लंपी वायरस क्या है – पूरी जानकारी पढ़ें || Lumpy Skin Disease in Hindi

आज के आर्टिकल में हम हाल ही में चर्चित रोग लंपी वायरस (Lumpy Skin Disease in Hindi) के बारे में विस्तार से पढेंगे। लंपी चर्म रोग लक्षण, बचाव (Lumpy skin Disease treatment Medicine, Lumpy skin disease Treatment in India, lampi disease in cow Treatment, lumpy virus in Humans, Lampi virus cow treatment, Lampi virus cow Gujarat)

लंपी वायरस क्या है – Lumpy Skin Disease in Hindi

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Lumpy Skin Disease in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको लंपी वायरस (lumpy virus cow) के बारे में बताएंगे। यह वायरस भारत में लगातार गोवंश में फैल रहा है। भारत ने अभी तक कोरोना वायरस और मंकी पॉक्स से निजात नही पाई थी, कि इस नई बीमारी ने भारत को भयभीत कर दिया है। भारत सरकार द्वारा इसकी रोकथाम के उपाय निकाल लिए है लेकिन यह एक गंभीर समस्या है। लोग इसके बारे में ज्यादा नही जानते है। इसलिए इस आर्टिकल में आपको लंपी वायरस की पूरी जानकारी दी गई है। तो चलिए जानते है कि लंपी वायरस क्या है ?

लंपी स्किन वायरस क्या है – Lumpy Skin Disease in Cattle

’लंपी स्किन डिजीज’(Lumpy Skin Disease) रोग ‘मंकी पोक्स’ की तरह है। यह रोग मवेशियों में फैलता है। यह बहुत ही संक्रमित रोग है जो एक संक्रमित पशु से दूसरे स्वस्थ पशु तक फैलता है। यह ‘पोक्सविरिडे परिवार’((Poxviridae)) के एक वायरस के कारण होता है, जिसे ’नीथलिंग वायरस’ भी कहा जाता है। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों के कारण फैलता है। इसको ’’गांठदार त्वचा रोग वायरस’(LSDV) के नाम से भी जाना जाता है।

यह बीमारी दूषित भोजन एवं अशुद्ध पानी के कारण मवेशियों में फैलता है। इस रोग के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठे पङ जाती है और उनको तेज बुखार हो जाता है। पशु दूध कम देने लगता है तथा उनको चारा खाने में भी दिक्कत होती है। इस रोग के संक्रमण से पशुओं की मौत भी हो जाती है।

सबसे पहले लंपी डिजीज बीमारी सन् 1929 में अफ्रीका में फैली थी। इस बीमारी का अभी तक कोई टीका नहीं आया है यह बीमारी बकरियों में होने वाले ‘गोट पोक्स’ के समान है। इसलिए अभी गाय-भैंस को भी गोट पाॅक्स का टीका लगाया जा रहा है। संक्रमित मवेशियों को एंटीबायोटिक, दर्द निवारक व विटामिन की दवाई देकर ही उनका इलाज किया जा रहा है।

लंपी बीमारी कैसे फैली ?

lumpy virus in cow

सबसे पहले अफ्रीका में फैली –

लंपी डिजीज बीमारी सन् 1929 में सबसे पहले अफ्रीका में पाई गई थी। साल 2015 में तुर्की और ग्रीस में यह बीमारी फैली थी। साल 2016 में रूस में यह बीमारी पशुओं में फैली थी। जुलाई 2019 में यह बीमारी बांग्लादेश में फैल गयी। बांग्लादेश से यह पाकिस्तान तथा कई एशियाई देशों में फैल गई।

2019 से सात एशियाई देशों में फैली –

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार ’लंपी स्किन डिजीज 2019 से अब तक 7 एशियाई देशों में फैल चुकी है।साल 2019 में यह बीमारी भारत, चीन और पाकिस्तान में फैली थी। जून 2020 में यह बीमारी नेपाल में फैली। जुलाई 2020 में यह बीमारी ताइवान, भूटान में फैली। अक्टूबर 2020 में यह बीमारी वियतनाम में फैली। नवंबर 2020 में यह बीमारी हांगकांग में पहली बार सामने आई।

लंपी को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने अधिसूचित बीमारी घोषित किया है। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अगर किसी भी देश को इस बीमारी के बारे में पता चलता है तो वह विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन को अतिशीघ्र सूचित करें।

लंपी वायरस

 LSD Full Form –  Lumpy skin disease

लंपी स्किन वायरस के लक्षण – lumpy skin virus ke lakshan

  • लंपी स्किन वायरस बीमारी में जानवरों को बुखार चढ़ता है।
  • पशुओं के आंखों एवं नाक से स्राव होने लगता है।
  • उनके मुँह से लार निकलने लगती है।
  • पूरे शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पङ जाते है।
  • पशु दूध देना कम कर देता है।
  • पशुओं को भोजन करने में भी कठिनाई होती है जिस वजह से वह कम चारा खाता है। यह इस बीमारी के लक्षण है।
  • इसके अतिरिक्त इस बीमारी के कारण पशुओं के शरीर पर गांठें बन जाती है।
  • गर्दन और सिर के पास तो गांठे अधिक बनती है।
  • इस बीमारी के कारण मादा मवेशियों में बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगङापन जैसी समस्याएँ भी आ जाती है।
  • यह वायरस सबसे पहले पशुओं की स्किन को प्रभावित करता है।
  • यह वायरस मच्छर-मक्खी, जूं और ततैयों से फैलता है।
  • एक संक्रमित पशु दूसरे पशु के सम्पर्क में आता है तो भी यह वायरस फैलता है।
  • पशु के एक साथ खाने और पानी पीन से यह बीमारी फैलती है। इसलिए पशु को समूह में चारे के लिए नहीं लिया जाना चाहिए।

लंपी त्वचा रोग की 3 प्रजातियाँ –

लंपी त्वचा रोग की मुख्य रूप से तीन प्रजातियाँ होती है,

  1. कैप्रिपोक्स वायरस
  2. गोटपोक्स वायरस
  3. शीपवोक्स वायरस

मवेशियों के बीच शारीरिक दूरी बनाने के निर्देश –

पशु विज्ञानियों ने अगस्त 2019 में लंपी स्किन वायरस की पहली बार पहचान ओडिशा में की थी। डॉ. सोलंकी ने बताया कि यह बीमारी विषाणु जनक वायरस से फैल रही है। यह केप्री पोक्स की फैमिली का वायरस है। यह बीमारी एक संक्रमित मवेशी से दूसरे मवेशी में फैल जाती है, इसलिए उन्होंने निर्देश दिये है कि पशुपालक मवेशियों में शारीरिक दूरी बनाये रखे तथा पशुओं को समूह में चराने के लिए न ले जाएँ।

लंपी स्किन वायरस की दवा नहीं, लक्षण के आधार पर इलाज – lumpy skin disease in cattle symptoms

लंपी स्किन वायरस की कोई दवा नहीं है। इसी वजह से लक्षणों के आधार पर ही पशुओं को दवाई दी जा रही है। संक्रमित मवेशियों को एंटीबायोटिक, दर्द निवारक व विटामिन की दवाई देकर ही उनका इलाज किया जा रहा है।
डॉ. केपी सिंह ने बताया है कि अभी तक इस बीमारी का कोई टीका नहीं बना है। यह बीमारी बकरियों में होने वाले गोट पाॅक्स के समान है। इसलिए अभी गाय-भैंस को भी गोट पोक्स का टीका लगाया जा रहा है। इसका असर भी हो रहा है।

लंपी स्किन वायरस संक्रमण से बचाव के उपाय – lumpy skin virus se bachne ke upay

लम्पी स्किन वायरस

  • लंपी के संक्रमण से पशुओं को बचाने के लिए एक संक्रमित पशु को दूसरे स्वस्थ पशु से अलग रखना चाहिए उनके बीच शारीरिक दूरी बना कर रखें।
  • अगर आपको किसी पशु में संक्रमण की जानकारी मिलती है, तो हम स्वस्थ पशु को उससे अलग रखे।
  • गोशाला में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय किये जाने चाहिए। मुख्य रूप से मच्छर, मक्खी, पिस्सू और चिंचङी का उचित प्रबंध किया जाना चाहिए।
  • संक्रमित पशुओं की जांच और इलाज में प्रयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • संक्रमित पशु की मृत्यु हो जाने के बाद उसे खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • गोशाला में या अन्य किसी स्थान पर अगर आपको संक्रमित पशु की जानकारी मिलती है तो आप तुरन्त नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी सूचना दे।
  • पशुपालकों को अपने शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
  • पशुओं को इकट्ठा नहीं बांधना चाहिए तथा उनको चारा एवं पानी भी एक साथ नहीं देना चाहिए।
  • पशुपालकों को इकट्ठा चराने के लिए नहीं लिया जाना चाहिए।

वर्तमान समय में भारत में फैला ’लंपी वायरस’ का आंतक –

लंपी स्किन वायरस भारत में अभी हाल में आया हुआ है। इस वायरस ने पूरे देश में अपना आतंक फैला रखा है। इस बीमारी का नाम ’लंपी स्किन डिजीज’(Lumpy Skin Disease) है। यह रोग ‘मंकी पोक्स’ की तरह है। भारत में यह रोग तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। भारत में पहली बार इस रोग के मामले दर्ज किए गए है। इस वायरस के सबसे पहले मामले पंजाब राज्य में देखे गये। यह बीमारी संक्रमण से फैलती है। इस बीमारी के कारण गुजरात में अभी तक करीब 1200 गायों और भैंसों की मौत हो गई है। इस बीमारी से बचने और इसे रोकने के लिए अभी तक 2.68 लाख पशुओं को टीका लगाया जा चुका है।

भारत में कहाँ से आया ’लंपी वायरस’ –

पाकिस्तान के पंजाब, सिन्ध और बहावलनगर के रास्ते होकर ’लंपी स्किन वायरस’ ने भारत में एंट्री की है। पांकिस्तान से भारत में एक बहुत ही खतरनाक संक्रामक वायरस ’लंपी वायरस’ आया है। यह संक्रामक वायरस राजस्थान और गुजरात राज्य में दूध देने वाले मवेशियों को अधिक प्रभावित कर रहा है।

’लंपी स्किन डिजीज’ से राजस्थान और गुजरात की गायें और दूध देने वाले पशु बङी संख्या में बीमार हुए है और मर चुके है। लंपी वायरस सके कारण राजस्थान में पिछले 3 महीनों में ही लगभग 1200 गायों और मवेशियों की मौत हो चुकी है। जोधपुर राज्य में पिछले 2 हफ्तों में ही 254 मवेशियों की मौत हो चुकी है। यहाँ पर 25 हजार मवेशियों को लंपी वायरस से संक्रमित बताया गया है।
सबसे बङी चिन्ता की बात यह है कि लेम्पी वायरस का कोई इफेक्टिव इलाज मौजूद नहीं है।

लंपी वायरस का गुजरात राज्य में आतंक –

लंपी स्किन वायरस ने गुजरात राज्य में आतंक मचा रखा है। गुजरात राज्य में यह वायरस बहुत फैला चुका है और इस वायरस से बहुत संख्या में मवेशी मर चुके है। यह वायरस गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में बहुत अधिक फैल चुका है। गुजरात के 14 जिलों में ’लंपी स्किन वायरस’ फैला हुआ है। गुजरात राज्य में लंपी वायरस से प्रभावित होेने वाले जिले – कच्छ, जामनगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, पोरबंदर, मोरबी, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, बनासकांठा, पाटण, सूरत, सुरेंद्रनगर, भावनगर अरवल्ली और पंचमहल आदि।

गुजरात राज्य में अब तक 1000 से भी अधिक मवेशी मर चुके है। गुजरात राज्य में 30 हजार से अधिक गाय, भैंस इस वायरस से संक्रमित हो चुके है। गुजरात के 1126 गांव के मवेशियों को यह बीमारी हो चुकी है यह संभावित बताया जा रहा है। राज्य सरकार ने इस रोग को फैलने से रोकने के लिए सर्वेक्षण, उपचार और टीकाकरण की गतिविधियाँ और भी बढ़ा दी है। पशुओं के मेले के आयोजन पर भी राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।

राज्य के कृषि और पशुपालन मंत्री राघवजी पटेल ने बताया है कि इस वायरस रोग के कारण शनिवार तक 1,240 मवेशी मर चुके है। इस बीमारी से मवेशियों के बचाव के लिए 5.74 लाख पशुओं को टीकाकरण किया जा चुका है।

राज्य सरकार ने 26 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की है जिसमें सरकार ने मवेशियों के मेलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही राजकोट जिला प्रशासन के अनुसार अन्य राज्यों, जिलों, तालुका और शहरों से मवेशियों के आवागमन पर 21 अगस्त तक पांबदी लगा दी है।

कांग्रेस ने किसानों को मुआवजा देने की मांग –

प्रशासन ने मरे हुए मवेशियों को खुले में फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत के प्रभावित जिलों के 1,746 गांवों में 50,328 मवेशियों का इलाज किया गया है। कांग्रेस ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने बीमारी से मरे पशुओं का वास्तविक आंकङा नहीं बताया। साथ ही कांग्रेस ने किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।

जयपुर जिले में हेडक्वार्टर और 6 प्रभावित जिलों में कंट्रोल रूम बनााये जाने की कोशिश –

राजस्थान के पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने ’लंपी बीमारी’ से प्रभावित जिलों के साथ ही जयपुर हेडक्वार्टर पर कंट्रोल रूम बनाने की सलाह दी है। प्रभावित जिलों के कलेक्टर से उन्होंने बातचीत की है और वहाँ के हालात के बारे में पूछा है और बीमारी की रोकथाम के लिए इफेक्टिव एक्शन लेने को भी कहा है।

कटारिया ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए रविवार को विभाग की रिव्यू बैठक की। कटारिया ने बताया है कि ’लंपी स्किन डिजीज’ से बचाव के लिए पशु चिकित्सक सिम्पटम बेस पर इलाज कर रहे है। कटारिया ने पशुपालकों को यह सलाह दी है कि वे संक्रमित पशुओं को अलग बांधे। बुखार और गांठ जैसे लक्षण दिखने पर शीघ्र ही पशु चिकित्सक से सम्पर्क करे और उनका इलाज कराएं।

पश्चिमी राजस्थान के 6 जिलों में फैला ’लंपी वायरस’ –

पश्चिमी राजस्थान के 6 जिलों में ’लंपी स्किन डिजीज’ नामक संक्रामक बीमार फैल चुकी है, जैसे – जैसलमेर, जालौर, बाङमेर, सिरोही, जोधपुर और बीकानेर। पशुपालन मंत्री ने इस बीमारी को रोकने के लिए और इलाज के लिए आवश्यक दवाईयाँ समय पर पहुँचाने के निर्देश दिये है।

अगर कोई इमरजेंसी की हालात हो जाती है तो मेडिसीन खरीदने के लिए ’एडिशनल बजट अलोट’ कर सकते है। साथ ही उन्होंने आदेश दिया है कि जिन प्रभावित जिलों में पशु चिकित्सकों और पशु चिकित्सा कर्मियों कमी है, वहाँ पर पङोसी जिलों से मेडिकल टीम को गठित किया जाये और भेजा जाये।

लालचन्द कटारिया ने बताया है कि सोमवार को केंद्र से ’स्पेशियलिस्ट मेडिकल टीम’ प्रभावित क्षेत्र का दौर करेंगी और हालात की जानकारी लेगी।

पशुपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन ने बताया है कि जोधपुर संभाग में इस बीमारी का प्रकोप पशुओं में अधिक है। प्रभावित हर जिले को इमरजेंसी जरूरी दवाएं खरीदने के लिए 1-1 लाख रुपए और पाॅली क्लीनिक को 50-50 हजार रुपए जारी किये गये हैं। जिन प्रभावित जिलों में पैसों की आवश्यकता है वहाँ पर उन्हें एडिशनल पैसा भी दिया जायेगा।

जिन क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक होगी वहाँ पर स्टेट मेडिकल टीम और पङोसी जिलों से टीमें भेजी जायेगी।

FAQ-

लंपी स्कीन वायरस के प्रश्न –

1. लंपी स्कीन वायरस क्या है ?

उत्तर – लंपी स्कीन वायरस मवेशियों में होने वाला एक संक्रामक रोग है जो पोक्सविरेड परिवार के एक वायरस के कारण होता है। इस रोग को ’गांठदार त्वचा रोग’ भी कहते है।


2. लंपी डिजीज बीमारी सबसे पहले कहाँ पाई गई ?

उत्तर – लंपी डिजीज बीमारी सन् 1929 में सबसे पहले अफ्रीका में पाई गई थी।


3. लंपी स्किन वायरस के दो लक्षण बताइये ?

उत्तर – (1) लंपी स्किन वायरस बीमारी में जानवरों को बुखार चढ़ता है। (2) पशुओं के पूरे शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पङ जाते है।


4. लंपी त्वचा रोग की प्रजातियाँ कौनसी है ?

उत्तर – लंपी त्वचा रोग की मुख्य रूप से तीन प्रजातियाँ होती है, जैसे – (1) कैप्रिपोक्स वायरस, (2) गोटपोक्स वायरस (3) शीपवोक्स वायरस।


5. लंपी स्किन वायरस संक्रमण से बचाव के दो उपाय बताइये ?

उत्तर – (1) लंपी के संक्रमण से पशुओं को बचाने के लिए एक संक्रमित पशु को दूसरे स्वस्थ पशु से अलग रखना चाहिए उनके बीच शारीरिक दूरी बना कर रखें।
(2) गोशाला में या अन्य किसी स्थान पर अगर आपको संक्रमित पशु की जानकारी मिलती है तो आप तुरन्त नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी सूचना दे।


Conclusion – निष्कर्ष

आज के आर्टिकल में हमने जानना है कि ’लम्पी स्कीन वायरस’(Lumpy Skin Disease in Hindi) क्या होता है ? वर्तमान समय में भारत में यह बीमारी फैली हुई है और सरकार द्वारा इसके रोकथाम के उपाय भी किये जा रहे है। अगर आपको कोई भी डाउट है तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है। आपका डाउट क्लियर कर दिया जाएगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि वह भी लंपी वायरस के बारे में जान सके।

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