आज की पोस्ट में हम राजस्थान के चर्चित कुंभलगढ़ दुर्ग(Kumbhalgarh Fort) के बारें में विस्तार से जानेंगे |
राजसमन्द जिले में अवस्थित पहाङी दुर्ग (जरगा पहाङियाँ)।
कुंभलगढ़ दुर्ग के उपनाम :
- मत्स्येन्द्र
- कुम्भलपुर
- माहोर
- कुम्भलमेर
- मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी
➡️ निर्माण- कुंभा द्वारा- दो तीन पहाङियों पर।
➡️ निर्माण समय- 1458 ई.
➡️ कुंभा द्वारा निर्मित कुंभलगढ़ का दुर्ग ऊंची पहाङी पर है। इसके भीतर स्थित लघु दुर्ग इसकी विशेषता है। इसके बारे में अबुल फजल ने लिखा था कि ‘यह इतनी बुलंदी पर बना हुआ है कि नीचे से ऊपर की तरफ देखने पर सिर पर रखी हुई पगङी गिर जाती है।’
➡️ डिजाइन- गुजराती पंडित मंडन के द्वारा किया गया था।
➡️ यह राजस्थान का सुरक्षा की दृष्टि से सर्वप्रमुख दुर्ग है। इसका निर्माण कुंभा ने द्वितीय रक्षा पंक्ति के रूप में करवाया। मेवाङ चारों ओर से दुश्मनों से घिरा था। अतः युद्ध की आशंका सदैव रहती थी, अतः सुरक्षित स्थान की आवश्यकता हेतु यह अति आवश्यक जरूरत थी।
यह गहरी घाटियों से घिरा हुआ है। इसके अन्दर कटार गढ़ नामक अन्य दुर्ग है, जिसके भीतर कुम्भा का महल है। इसके बाहर पानी के टांके, अन्न भंडार, सैनिक बस्तियाँ आदि है।
➡️ कर्नल जेम्स टाॅड ने इस दुर्ग की तुलना एट्रास्कन से की है। कुंभलगढ़ दुर्ग में एक लघु दुर्ग कटारगढ़ स्थित है। जिसमें झाली रानी का मालिया महल प्रमुख है। इसमें कुंभ द्वारा निर्मित कुंभस्वामी विष्णु मंदिर है।

कुंभलगढ़ दुर्ग से जुङी कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – Kumbhalgarh Fort
➡️ राणा सांगा की मृत्यु के बाद मेवाङ राजपरिवार की स्वामीभक्त पन्ना धाय ने अपने पुत्र चन्दन की बलि देकर उदयसिंह को बनवीर से बचाया तथा कुंभलगढ़ भेजा। कुंभलगढ़ के किलेदार आशा देवपुरा के पास उसका लालन-पालन हुआ।
➡️ इसी दुर्ग में उदयसिंह का मेवाङ के महाराणा के रूप में राज्याभिषेक हुआ।
➡️ कुंभलगढ़ दुर्ग में ही वीर शिरोमणि महाराण प्रताप का जन्म 1540 ई. में हुआ।
➡️ कुम्भलगढ़ दुर्ग में जाने के लिए आरटेपोल तथा हल्ला पोल होते हुए दुर्ग के मुख्य प्रवेश द्वार हनुमान पोल है।
➡️ हनुमानपोल के पास ही कुम्भा ने माण्डलपुर विजय कर वहाँ से लाकर स्थापित की गई हनुमान की मूर्ति है।
➡️ दुर्ग के महाराणा कुम्भा के द्वारा अपने शिल्पियों मण्डन, जैता, पूजा, नापा से शास्त्रोक विधि से वेदी का निर्माण करवाया था, जो यज्ञस्थल है।
➡️ इस दुर्ग में स्थितत झालीबाव व मामदेव कुण्ड हैं तथा इनके पास ही कुंभस्वामी का विष्णुमंदिर है। यहीं कुम्भा के पुत्र ऊदा ने उनकी हत्या कर दी थी।
➡️ इस दुर्ग में कुंवर पृथ्वीराज की 12 स्तम्भों की छतरी है। जिसमें चारों ओर सत्रह सतियों की मूतियों वाला स्तम्भ है। इस छतरी का वास्तुकार श्री घषनपना थे।
FAQS
1. कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण किसके द्वारा करवाया गया था?
➡️ महाराणा कुम्भा
2. कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
➡️ राजसमंद जिला में
3. कुम्भलगढ़ दुर्ग किस पहाड़ी पर स्थित है?
➡️ जरगा की पहाड़ियों पर
4. महाराणा कुम्भा के द्वारा राजस्थान में किस दुर्ग का निर्माण करवाया गया था?
➡️ कुम्भलगढ़ दुर्ग
5. कुम्भलगढ़ दुर्ग को मेवाड़ व मारवाड़ सीमा का प्रहरी किस कारण कहा जाता है?
➡️ मेवाड़ व मारवाड़ की सीमा पर स्थित होने के कारण इस दुर्ग को मेवाड़ व मारवाड़ सीमा का प्रहरी कहा जाता है
6. राजस्थान में स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग दुर्गों की किस श्रेणी में शामिल है?
➡️ गिरि दुर्ग
7. कुम्भलगढ़ दुर्ग का वास्तुकार कौन था?
➡️ मण्डन
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