हॉकी खेल का इतिहास – Hockey Information in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ हॉकी खेल का इतिहास(Hockey Information in Hindi) और इससे संबंधित जानकारी साझा कर रहें है। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। इसलिए लोगों की इस खेल में बहुत रूचि है। लेकिन कुछ लोग इस खेल में बारे में ज्यादा नहीं जानते है और इसके नियमों के बारे में भी नहीं जानते है। इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम हॉकी खेल के इतिहास और हॉकी खेल के नियमों के बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते है कि हॉकी खेल कैसे खेला जाता है-

हॉकी खेल का इतिहास – Hockey Information in Hindi

Table of Contents

Hockey in Hindi

हॉकी खेल क्या है ?

दोस्तो हॉकी शब्द फ्रेंच भाषा के हॉकेट शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है- घुमावदार डंडा। यह हॉकी खेल आज से सात सौ वर्ष पूर्व आयरलैंड में हार्लिंग नाम से खेला जाता था। हॉकी खेल में दो टीमें होती है जो लकड़ी या फाईबर की स्टीक से गेंद को गोल के अंदर डाला जाता है। इस खेल का प्रारम्भ 4000 वर्ष पूर्व हुआ था। तब से यह खेल लोकप्रिय हो चला गया।

हॉकी खेल का मैदान

इस खेल में दो टीमें होती है और प्रत्येक टीम में 11-11 खिलाड़ी होते है। हॉकी के मैदान की लंबाई 91.4 मीटर और चौड़ाई 55 मीटर होती है। गोल की चौड़ाई 3.66 मीटर और ऊंचाई 2.13 मीटर होती है। इस मैदान का आकार आयताकार होता है।

hockey ka maidan

यह मैदान एक विशेष घास से ढका रहता है, इस घास को सिंथेटिक घास कहते है। मैदान के बीचो-बीच एक मध्य रेखा पाई जाती है। यह रेखा मैदान को दो भागों में बांटती है।

हॉकी स्टिक का आकार

सामान्य तौर पर स्टिक की लंबाई 105 सेमी होती है और इसका वनज 736 ग्राम तक ही होता है। हॉकी स्टिक लकड़ी की बनी होती है और इसका निचला भाग घुमावदार होता है। इसी घुमाव के कारण गोल करने में आसानी होती है।

हॉकी खेल की गेंद का आकार

⇒ हॉकी खेल की गेंद सफेद रंग की होती है और इसका वनज 163 ग्राम तक हो सकता है। 163 ग्राम से अधिक इसका वनज नहीं होता है। इस गेंद की परिधि 23.5 सेमी तक होती है।

हॉकी खेल की गेंद का आकार

हॉकी कैसे खेलते है ?

अन्य खेलों की तरह इस खेल की शुरूआत भी टॉस से की जाती है। जो टीम टॉस जीतता है उसे पहले दो क्वार्टर में गोल करने का विकल्प होता है
इस खेल में खिलाड़ी गेंद को हॉकी स्टिक से हिट करते हुए गोलपोस्ट के अंदर पहुंचाता है और टीम को स्कोर मिल जाता है। इस खेल में गोलकीपर को छोड़कर अन्य किसी भी खिलाड़ी को स्टिक के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से से गेंद को छूने की इजाजत नहीं होती है। अगर अन्य कोई खिलाड़ी ऐसा करता है तो उसे फाउल माना जाता है।
जब विपक्षी टीम का कोई भी खिलाड़ी फाउल करता है तो दूसरी टीम को पेनल्टी कॉर्नर और पेनल्टी स्ट्रोक मिलता है।

हॉकी खेल का इतिहास

हॉकी खेल का आविष्कार ईसा के जन्म से दो हजार वर्ष पूर्व हुआ था। लेकिन तब इसे अलग तरीके से खेला जाता था। इस खेल की शुरूआत मिस्र से मानी जाती है। कुुछ समय बाद हॉकी खेल का विस्तार यूनान तक हो गया और यूनान में यह खेल इतना प्रचलित हुआ कि वहां इसकी ओलंपिक प्रतियोगिता खेली जाने लगी। भारत में इस खेल का विस्तार ब्रिटिश सेना की वजह से हुआ। भारत में सबसे पहले ये खेल छावनियों और सैनिकों द्वारा खेला जाने लगा। भारत में झांसी, जबलपुर, जांलधर, लखनऊ, लाहौर आदि क्षेत्रों में मुख्य रूप से हॉकी खेला जाने लगा।

धीरे-धीरे ये खेल आधुनिक होता गया। आधुनिक युग में पहली बार हॉकी खेल की ओलंपिक प्रतियोगिता 29 अक्टूबर, 1908 को लंदन में खेला गया था। लेकिन 1924 में हॉकी को ओलपिंक खेलों से बाहर कर दिया गया। ओलपिंक से बाहर हो जाने के बाद 1984 में एक संघ की स्थापना की गई, जिसका नाम अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन) रखा गया। एशिया में हॉकी आने के बाद सबसे पहले ये खेल भारत में ही खेला गया। भारत ने आज तक आठ स्वर्ण, एक सिल्वर और दो कांस्य पदक जीत लिए है। भारत के महान हॉकी स्टार मेजर ध्यानचंद हॉकी के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। इन्हीं के जन्मदिवस पर भारत में खेल दिवस मनाया जाता है।

महिलाओं का हॉकी में योगदान

प्रारंभ में महिलाओं के खेलने पर प्रतिबंध था, लेकिन इस प्रतिबंध के बाद भी महिलाओं में हॉकी खेल में लोकप्रियता थी। लेकिन महिलाओं के लिए हॉकी के ओलपिंक आयोजित नहीं होते थे। 1927 में महिलाओं की हॉकी टीम के लिए एक संस्था का गठन किया गया, जिसका नाम ’इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ विमन्स हॉकी एसोसिएशान’ था। इस संस्था से धीरे-धीरे महिला टीम का निर्माण होने लगा और महिलाओं में हॉकी प्रति रूचि बढ़ती गई। 1974 में हॉकी का पहला महिला विश्व कप का आयोजन किया गया था।

भारत में हॉकी का योगदान

भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी ही है। यह खेल भारत में सबसे पहले कलकत्ता में खेला गया था। 26 मई, 1928 में भारत की हॉकी टीम ने पहली बार ओलपिंक में भाग लिया था और पहली बार में ही जीत प्राप्त की थी और भारत को पहला स्वर्ण पदक मिला। इस खेल में मेजर ध्यानचंद और रूपसिंह का महत्वपूर्ण योगदान था। भारत ने हॉकी के 24 ओलम्पिक मैच खेले और प्रत्येक मैच में जीत पाई है। इस खेल में भारत हमेशा विजयी रहा है। भारत ने इन 24 मैचों में 178 गोल बनाए है। भारत के झोली में 8 स्वर्ण पदक है जो कि बहुत गर्व की बात है।

हॉकी खेल में इन उपलब्धियों के कारण 1928 में हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित कर दिया। विश्व में लगातार हॉकी के 6 ओलपिंक आयोजित किए गए, इन ओलपिंक में भारत ने लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते। भारत की इस सफलता के कारण भारत को अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ की सदस्यता प्रदान की गई। भारत में हॉकी का मुख्य श्रेय मेज ध्यानचंद को दिया जाता है। मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है।

भारत की हॉकी अकादमी

भारत में हॉकी की तीन अकादमियाँ खोली गई जो वर्तमान में भी कार्यरत है-

  • एयर इंडिया अकादमी (नई दिल्ली)
  • स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड अकादमी (उड़ीसा)
  • विशेष क्षेत्र खेल अकादमी (झारखंड)

हॉकी खेलने का समय

⇒ हॉकी का मैच 60 मिनट का होता है। इसे चार क्वार्टर में बांटा जाता है। पहले और तीसरे क्वार्टर के बाद दोनों टीमों को दो मिनट का ब्रेक दिया जाता है, जिसमें वे पानी पी सकते है। इसके अलावा हाफ टाइम के बाद 15 मिनट का ब्रेक भी होता है। पहले ये मैच 70 मिनट का होता था और 35 मिनट के बाद पांच मिनट का ब्रेक मिलता था।

हॉकी खेल में खिलाड़ियों का वर्गीकरण

⇒ हॉकी खेल में 11 खिलाड़ी होते है। इन 11 खिलाड़ियों को अलग-अलग कार्य दिए जाते है। इन 11 खिलाड़ियों के अलावा 5 खिलाड़ी मैदान के बाहर खड़े होते है।
1. पांच फॉरवर्ड – ये खिलाड़ी विपक्षी से गेंद छिनकर अपनी टीम के खिलाड़ियों को गेंद पास करते है। ये सबसे आगे खड़े होते हे।
2. तीन हाफबैक- ये भी गेंद पास करने का कार्य करते है और ये खिलाड़ी मध्य पंक्ति में खड़े होते है।
3. दो फुलबैक – ये खिलाड़ी सुरक्षा पंक्ति में खड़े होते है जो विपक्षी टीम को गोल करने से रोकता है।
4. एक गोलकीपर – गोलकीपर खेल का मुख्य प्लेयर होता है। गोलकीपर चोट से बचने के लिए पैड पहनता है। केवल गोलकीपर गेंद को पैर से या शरीर से किसी अन्य अंग से गोल को रोक सकता है। अन्य खिलाड़ियों को इसकी अनुमति नहीं होती है। अन्य खिलाड़ी स्टीक से ही गेंद को पास कर सकते है।

हॉकी खेल के नियम – Hockey Rules in Hindi

हॉकी के नियम वर्ल्ड गवर्निंग बॉडी ऑफ हॉकी, फेडरेशन इंटरनेशनल डी हॉकी नाम की दो कमेटी द्वारा बनाए गए है। इसके नियम निम्न प्रकार है-

1. गेंद को गोलकीपर के अलावा कोई भी खिलाड़ी स्टिक के अलावा गेंद को छू नहीं सकता।
2. हॉकी स्टिक को कंधों से ऊपर नहीं ले जा सकते।
3. किसी भी खिलाड़ी के चोट लगने पर खेल को रोका जा सकता है।
4. अगर कोई खिलाड़ी फाउल करता है तो विपक्षी टीम को स्कोर मिलता है या उन्हें कोई मौका दिया जाता है।
5. कोई भी खिलाड़ी विपक्षी खिलाड़ी को रोकने के लिए विरोधी खिलाड़ी और गेंद के बीच स्टिक द्वारा अवरोध पैदा नहीं कर सकता है या फिर अपनी स्टीक को दूसरे खिलाड़ी की स्टीक में फसाकर उसे रोकने का प्रयास नहीं कर सकता है।
6. गेंद को उछालकर उसे जोर से हिट करके गेंद को खतरनाक बनाने पर भी प्रतिबंध है।
7. खेल में अंतिम निर्णय रेफरी का होता है। कोई भी खिलाड़ी इसका विरोध नहीं कर सकता है। अंतिम का दिया निर्णय की मान्य होगा।

हॉकी खेल के फाउल

  • पेनल्टी स्ट्रोक – यह फाउल तब होता है जब गोल को रोकन के लिए सर्कल के अंदर फाउल किया जाता है। जहां गेंद को पेनल्टी स्पॉट पर रखा जाता है। यह पेनल्टी स्पॉट गोल लाइन से 6.4 मीटर की दूरी पर होती है।
  • पेनल्टी कॉर्नर- जब विपक्षी टीम स्ट्राइकिंग सर्कल के अंदर फाउल करता है तो दूसरी टीम को एक पेनल्टी कॉर्नर मिलता है। स्ट्राइकिंग सर्कल के 23 मीटर क्षेत्र के अंदर अगर कोई गलती होती है तो अंपायर पेनल्टी कॉर्नर देता है। यह पेनल्टी आमतौर पर तब दी जाती है जब गेंद खिलाड़ी के पैर को छू जाती है। पेनल्टी कॉर्नर को एक अन्य नाम से भी जाना जाता है जिसे शॉर्ट कॉर्नर कहा जाता है।
  • फ्री हिट- जब विपक्षी टीम कोई फाउल करती है तो दूसरी टीम को एक फ्री हिट करने का मौका मिलता है। इस फ्री हिट में विपक्षी टीम के खिलाड़ी गेंद से पांच मीटर की दूरी पर खड़े होते है। विपक्षी टीम के खिलाड़ी गेंद के नजदीक नहीं आ सकते है।
  • लॉन्ग कॉर्नर- जब गेंद बैकलाइन पर चली जाती है तो टीम को लॉन्ग कॉर्नर दिया जाता है और उसी कॉर्नर में गेंद को साइड रेखा और गोल को मिलाने वाले कॉर्नर रखकर जोर से हिट किया जाता है।
  • येलो कार्ड- इस कार्ड का उपयोग खिलाड़ी को चेतावनी देने के लिए दिया जाता है। जब कोई खिलाड़ी खेल में उचित व्यवहार नहीं करता है तो उसे रेफरी द्वारा येला कार्ड दिखाया जाता है।
  • रेड कार्ड- जब कोई खिलाड़ी चेतावनी देने के बाद भी नियमों को तोड़ रहा है या उचित व्यवहार नहीं कर रहा है तो रेफरी रेड कार्ड दिखाया जाता है। इसका मतलब होता है कि उस खिलाड़ी को मैदान से बाहर कर दिया जाता है और उसकी जगह अन्य किसी खिलाड़ी को जगह दे दी जाती है।

निष्कर्ष

खेल हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और आजकल खेलों का महत्व भी बहुत बढ़ा है। लेकिन किसी भी खेल को खेलने में तभी मजा आता है जब हम खेल के नियमों का उचित तरीके से पालन करें। इस आर्टिकल में हॉकी(Hockey in Hindi) से जुड़ी सभी जानकारियों को आपके साथ साझा किया गया है। इससे आप हॉकी खेल के नियमों को आसानी से जान सकते है। अगर आपको समझने में कुछ परेशानी आ रही है तो आप कमेट करके अपनी समस्या का समाधान कर सकते है।
अगर आपको आज का आर्टिकल पसंद आया तो आप इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि सभी लोग हॉकी खेलने का सही तरीका जान सके और नियमानुसार खेल सकें।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. भारत ने हॉकी में पहला ओलपिंक स्वर्ण पदक कब जीता था ?

उत्तर- 1928 ई. में


2. भारत ने हॉकी खेल में कितने स्वर्ण पदक जीते है ?

उत्तर- 8 स्वर्ण पदक


3. हॉकी खेल का आवष्किार कहां हुआ ?

उत्तर- मिस्र में


4. ’हॉकी का जादूगर’ किसे कहा जाता है ?

उत्तर- मेजर ध्यानचंद को


5. हॉकी टीम में कितने खिलाड़ी होते है ?

उत्तर- 11 खिलाड़ी


6. हॉकी खेल कितने मिनट का होता है ?

उत्तर- 60 मिनट


7. भारत का राष्ट्रीय खेल कौनसा है ?

उत्तर- हॉकी


8. हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल कब घोषित किया गया ?

उत्तर- 1928 ई. में


9. हॉकी खेल का मैदान का आकार क्या होता है ?

उत्तर- आयताकार


10. हॉकी खेल में किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है ?

उत्तर- हॉकी स्टीक और बॉल


11. हॉकी स्टिक की लंबाई कितनी होती है ?

उत्तर- 105 सेमी


12. हॉकी के मैदान को क्या कहते है ?

उत्तर- फील्ड हॉकी


13. राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाया जाता है ?

उत्तर- हॉकी टीम के कप्तान मेजर ध्यानचंद की जयंती पर खेल दिवस मनाया जाता है।


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