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School Management Committee -SMC || विद्यालय प्रबन्धन समिति

Author: K.K.SIR | On:17th Dec, 2021| Comments: 0

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Table of Contents

  • School Management Committee (SMC)
  • विद्यालय प्रबन्धन समिति
  • SMC के उद्देश्य
  • साधारण सभा के सदस्य
  • साधारण सभा
  • सदस्यों द्वारा चंदा व शुल्क
  • साधारण सभा के अधिकार एवं कर्तव्य
  • साधारण सभा की बैठकें
  • समिति की कार्यकारिणी समिति
  • 1. अध्यक्ष के कार्य-
  • 2. उपाध्यक्ष के कार्य –
  • 3. सदस्य सचिव के कार्य-
  • कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल-
  • कार्यकारिणी समिति की बैठकें-
  • कोरम –
  • एजेण्डा बिन्दुओं/मुद्दों पर निर्णय की विधि-
  • वोटिंग की विधि-
  • निर्णयों का संधारण-
  • सदस्यता की समाप्ति-
  • रिक्त पदों को भरना-
  • समिति का कोष –
  • (1) विकास कोष-
  • (2) परिचालन कोष –
  • समिति का विघटन –
  • संस्था के लेखे-जोखे का निरीक्षण-
  • ‘विद्यालय प्रबन्धन समिति के कार्य/कर्तव्य/कृत्य
  • (1) विद्यालय के क्रियाकलापों/कार्यकरण को माॅनीटर करना-
  • (2) विद्यालय के विकास हेतु विकास योजना तैयार करना और इसकी संस्तुति करना-
  • (3) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी/संस्था/निकाय अथवा किसी अन्य स्रोत से प्राप्त अनुदानों/सहायता राशियों के उपयोग को माॅनीटर करना-

आज के आर्टिकल में हम विद्यालय प्रबन्धन समिति (School Management Committee) को विस्तार से समझेंगे ।

School Management Committee (SMC)

विद्यालय प्रबन्धन समिति

RTE-2009 के द्वारा वर्णित नियमावली के अनुसार 2010 से विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन किया जाना प्रारम्भ हुआ, इसमें साधारण सभा एवं कार्यकारी समिति का निर्माण किया जाता है।

SMC के उद्देश्य

समिति के उद्देश्य निम्नानुसार होंगे-
⇒ विद्यालय के क्रियाकलापों/कार्यकरण को माॅनीटर करना।
⇒ विद्यालय के विकास के लिए विद्यालय विकास योजना का निर्माण, स्वीकृति एवं विकास कोष बनाना, जिससे विद्यालय के भवन, उपस्कर एवं अन्य शैक्षिक सुविधाओं से सम्बन्धित विकास के कार्य किए जा सकेंगे।
⇒ सम्बन्धित विद्यालय के लिए एक परिचालन कोष बनाना, जिससे राजकीय सहायता व अन्य माध्यमों से वेतन, आवश्यक परिचालन व मरम्मत व्यय वहन किया जा सके।
⇒ दानदाताओं से आर्थिक सहायता/दान प्राप्त करना।
⇒ विद्यालय भवन के विस्तार एवं अन्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की जन सहभागिता आधारित योजनाओं से संस्था विकास कोष के योगदान के आधार पर विकास कार्य करवाना तथा इसी के साथ सक्षम सरकार, स्थानीय प्राधिकारी/संस्थाओं/निकायों अथवा अन्य स्रोतों से प्राप्त सहायता/अनुदान के उपयोग पर निगरानी।

⇒ प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित विभिन्न बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं, केन्द्र प्रवर्तित कार्यक्रमों एवं केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों यथा सर्व शिक्षा अभियान आदि के अन्तर्गत विद्यालयों के विकास भवन निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षण अधिगम उपकरण, विद्यालय फैसिलिटी ग्राण्ट, टीएलएम ग्राण्ट एवं अन्य ग्राण्ट्स आदि अन्य मदों के अन्तर्गत उपलब्ध करायी गयी। राशियों/प्रावधानों से निर्माण/विकास कार्य करवाना एवं ग्राण्ट्स का राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान, अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग सुनिश्चित करना।
⇒ अन्य उद्देश्य, जिससे संस्था की परिसम्पत्तियांे का बेहतर उपयोग एवं संस्था का बेहतर विकास हो सके।

साधारण सभा के सदस्य

इस समिति के सदस्य निम्नांकित होंगे-
⇒ सम्बन्धित विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक विद्यार्थी/बालक के माता-पिता या संरक्षक (माता एवं पिता दोनों के जीवित न होने की स्थिति में संरक्षक)।
⇒ सम्बन्धित विद्यालय का प्रत्येक अध्यापक/प्रबोधक।
⇒ सम्बन्धित कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले जिला प्रमुख/प्रधान/सरपंच नगर पालिका अध्यक्ष।
⇒ सम्बन्धित कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले समस्त जिला परिषद् सदस्य, नगर पालिका पार्षद/पंचायत समिति सदस्य/वार्ड पंच।
⇒ समिति की कार्यकारिणी समिति में निर्वाचित/मनोनीत शेष सदस्य जो उपर्युक्त में शामिल नहीं हो।

साधारण सभा

⇒ समिति के उप नियम संख्या 4 में वर्णित समस्त प्रकार के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगे। समिति की कार्यकारिणी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव साधारण सभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव होंगे।
सदस्यों का वर्गीकरण –
⇒ समिति के सभी सदस्य साधारण सदस्य होंगे।

सदस्यों द्वारा चंदा व शुल्क

⇒ साधारण सभा के सदस्यों द्वारा कोई शुल्क एवं चंदा प्रारम्भ से अनिवार्य नहीं होगा। सदस्य स्वेच्छा से चंदा दे सकेंगे। समिति की साधारण सभा दो तिहाई बहुमत से वार्षिक सदस्यता शुल्क तय कर सकेगे।
सदस्यता की समाप्ति-
⇒ साधारण सभा के सदस्यों की सदस्यता निम्न स्थितियों में स्वतः ही समाप्त हो जायेगी-
⇒ मृत्यु होने पर।
⇒ त्याग पत्र देने पर।
⇒ निर्वाचित सदस्यों के निर्वाचित नहीं रहने पर।
⇒ विद्यार्थी के विद्यालय छोङ देने पर उसके माता-पिता या संरक्षक की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जायेगी।
⇒ पदेन सदस्य के पद पर नहीं रहने पर।

साधारण सभा के अधिकार एवं कर्तव्य

⇒ विद्यालय के परिचालन व्यय मद में आय-व्यय में अन्तर होेने पर संरक्षकों, सामान्य जनता एवं अन्य दानदाताओं से आर्थिक सहायता/दान प्राप्त करने हेतु कार्यकारिणी समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचार-विमर्श एवं निर्णय।
नोट – साधारण सभा में निर्णय प्रथमतः सर्व सम्मति से व सर्व सम्मति से नहीं होने पर बहुमत से लिए जायेंगे।

साधारण सभा की बैठकें

⇒ विद्यालय सभा की वर्ष में प्रत्येक वर्ष जुलाई से मार्च तक तीन बैठकें अर्थात् तीन माह में एक बैठक अनिवार्य होगी, लेकिन आवश्यकता पङने पर बैठक अध्यक्ष/सदस्य सचिव द्वारा कभी भी बुलाई जा सकती है।
⇒ साधारण सभा की बैठक का कोरम कम से कम साधारण सभा के सदस्यों कीे कुल संख्या का 25 प्रतिशत होगा।
⇒ बैठक की सूचना 4 दिन पूर्व व अत्यावश्यक बैठक की सूचना 2 दिवस पूर्व दिया जाना आवश्यक है।?
⇒ कोरम के अभाव में स्थगित बैठक पुनः 7 दिन पश्चात् उसी निर्धाथ्रत स्थान व समय पर आयोजित की जायेगी। स्थगित बैठक में कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन विचारणीय विषय वही होंगे, जो पूर्व एजेण्डा में थे।

समिति की कार्यकारिणी समिति

⇒ समिति के कार्य के सुचारू रूप से चलाने के लिए समिति की एक 16 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति होगी। इसमें से न्यूनतम तीन चैथाई सदस्य माता-पिता या संरक्षकों में से होंगे तथा अधिकतम 5 सदस्य पदेन/मनोनीत अन्य व्यक्ति होंगे। कार्यकारिणी के सदस्यों में 50 प्रतिशत महिलाएँ अर्थात् कम से कम 8 महिलाएँ आवश्यक रूप से होंगी जिसके पदाधिकारी एवं सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन नियम 12 के अनुसार किया जाएगा।
⇒ कार्यकारिणी की समिति में माता-पिता या संरक्षक सदस्यों का निर्वाचन प्रत्येक वर्ष के प्रारम्भ में नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने पर 14 अगस्त से पूर्व साधारण सभा द्वारा किया जाएगा।

School Management Committee – SMC

कार्यकारिणी समिति के अन्य पदाधिकारी निम्न होंगे-

क्रं.सं.पदचयन प्रक्रियापूर्ण
1.अध्यक्षसमिति की साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा निर्वाचित।
2.उपाध्यक्षसमिति की साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा निर्वाचित।
3.सदस्य (11)साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 सदस्य, जिनमें से कम से कम 6 महिलाएँ, 1 अनुसूचित जाति व 1 अनुसूचित जनजाति से सम्बन्धित हो।
4.पदेन सदस्य (1)ग्राम पंचायत/नगर पालिका के जिस वार्ड में विद्यालय स्थित है, उस वार्ड का वार्ड पंच/पार्षद
5.पदेन सदस्य सचिव (1)प्रधानाध्यापक/प्रधनाध्यापक के न होने पर वरिष्ठतम अध्यापक/प्रबोधक
6.निर्वाचित अध्यापकविद्यालय के अध्यापकों द्वारा समिति हेतु निर्वाचित एक अन्य महिला अध्यापक/प्रबोधक (यदि उपलब्ध हो) अन्यथा पुरुष अध्यापक/प्रबोधक
7.मनोनीत सदस्य (2)विद्यालय परिक्षेत्र के विधान सभा सदस्य द्वारा नामित ऐसे दो व्यक्ति (जिसमें कम से कम एक महिला हो तथा एक माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से हो) जो ग्रामीण क्षेत्र हेतु उस राजस्व ग्राम/शहरी क्षेत्र हेतु उस वार्ड का निवासी हो जिसमें विद्यालय स्थित है अथवा समिति के माता-पिता या संरक्षक सदस्यों द्वारा मनोनीत स्थानीय शिक्षा शास्त्री अथवा विद्यालय का बालक। मनोनयन में प्रथम प्राथमिकता विधानसभा सदस्य द्वारा नामित व्यक्तियांे को दी जायें, लेकिन मनोनयन से पूर्व विधानसभा सदस्य द्वारा नामित व्यक्तियों की उनसे लिखित में स्वीकृति लिया जाना आवश्यक होगा। मनोनयन में द्वितीय प्राथमिकता विद्यालय परिक्षेत्र के निवासी राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त शिक्षक को दी जाये।

कुल सदस्य – 16

 

नोट – कार्यकारिणी समिति में महिला सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन इस प्रकार किया जायेगा, जिससे कि समिति में कम से कम 8 महिलाएँ आवश्यक रूप से रहें।
कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों के अधिकार व कर्तव्य-

1. अध्यक्ष के कार्य-

  • विद्यालय प्रबन्धन समिति की साधारण सभा एवं कार्यकारिणी समिति की सभी बैठकों की अध्यक्षता करना।
  • बराबर मत आने पर निर्णायक मत देना।
  • बैठकें आहूत करना।
  • समिति का प्रतिनिधित्व करना।
  • संविदा व अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना।
  • आय व्यय पर नियंत्रण रखना-कैशियर के माध्यम से लेखे संधारित करना।
  • समिति द्वारा निर्देशित अन्य सभी कार्य करना।

2. उपाध्यक्ष के कार्य –

  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के सभी कार्य सम्पादित करना।
  • कार्यकारिणी समिति द्वारा निर्देशित अन्य समस्त कार्य करना।

3. सदस्य सचिव के कार्य-

  • बैठक के कार्य बिन्दु (एजेण्डा) तैयार करना।
  • बैठक आहूत करने की सूचना जारी करना।
  • बैठक का कार्यवाही विवरण तैयार करना एवं रिकाॅर्ड रखना एवं साधारण जनता को अवलोकन हेतु उपलब्ध कराना।
  • समिति के वित्त सम्बन्धी सभी आँकङे तैयार करना।
  • अधिकृत मामलों पर समिति की ओर से हस्ताक्षर करना।
  • उसके विद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी रिकाॅर्ड सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु वैधानिक एवं अन्य उत्तरदायित्व, जो भी आवश्यक हो, को निर्वहन करना।
  • उन सभी मुद्दों की रिपोर्ट तैयार करना जो उसकी जानकारी में हैं तथा जिन्हें समिति की साधारण सभा/कार्यकारिणी समिति के समक्ष रखा जाना आवश्यक है।

कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल-

⇒ कार्यकारिणी के मनोनीत/निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष अथवा उस समय तक रहेगा जिस समय तक वे समिति के निर्वाचित/मनोनीति सदस्य होंगे (उपरोक्त दोनों में से जो भी कम हो)।

कार्यकारिणी समिति की बैठकें-

⇒ कार्यकारिणी समिति की बैठक प्रत्येक माह अमावस्या के दिन आयोजित की जाएगी और अमावस्या के दिन अवकाश होने पर बैठक अगले कार्य दिवस को की जाएगी। यह बैठक विद्यालय परिसर, चैपाल अथवा किसी सुविधाजनक स्थान पर बुलाई जाए।
⇒ सदस्य सचिव अध्यक्ष से विचार-विमर्श पर समिति की बैठक का समय व स्थान निर्धारित करेगा।
⇒ सदस्य सचिव कम से कम 4 दिन पूर्व बैठक की लिखित सूचनामय बैठक में विचारार्थ रखे जाने वाले बिन्दुओं की सूची के साथ सभी सदस्यों को भेजेगा। अध्यक्ष की अनुमति से एजेण्डा से अतिरिक्त बिन्दुओं पर भी चर्चा की जा सकेगी।
⇒ समिति की अत्यावश्यक बैठक कम से कम दो दिन की सूचना पर भी बुलाई जा सकती है।

⇒ जिला शिक्षा अधिकार (प्रा.शि.) को किसी भी एक समय समिति की बैठक बुलाने का निर्देश देने का अधिकार होगा, जिसकी अनुपालन अध्यक्ष/सदस्य सचिव द्वारा एक सप्ताह में करना अनिवार्य होगा।
⇒ समिति की बैठक में निर्णय यथा संभव सर्वसम्मति से व सर्वसम्मति नहीं होने पर निर्णय बहुमत से होगा।
⇒ विद्यालय प्रबन्धन समिति के गठन/संचालन सम्बन्धी विवादों को निपटाने के लिए ब्लाॅक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी एवं ब्लाॅक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रकरण रैफर किये जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी (प्रा.शि.) उत्तरदायी/अधिकृत होगा तथा जिला शिक्षा अधिकारी (प्रा.शि.) का निर्णय अन्तिम होगा।

कोरम –

⇒ कार्यकारिणी समिति के कुल सदस्यों की संख्या के एक तिहाई से अधिक सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होगी।
अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में अपनाई जाने वाली कार्यविधि-
⇒ अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों की अनुपस्थिति में समिति का कोई अन्य माता-पिता या संरक्षक सदस्य अध्यक्षता हेतु चुना जाये, जिसे ऐसा करने के लिए बाकी उपस्थित सदस्य चुने।

एजेण्डा बिन्दुओं/मुद्दों पर निर्णय की विधि-

⇒ समिति के सम्मुख आने वाले सभी मुद्दों/एजेण्डा बिन्दुओं पर निर्णय सामान्यतया सर्व सम्मति से होगा, परन्तु सर्व सम्मति के अभाव में निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत के आधार पर होगा।

वोटिंग की विधि-

⇒ सभी सदस्यों को वोट करने का समान अधिकार प्राप्त है।
⇒ वोटिंग हाथ खङा कर की जायेगी परन्तु समिति किसी अन्य विधि से भी चुनाव/वोटिंग कर सकती है।
⇒ बराबर मत आने की स्थिति में बैठक का अध्यक्ष निर्णायक मत देगा।

निर्णयों का संधारण-

⇒ समिति की बैठकों में लिये गये सभी निर्णयों का संधारण सदस्य सचिव द्वारा रजिस्टर में किया जायेगा तथा समिति की कार्यकारिणी की बैठक में पढ़कर सुनाया जाकर सदस्यों के हस्ताक्षर रजिस्टर में लिए जायेंगे।
⇒ साधारण सभा के सभी सदस्यों को सभी निर्णयों का अवलोकन करने हेतु रिकाॅर्ड विद्यालय में उपलब्ध रहेगा।

सदस्यता की समाप्ति-

⇒ पदेन सदस्यों के अतिरिक्त अन्य सदस्यों का अधिकतम कार्यकाल दो वर्ष अथवा सम्बन्धित सदस्यों के कार्यकारिणी समिति का सदस्य रहने तक ही होगा। (दोनों में से जो भी पहले हो)
⇒ निम्न कारणों के आधार पर भी कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो जायेगी-
⇒ यदि सदस्य समिति की तीन क्रमिक बैठकों में अनुपस्थित रहे।
⇒ समिति के अन्तर्गत आने वाले किसी मुद्दे से सम्बन्धित भ्रष्टाचार में लिप्त हो।
⇒ किसी भी कारणवश सदस्य की संतान उस विद्यालय का विद्यार्थी ना रहे।
⇒ कानून द्वारा दोषी ठहराया गया हो।

रिक्त पदों को भरना-

⇒ यदि किसी सदस्य का कार्यकाल उसके द्वारा धारित पद रिक्त होने के कारण समाप्त हो जावे तो रिक्त होने वाले पद को समिति द्वारा उप नियमों का पालन करते हुए भरा जाएगा।
⇒ सदस्यता समापन के कारण रिक्त हुए पद पर निर्वाचित/मनोनीत सदस्य का कार्यकाल उस सदस्य के बचे हुए कार्यकाल जितना ही होना तथा निर्वाचन/मनोनयन उस वर्ग से ही किया जायेगा जिस वर्ग का पद रिक्त हुआ हो।

समिति का कोष –

⇒ समिति द्वारा विकास कोष व परिचालन कोष अलग-अलग निम्न प्रकार से संचित किये जावेंगे-

(1) विकास कोष-

⇒ राज्य सरकार/केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं के अन्तर्गत प्राप्त राशि।
⇒ अभिभावकों व नागरिकों से विकास कार्यों हेतु प्राप्त अनुदान/सहायता।
⇒ अन्य पूँजीगत प्रकृति की आय।
⇒ सक्षम सरकार/स्थानीय प्राधिकारी/संस्था/निकाय अथवा अन्य किसी स्रोत से प्राप्त सहायता/अनुदान।
नोट – यदि विकास कोष में योगदान सामग्री के रूप में प्राप्त होता है तो उसके अनुमानित मूल्य का हिसाब भी लेखों में रखा जावेगा तथा सामग्री के स्टाॅक एण्ट्री रजिस्टर में की जावेगी।

(2) परिचालन कोष –

⇒ चंदा
⇒ अन्य अपूँजीगत प्राप्तियाँ।

(3) 1. उक्त प्रकार से दोनों कोषों की संचित राशि किसी राष्ट्रीयकृत अथवा सहकारी बैंक में समिति के नाम से खोले गये खाते में रखी जायेगी एवं लेखा जोखा एक ही रोकङ बही के माध्यम से संधारित किया जायेगा।
⇒ अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षरों से बैंक से लेन-देन संभव होगा।
⇒ विद्यालय प्रबन्धन समिति की बैठकांे में प्रत्येक खर्चे एवं आय के बारे में विचार-विमर्श किया जाकर आय व व्यय का अनुमोदन किया जाना चाहिए।

समिति का विघटन –

⇒ यदि समिति का विघटन आवश्यक हुआ तो समिति की समस्त चल व अचल सम्पत्ति समान उद्देश्य वाली समिति को हस्तान्तरित कर दी जायेगी। विद्यालय प्रबन्धन समिति को विद्यालय की चल व अचल सम्पत्ति को बेचने, रखने तथा अन्यथा खुर्द बुर्द करने का अधिकार नहीं होगा। समस्त सम्पत्तियों का स्वामित्व राज्य सरकार का ही रहेगा।

संस्था के लेखे-जोखे का निरीक्षण-

⇒ स्थानीय प्राधिकारी, राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों को समिति के रिकाॅर्ड का निरीक्षण करने का पूर्ण अधिकार होगा व उनके द्वारा दिये गये सुझावों की पूर्ति की जावेगी।

‘विद्यालय प्रबन्धन समिति के कार्य/कर्तव्य/कृत्य

(1) विद्यालय के क्रियाकलापों/कार्यकरण को माॅनीटर करना-

⇒ विद्यालय के आस-पङौस में रहने वाली आबादी/जनता को बाल अधिकारी की सामान्य एवं रचनात्मक तरीकों से जानकारी देना तथा साथ ही राज्य सरकार स्थानीय प्राधिकारी, विद्यालय, माता-पिता, अभिभावक एवं संरक्षक के कर्तव्यों की जानकारी देना।
⇒ समिति विद्यालय में नियुक्त अध्यापकों के विद्यालय में उपस्थित होने में नियमितता एवं समय पालन, माता-पिता और संरक्षकों के साथ नियमित बैठकें करना औष्र बालक के बारे में उपस्थिति में नियमितता, शिक्षा ग्रहण करने का सामथ्र्य, शिक्षण में की गई प्रगति और किसी अन्य सुसंगत जानकारी के बारे में अवगत कराना तथा शिक्षक/शिक्षिकाओं द्वारा प्राइवेट ट्यूशन या प्राइवेट क्रिया कलाप नहीं करना सुनिश्चित करेगी।

⇒ दस वर्षीय जनसंख्या/आपदा (विभीषिका) राहत कर्तव्यों या यथास्थिति, स्थानीय संस्थाओं/निकायों या राज्य विधान मण्डलों या संसद के निर्वाचनों से सम्बन्धित कर्तव्यों से भिन्न किसी गैर शैक्षणिक प्रयोजनों के लिए शिक्षिकों को अभिनियोजित नहीं किये जाने को सुनिश्चित करेगी/माॅनीटरिंग करेंगी।
⇒ विद्यालय के आस-पङौस के 6-14 आयु वर्ग के सभी बालकों के विद्यालय में नामांकन तथा उनकी सतत् उपस्थिति को सुनिश्चित करेगी।
⇒ विद्यालय के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एवं मानकों की पालना पर निगरानी रखेगी।
⇒ बाल अधिकारों के हनन विशेषकर बालकों को भौतिक एवं मानसिक प्रताङना सम्बन्धी प्रकरणों, प्रवेश नहीं दिये जाने, निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने सम्बन्धी प्रावधानों के उल्लंघन सम्बन्धी प्राधिकारी के ध्यान में लायेगी।

⇒ आवश्यकताओं का चिह्नीकरण करते हुए योजना का निर्माण करेगी तथा 6-14 आयु वर्ग के विद्यालय में कभी भी प्रवेश न लेने वाले (नेवर एनरोल्ड) तथा ड्राॅप आउट बालकों के लिए किये गये शिक्षा व्यवस्था सम्बन्धी प्रावधानों की क्रियान्विति पर निगरानी रखेगी।
⇒ विशेष आवश्यकता वाले एवं अधिगम अक्षम बालकों के चिह्नीकरण, उसके विद्यालय में नामांकन, सीखने हेतु सुविधाएँ उपलब्ध कराने पर निगरानी रखेगी तथा गतिविधियों में उनकी भागीदारी तथा प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करना सुनिश्चित करेगी।
⇒ विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना के क्रियान्वयन पर निगरानी रखेगी।
⇒ विद्यालय की आय एवं व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करेगी।

⇒ विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों की नियमित समीक्षा कर शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाना।
⇒ राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान अथवा अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुए विद्यालय में भौतिक व्यवस्थाएँ जैस- खेल मैदान, बाउण्डरी वाॅल, कक्षा कक्ष, सुविधाएँ, फर्नीचर एवं पीने के पानी आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
⇒ समय-समय पर विद्यालय के बालकों के स्वास्थ्य की जाँच करवाना तथा बच्चों के लिए नियमित स्वास्थ्य कैम्पों का आयोजन करवाना।
⇒ समय-समय पर ड्राॅप आउट दर पर नजर रखना तथा सभी बालकों का विद्यालय में नामांकन एवं ठहराव सुनिश्चित करना, इसके लिए निःशुल्क पाठ्य पुस्तकांे के वितरण, शिक्षण सामग्री, शालागणवेश आदि समय पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना।

⇒ अभिभावकों एवं अध्यापकों की समय-समय पर संयुक्त बैठकें आयोजित करना एवं उन बैठकों में रिपोर्ट कार्ड उपलब्धि स्तर, कक्षा कार्य एवं गृहकार्य आदि के सम्बन्ध में विचार-विमर्श करते हुए सुधार हेतु आवश्यक कार्यवाही करना।
⇒ विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न राष्ट्रीय, क्षेत्रीय पर्वों, निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण, छात्रवृत्ति वितरण, विद्यालय का सत्र प्रारम्भ होने, दीपावली एवं शीतकालीन अवकाश के प्रारम्भ एवं पश्चात् विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रम में भाग लेना एवं समाज के सभी वर्गों को इन कार्यक्रमों में भाग हेतु प्रोत्साहित करना।

(2) विद्यालय के विकास हेतु विकास योजना तैयार करना और इसकी संस्तुति करना-

⇒ विद्यालय प्रबन्धन समिति, उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से तीन माह पूर्व जिसमें उसका प्रथम बार गठन हुआ है एक विद्यालय विकास योजना का निर्माण करेगी।
⇒ उपरोक्त विद्यालय विकास योजना एक तीन वर्षीय योजना होगी, जो अगले तीन वर्ष की तीन वार्षिक योजनाओं को मिलाकर बनायी जायेगी।
⇒ विद्यालय विकास योजना में निम्नानुसार विस्तृत जानकारियाँ शामिल की जायेगी।

(अ) प्रत्येक वर्ष का कक्षावार अनुमानित नामांकन।

(ब) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एवं मानकों के आधार पर तीन वर्ष की अवधि के लिए कक्षा 1 से 5 एवं कक्षा 6 से 8 के लिए पृथक्-पृथक् अतिरिक्त अध्यापकों, विषय अध्यापकों एवं अंशकालीन अध्यापक की आवश्यकता।

(स) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एवं मानकों के अनुसार तीन वर्ष की अवधि के लिए अतिरिक्त भौतिक संसाधनों एवं उपकरणों की आवश्यकता।

(द) उपरोक्त बिन्दु (ब) व (स) की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु तीन वर्ष की अवधि में वर्षवार अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकताएँ। आवश्यकताओं के अन्तर्गत विधेयक की धारा 4 के अन्तर्गत ऐसे बालकों, जिन्हें 6 वर्ष से अधिक की आयु होने पर भी विद्यालय प्रवेश नहीं दिया गया हो अथवा यदि प्रवेश दिया गया हो तो उसने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी नहीं की हो तो उसको उसकी आयु के अनुसार कक्षा में प्रवेश देने पर अन्य बालकों के समकक्ष रहने के लिए आवश्यक विशेष प्रशिक्षण सम्बन्धी व्यय, बालकों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों, गणवेश उपलब्ध कराने पर होने वाला व्यय तथा विधेयक के प्रावधानों के अन्तर्गत विद्यालय की जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु आवश्यक हो।
⇒ उपरोक्त आधारों पर तैयार की गई विद्यालय विकास योजना पर विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए तथा इसे वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व स्थानीय प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

(3) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी/संस्था/निकाय अथवा किसी अन्य स्रोत से प्राप्त अनुदानों/सहायता राशियों के उपयोग को माॅनीटर करना-

⇒ परिचालन मद में आय व व्यय का जायजा लेना। किसी विशेष में आय वांछनीय व्यय से कम होने पर माता-पिता या संरक्षकों से वित्तीय सहयोग लेने पर विचार कर वित्तीय सहयोग की राशि के प्रस्ताव साधारण सभा को अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करना।
⇒ विद्यालय एवं विद्यालय प्रबन्धन समिति के समस्त कोषों एवं सम्पत्तियांे का परिवीक्षण करना।
⇒ विद्यालय एवं समिति के वार्षिक आय व्यय का लेखा जोखा रखना।

⇒ प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित विभिन्न बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं, केन्द्र प्रवर्तित कार्यक्रमों एवं केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों यथा सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत विद्यालयों के विकास, भवन निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षण अधिगम उपकरण विद्यालय फैसिलिटी ग्राण्ट, टीएलएम ग्राण्ट एवं अन्य ग्राण्टस आदि अन्य मदों के अन्तर्गत उपलब्ध कराई गई राशियों/प्रावधानों से निर्माण/विकास कार्य करवाना एवं ग्राण्टस का राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान, अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशो के अनुसार उपयोग सुनिश्चित करना।

(4) ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करना जो विहित किये जाये-

⇒ विद्यालय प्रबन्धन समिति ऐसे अन्य कार्यों/कृत्यों की पालना करेगी जो सक्षम सरकार द्वारा विहित किये जाये।
⇒ विद्यालय प्रबन्धन समिति स्वयं के आर्थिक स्रोतों से अपने स्तर पर आवश्यकतानुसार स्थानीय व्यक्तियों/अध्यापकों/सहायकों की सेवाओं हेतु पूर्णतया अस्थायी व्यवस्था कर सकती है लेकिन इसका भार किसी भी स्थिति में राज्य सरकार पर नहीं पङना चाहिए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्या है ?

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