Acid Rain in Hindi – अम्लीय वर्षा : प्रकार, कारण, दुष्परिणाम एवं समाधान

आज के आर्टिकल में हम अम्लीय वर्षा (Acid Rain in Hindi) के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे ,अम्लीय वर्षा के कारण,प्रभावों और इसके समाधान के बारे में चर्चा करेंगे।

अम्लीय वर्षा – Amliya Varsha Kya Hai

Table of Contents

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अम्लीय वर्षा क्या है – Amliya Varsha Kya Hai

वर्षा के पानी के साथ वायुमण्डल में घुली रासायनिक अशुद्धियों का मिलकर पृथ्वी पर गिरना है। अम्लीय वर्षा के कारण क्षेत्र के पर्यावरण पर विविध प्रकारों से नकारात्मक प्रभाव पङते हैं। अम्लीय वर्षा की समस्या औद्योगीकरण की दृष्टि से अग्रणी देशों में अधिक चिन्तनीय है। अम्लीय वर्षा का मूल कारण सल्फर-डाई-ऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड एवं नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसे हैं। इन गैसों के उत्सर्जन का मुख्य स्रोत जीवाश्म ईंधन का प्रयोग तथा औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलने वाले धुँए का वायुमण्डल में निसृत होना है।

अम्लीय वर्षा किसे कहते है ?

पृथ्वी के वायुमंडल में सल्फर-डाइ-ऑक्साइड (SO2) तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) जब जल के साथ क्रिया करते हैं तो नाइट्रिक अम्ल (HNO3) और सल्फर डाइ-ऑक्साइड या सल्फ्यूरिक अम्ल (S2SO4) बनाते हैं जो वर्षा जल के साथ वर्षा के रूप में पृथ्वी पर आते हैं इसे ही अम्लीय वर्षा (Amliya Varsha) कहते हैं।

अम्लीय वर्षा – Acid Rain in Hindi

amliya varsha kya hai

लगातार बढ़ते जीवाश्म ईंधनों के प्रयोग एवं बढ़ते औद्योगिकरण से इनसे निसृत हानिकारक पदार्थ गैसों के रूप में वायुमण्डल में प्रवेशित हो इसे प्रदूषित करते हैं एवं वर्षा जल के साथ मिलकर भी बरसते हैं। बढ़ते जनसंख्या दबाव एवं वर्तमान जीवन शैली में जीवाश्म ईधनों जैसे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयला, जलावन लकङी आदि के बढ़ते उपयोग से इनसे निसृत गैसों की मात्रा लगातार वायुमण्डल में बढ़ती जा रही है। सल्फर एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स (Sox एवं NOx) इनमें प्रमुख है। इन्हीं के लगातार वायुमण्डल में एकत्रित होने एवं बादलोें तथा वर्षा जल के साथ मिलकर बरसने को अम्लीय वर्षा (Amliya Varsha) कहते हैं।

  • Sox = सल्फ्यूरिक अम्ल (H2So4) एवं नाइट्रिक अम्ल (HNO3)
  • अम्लीय वर्षण (वर्षा, हिमपात एवं सहिम वर्षा) + वर्षण

सल्फर एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल (H2So4) एवं नाइट्रिक अम्ल (HNO3) बनाते हैं एवं इन्हीं अम्लों का वर्षा जल में मिश्रण हो जाता है एवं ये अम्ल वर्षा के रूप में पृथ्वी की सतह पर पहुँचते हैं। अम्लीय वर्षा का पीएच (PH) 5.6 या इससे कम होता है।

जब यह ऑक्साइड्स सीधे वायुमण्डल में प्रवेश ना कर मिट्टी, वनस्पति और पानी से क्रिया करते हैं, तब भी पृथ्वी के पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।

ये प्रदूषण प्रारंभिक रूप से कारखानों की चिमनियों, बसों वे स्वचालित वाहनों के जलाने से उत्सर्जित होकर वायुमंडल में मिल जाते हैं।

अम्लीय वर्षा का PH मान – Amliya Varsha ka Ph Maan

साधारण वर्षा का PH = 5.6 (दुर्बल अम्लीय)

H2O + CO2 ⇌ H2CO3

परन्तु जब वर्षा का PH 5 तो इसे अम्लीय वर्षा कहते हैं।

वातावरण में उपस्थित SO2, NO2 आदि वर्षा के H2O से क्रिया करके अम्लों का निर्माण करते है।

2 SO2 + O2 + 2 H2O → 2 H2SO4

4 NO2 + O2 + 2 H2O → 4 HNO3

अम्लीय वर्षा में अम्लों की सान्द्रता –

H2So4 > HNO3 > HCL

  • सल्फ्यूरिक अम्ल (H2So4) 60-70 %
  • नाइट्रिक अम्ल (HNO3) 30-40 %
  • हाइड्रोक्लोरीन अम्ल (HCl)

अम्लीय वर्षा की खोज – Aml Varsha

अम्लीय वर्षा शब्दावली का प्रयोग सबसे पहले राॅबर्ट एंगस स्मिथ ने 1872 में किया।

अम्लीय वर्षा के स्रोत

  • सल्फर के ऑक्साइड अधिकतम मात्रा में तापीय ऊर्जा संयंत्रों, ऑयल सेण्ड प्लान्ट्स, प्राकृतिक गैस प्रक्रम आदि से निसृत होते है। नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स अधिकतम मात्रा में वाहनों के धुएँ एवं मूलतः पेट्रोलियम शोधन, उर्वरक, सीमेन्ट, रसायन, कागज व लुगदी उद्योग आदि से निसृत होते हैं।
  • Oil Sands, Tar Sands/Bituminous Sands एक प्रकार के गैर परम्परागत पेट्रोलियम निक्षेप है। Oil Sands बिखरी हुई मिट्टी या सुगठित बलवा पत्थर हैं, जिसमें प्राकृतिक रूप से मिट्टी, चीका एवं पानी का मिश्रण गाढ़े पेट्रोलियम या बिटुमिन से संतृप्त पाया जाता है।
  • इनके मुख्य निक्षेप अलास्का में अथाबास्का ऑयल सेण्ड्स, कजाकिस्तान, रूस, यू.एस.ए. के अन्य क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इनसे प्राप्त पेट्रोलियम गैर परम्परागत तेल या क्रूड बिटुमिन कहलाता है।
  • भूमण्डलीय तापन भी अम्लीय वर्षा की सम्भावनाओं को बढ़ाता है। ताप बढ़ने के साथ-साथ कई अम्ल निर्माण प्रक्रियाएँ उत्प्रेरित होती है, जिससे अम्लीय वर्षा (Amliya Varsha) को बढ़ावा मिलता है।

अम्लीय वर्षा से प्रभावित क्षेत्र

अम्लीय वर्षा पौलेंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ताइवान के दक्षिण-पूर्वी तट, स्कैंडिनेविया एवं यूरोप तथा चीन में होती है। सबसे ज्यादा अम्लीय वर्षा ’नार्वे’ में होती है।

अम्लीय वर्षा के प्रभाव

  • अम्लीय वर्षा के कारण मिट्टी की उर्वरता पर कुप्रभाव पङता है एवं मिट्टी की गुणवत्ता में कमी के फलस्वरूप कृषि उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पङता है।
  • जलीय जीवों का नष्ट होना।
  • अम्लीय वर्षा के कारण प्राकृतिक वनस्पति की वृद्धि भी बाधित होती है, जिसके परिणामस्वरूप वन वृद्धि पर भी नकारात्मक प्रभाव पङता है।
  • ताजमहल के संगमरमर में ’प्रस्तर कोढ़’ होना।
  • अम्लीय वर्षा के फलस्वरूप झीलों तथा नदियों के जल की अम्लता/लवणता में वृद्धि के फलस्वरूप इन पारिस्थितिकी तंत्रों पर निर्भर जीवन प्रभावित होता है। पानी की अम्लता बढ़ने से मछलियों मर जाती हैं। अधिक अम्लीय पानी में प्राकृतिक खाद्य शृंखला भी कुप्रभावित होती है।
  • अम्ल वर्षा के कारण नदियों, तालाबों और झीलों का जल पीने योग्य नहीं रहता।
  • जीवाणु व नीले-हरे शैवाल का नष्ट होना।
  • अम्लीय वर्षा के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी कुप्रभाव पङता है एवं फेफङों तथा श्वसन सम्बन्धी रोग होते हैं।
  • अम्लीय वर्षा इमारतों को भी जर्जर करती है।

 

  • पेङ-पौधों की पत्तियाँ नष्ट होना।
  • अनेक देशों में वनों का क्षेत्र नष्ट होता जा रहा है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण पेङ-पौधों की वृद्धि पर बुरा पङता है।
  • जर्मनी और पश्चिमी यूरोप में जंगलों का नष्ट होने का कारण अम्ल वर्षा है।
  • तांबा और सीसा जैसे घातक तत्त्वों का पानी में मिल जाना।
  • इमारतों, मूर्तियों, पुलों, रेल, बाँध आदि को हानि होती है।
  • राइजोबियम की सक्रियता को कम करना।
  • प्रकाश संश्लेषण की दर घटना।
  • जल के पाइपों का नष्ट होना।
  • कैंसर जैसी बीमारियाँ हो जाती है।
  • त्वचा रोग, दमा आदि रोग हो जाते है।

अम्लीय वर्षा के प्रकार – Types of Acid Rain in Hindi

अम्लीय वर्षा दो प्रकार की होती है –

  1. शुष्क अम्लीय वर्षा
  2. नम अम्लीय वर्षा

(1) शुष्क अम्लीय वर्षा – सल्फेट व नाइट्रेट जब धूल के कणों पर जमकर पृथ्वी सतह पर जम जाते हैं तो इसे शुष्क अम्लीय वर्षा कहते है।

(2) नम अम्लीय वर्षा – जब वर्षा के पानी में सल्फ्यूरिक, नाइट्रिक व हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मिलकर उसे अधिक अम्लीय बनाते हैं तो इसे नम अम्लीय वर्षा कहते हैं।

अम्लीय वर्षा के कारण – Reasons of acid rain in Hindi

  • अम्लीय वर्षा वायु प्रदूषण के कारण होती है।
  • कार्बनडाइऑक्साइड से वर्षा अम्लीय होती है, क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बनिक एसिड बनाता है, जिसके कारण अम्लीय वर्षा होती है।
  • ओजोन परत कुछ अन्य कार्बनिक अम्ल जैसे – फाॅर्मिक और एसिटिक एसिड 5-20 प्रतिशत अम्लीय वर्षा में योगदान करते है।
  • वायुमंडल में सल्फर ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन के कारण वायुमंडल के जल में सल्फेट एवं सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण होता है, इसी वजह से धरती पर अम्लीय वर्षा होती है।

 

  • प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान सल्फर का निकलना या बिजली गिरने के दौरान वातावरण में नाइट्रोजन आयन का निकलना हो सकता है।
  • जीवाश्म ईंधन को जलाने से भी वर्षा अम्लीय हो जाती है। क्योंकि जीवाश्म ईंधन को जलाने से नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जिससे वायु प्रदूषित होती है।
  • उद्योगों में डीजल और कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना, कचरे तथा कागज का उत्पादन शामिल हैं।

अम्लीय वर्षा के दुष्परिणाम – Side Effects of acid rain in Hindi

  • अम्लीय वर्षा के कारण मृदा की उर्वरता में कमी आ जाती है। मृदा अनुपजाऊ हो जाती है तो फसलों को भी नुकसान होता है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण मृदा में अम्लीयता का स्तर बढ़ जाता है इसी कारण कृषि उत्पादों में भी कमी आती है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण मिट्टी में मौजूद नाइट्रेट के स्तर में भी गिरावट आ जाती है जिससे मृदा की उर्वरता कम हो जाती है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण फसलों को नुकसान पहुंचता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण नदियों एवं तालाबों का पानी भी विषैला हो जाता है, इसकी वजह से जलीय प्राणियों की भी मृत्यु हो जाती है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण समुद्र का PH गिर जाता है। जिससे समुद्रों में अम्लीकरण होता है।
  • अम्लीय वर्षा से मीठे पानी पर बुरा प्रभाव पङता है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण पेङ पौधों एवं फसलों की वृद्धि में गिरावट होती है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण वातावरण अशुद्ध हो जाता है।

 

  • अम्लीय वर्षा के कारण संगमरमर से बनी इमारतों को नुकसान पहुंचता है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण वातावरण दूषित हो जाता है।
  • महासागरों में वातावरण से अधिक मात्रा में नाइट्रोजन के मिलने से समुद्री पौधों की वृद्धि होती है, जिससे हानिकारक शैवाल उग जाते है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण लकङी, सीमेंट, स्टील एवं पत्थर से बने भवनों को भी नुकसान पहुंचता है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण वायु प्रदूषित हो जाता है जिससे आंखों एवं शरीर में जलन होती है तथा साथ-ही-साथ सांस लेने में भी परेशानी होती है।
  • अम्लीय वर्षा के कारण पानी के पाइपों को भी नुकसान पहुँचता है जिससे भारी धातुओं जैसे – लोहा, तांबा और सीसा आदि का पीने के पानी में रिसाव होता है।
  • अम्लीय वर्षा जंगेलों के लिए भी हानिकारक होती है। क्योंकि इससे एल्युमिनियम मिट्टी में मिल जाती है, जिससे पेङों के लिए पानी लेना मुश्किल हो जाता है।
  • अम्लीय वर्षा के दुष्प्रभाव से व्यक्ति के शरीर में कैंसर एवं श्वास की बीमारी हो जाती है।

अम्लीय वर्षा की समस्या का समाधान – Amliya Varsha

  • वायु को प्रदूषित होने से बचाया जाना चाहिए।
  • पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए हर एक तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • चूना बहुत क्षारीय होता है जिससे जल में मौजूद अम्लों नष्ट हो जाते है इसलिए चूने की मदद से नदियों एवं झीलों के पानी को स्वच्छ किया जाना चाहिए।
  • उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाली सल्फर डाई ऑक्साइड को कम किया जाना चाहिए।
  • उत्प्रेरक कनवर्टर की मदद से वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को शुद्ध वायु में परिवर्तित किया जाना चाहिए।
  • ऊर्जा संरक्षण करना चाहिए।
  • जीवाश्म ईंधन को उपयोग किए बिना ऊर्जा का उत्पादन करना।
  • परिष्कृत शालाओं के द्वारा डीजल का उत्पादन किया जाना चाहिए।

 

  • शहरों में सभी मोटरयान, दुपहिया वाहन, टैक्सी एवं बसे इन सभी को चलाने के लिए गैस का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • अम्लीय वर्षा से होने वाले नुकसान को विभिन्न तकनीकी के द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।
  • गन्धक युक्त ईंधन एवं गन्धक रहित ईंधन प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • ऐसे उपकरण खरीदे जो कम बिजली का उपयोग करते है।
  • नवीनीकरण संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
  • डीजल एवं ईंधन तक के शोधन कारखानों में से गन्धक को पूर्णतया दूर कर दिया जायेगा।
  • आर्थिक क्षेत्र की विभिन्न तकनीकी के द्वारा प्रदूषण नियंत्रण विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग करना।
  • वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

FAQ – Acid Rain in Hindi

1. अम्लीय वर्षा क्या है ?

उत्तर – पृथ्वी के वायुमंडल में सल्फर-डाइ-ऑक्साइड (SO2) तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) जब जल के साथ क्रिया करते हैं तो नाइट्रिक अम्ल (HNO3) और सल्फर डाइ-ऑक्साइड या सल्फ्यूरिक अम्ल (S2SO4) बनाते हैं जो वर्षा जल के साथ वर्षा के रूप में पृथ्वी पर आते हैं इसे ही अम्लीय वर्षा कहते हैं।


2. अम्लीय वर्षा की खोज किसने की थी ?

उत्तर – राॅबर्ट एंगस स्मिथ


3. अम्लीय वर्षा में कौन-सा अम्ल उपस्थित रहता है ?

उत्तर – नाइट्रिक अम्ल


4. किस देश में सर्वाधिक अम्लीय वर्षा होती है ?

उत्तर – नार्वे


5. अम्लीय वर्षा में कौनसे प्रदूषक वर्षा जल को प्रदूषित करते है ?

उत्तर – सल्फर डाइ ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड


6. कौनसी गैस वायुमण्डल में अम्लीय वर्षा की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी है ?

उत्तर – SO2


7. अम्लीय वर्षा में किसकी मात्रा सर्वाधिक होती है ?

उत्तर – सल्फ्यूरिक एसिड


8. अम्लीय वर्षा का कारण क्या है ?

उत्तर – वायुमंडल में सल्फर ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन के कारण वायुमंडल के जल में सल्फेट एवं सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण होता है, इसी वजह से धरती पर अम्लीय वर्षा होती है।


9. अम्लीय वर्षा का दुष्प्रभाव क्या है ?

उत्तर – अम्लीय वर्षा के दुष्प्रभाव से व्यक्ति के शरीर में कैंसर एवं श्वास की बीमारी हो जाती है।


10. अम्लीय वर्षा कितने प्रकार की होती है ?

उत्तर – अम्लीय वर्षा दो प्रकार की होती है – 1. शुष्क अम्लीय वर्षा, 2. नम अम्लीय वर्षा।

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