- शोधकर्ताओं, सरकार और उद्योग के बीच लाभकारी संबंध बनाना।
- विशेष पुरस्कारों और सेमिनारों के माध्यम से उत्कृष्ट शोध को मान्यता देना।
- NRF के पास शुरुआत करने के लिए चार प्रमुख विभाग होंगे – विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक, विज्ञान, कला और मानविकी।
व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण
- ⇒व्यावसायिक शिक्षा उदार शिक्षा का अभिन्न अंग है।
- व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों में एकीकृत।
- फोकस क्षेत्र – कौशल अंतराल विश्लेषण, स्थानीय मानचित्रण।
- शिक्षक तैयार करने पर ध्यान दिया जाएगा।
- प्रयास की देखरेख के लिए व्यावसायिक शिक्षा एकीकरण पर राष्ट्रीय समिति (NCIVE)।
- राष्ट्रीय कौशल योग्यता रूपरेखा अधिक विस्तृत होगी।
- ’लोक विद्या’, भारत में विकसित ज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों में एकीकरण के माध्यम से छात्रों के लिए सुलभ कराना।
प्रौढ़ शिक्षा
- वयस्क शिक्षा के लिए NCF: NCF से जुङी शिक्षण सामग्री, मूल्यांकन और प्रमाणन।
- वयस्क शिक्षा केंद्र के कैडर और राष्ट्रीय वयस्क शिक्षा ट्यूटर्स कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षक बनाए गए।
- मौजूदा तंत्र ने प्रतिभागियों की पहचान करने के लिए लाभ उठाया, सामुदायिक स्वयंसेवकों ने प्रोत्साहित किया।
- बङे पैमाने पर जन जागरूकता लाना।
- महिलाओं की साक्षरता पर विशेष जोर।
भारतीय भाषाओं का प्रचार
- भारतीय भाषाओं में भाषा, साहित्य, वैज्ञानिक शब्दावली पर ध्यान दें।
- देश भर में मजबूत भारतीय भाषा और साहित्य कार्यक्रम।
- भाषा शिक्षकों और अध्यापकों की भर्ती।
- भाषाओं पर केंद्रित शोध।
- शास्त्रीय भाषाओं और साहित्य को बढ़ावा देेने के लिए मौजूदा राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत किया।
- पाली, फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किया जाना है।
- इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ टांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (IITI) की स्थापना विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ-साथ विदेशी भाषाओं और भारतीय भाषाओं के बीच महत्त्व की सामग्री के उच्च गुणवत्ता वाले अनुवादों को करने के लिए की जाएगी।
- वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के लिए अधिदेश को नए सिरे से और विस्तारित किए जाए, जिसमें सभी विषयों और क्षेत्र को शामिल हों, न कि केवल भौतिक विज्ञानों को शामिल किया जाए।
राष्ट्रीय शिक्षा आयोग
- राष्ट्रीय शिक्षायोग या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग – सर्वोच्च निकाय।
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित किया जाएगा
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय के रूप में शिक्षा मंत्रालय (एमओईं) के रूप में नया स्वरूप दिया जाएगा।
- केंद्रीय शिक्षा मंत्री – उपाध्यक्ष के तौर पर दिन-प्रतिदिन के मामलों की जिम्मेदारियों से सीधे निर्वहन करेंगे।
- आयोग के गठन में प्रख्यात शिक्षाविद, शोधकर्ता, केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे।
- विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों का प्रतिनिधित्व।
- खेत।
- आयोग के सभी सदस्य उच्च विशेषज्ञता वाले लोग होंगे, जनता का रिकाॅर्ड
- उनके क्षेत्रों में योगदान, अखंडता अखंडता।
- समन्वय और तालमेल सुनिश्चित करने के लिए Aayog हर राज्य के साथ मिलकर काम करेगा।
- राज्य राज्य शिक्षा आयोग या राज्य शिक्षा आयोग का गठन कर सकते हैं।
वित्त पोषण शिक्षा
- केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक निवेश में वृद्धि 10 वर्ष की अवधि में कुल सार्वजनिक व्यय का 20% हैं।
- मुख्य संज्ञान क्षेत्र:
- बाल शिक्षा का विस्तार और सुधार
- मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता सुनिश्चित करना
- स्कूल परिसरों की पर्याप्त और उपयुक्त पुनस्र्थापना
- भोजन और पोषण (नाश्ता और दोपहर का भोजन)
- शिक्षक शिक्षा और शिक्षकों का सतत व्यावसायिक विकास
- काॅलेजों और विश्वविद्यालयों के शोध को पुनर्जीवित करना
- कायाकल्प, सक्रिय प्रचार और निजी परोपकारी गतिविधि के लिए समर्थन
- चिकना, समय पर धन का उचित प्रवाह, प्रोबिटी के साथ उपयोग
- शिक्षा के व्यावसायीकरण पर बंद करो
- सार्वंजनिक शिक्षा में पर्याप्त निवेश।
Rashtriya Shiksha Niti 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 PDF(New National Education Policy 2020 PDF In Hindi)
⇒ स्नातक के बाद दो वर्ष का बी. एड. जबकि परा-स्नातक (M.A.) उम्मीदवारों के लिए 1 वर्ष का बी. एड. कोर्स होगा।
नई शिक्षा निति 2020 PDF Download
Nai Shiksha Niti 2020 PDF in Hindi – Click Here to Download
Nai Shiksha Niti 2020 PDF in English – Click Here to Download
राष्ट्रीय शिक्षा नीति से सम्बन्धित कोई भी समस्यात्मक प्रश्न हो तो आप नीचे काॅमेट बाॅक्स में लिखकर पूछ सकते हों।
RTE Act 2009 in Hindi – निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम
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Shriman
Seva mein
M A. Vishay ke bad aur m.com ka bad
1year ka b .ed kab se lagu ho ja gea
अभी लागू होने में समय लगेगा
The new education policy is really commendable and high requirement of the time. What appreciated me the most is one syllabus and inclusion of several activities . Because I feel children are mostly interested in activities than class room studies. Also study in the local language upto class 5 is a clapping decision. My son studying in class 4 in a English medium school always told me why the teachers are not talking with us in our language. But two things are not clear to me.
1. Veraiety of school like English medium, hindi medium: will they still exist ?
2. And what about the teachers ?
3. I think the teachers must be free of all responsibility other than the education.and they must be secured financially for a tension free environment of school.
Here in Odisha there are veraiety of teachers. Para teacher, gana sikhyak, sikhya sahayak etc etc…. This must lifted up. All the teachers must come into one law regarding remuneration.
4. Since when do this policy is going to be acted ?
Thank you to all the people united to take such a revolutionary movement . Hope n pray for the strongest India with happy children and energetic youngsters.
Sir jo student graduation me hi jinka 1st year and 2nd year complete ho chuka hi unke liye kya hoga pahle vala shadule ya new shadule
Sir mi to aage PHD karna chahta tha history se mera BA 2nd year hi mere pass history, political science and geography subject hi
To mi phd karne ke liye kya karu
अभी अगले सत्र से लागू होगा