• Home
  • Rajasthan History
  • India GK
  • Grammar
  • Articals
  • Psychology

Gk Hub

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • Rajasthan History
  • India GK
  • Grammar
  • Articals
  • Psychology

मारवाड़ का इतिहास || maarvaad ka itihaas || Rajasthan gk

Author: K.K.SIR | On:12th May, 2019| Comments: 4

Tweet
Share
Pin
Share
0 Shares

Table of Contents

  • मारवाङ का इतिहास(maarvaad ka itihaas)
  • राव सीहा –
  • राव चुंडा –
  • राव जोधा (1438-89)-
  • राव गंगा –
  • राव मालदेव (1531-62)
  • सुमेलगिरी का युद्ध
  • हरमाङे का युद्ध
  • राव चन्द्रसेन (1562-81)-
  • मोटा राजा उदयसिंह (1583-95)
  • जसवंतसिंह प्रथम (1638-78)
  • धरमत का युद्ध – 1658ः
  • दौराई का युद्ध-
  • महाराजा अजीत सिंह-
  • महाराजा मानसिंह (1803-43)-

आज की पोस्ट में हम मारवाड़ का इतिहास पढ़ेंगे

मारवाङ का इतिहास(maarvaad ka itihaas)

राजस्थान के राठौङों की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न मत हैं। मुहणौत नैणसी ने इन्हें कन्नौज के शासक जयचंद गहढ़वाल का वंशज माना है।  मोहम्मद गौरी ने 1193 ई. में कन्नौज पर आक्रमण कर राठौङ जयचंद गहढ़वाल को हराकर उसका राज समाप्त कर दिया।

तब कुछ वर्षों बाद जयचंद के पौत्र सीहाजी अपने कुछ राठौङ सरदारों के साथ 13 वीं सदी में राजस्थान आ गए और पाली के उत्तर-पश्चिम में अपना छोटा-सा राज्य स्थापित किया।

सीहा के उत्तराधिकारियों ने धीरे-धीरे अपने राज्य का विस्तार किया। इस प्रकार राव सीहा मारवाङ के राठौङ वंश के संस्थापक थे।

राव सीहा –

इन्होंने मारवाङ के राठौङ वंश की स्थापना 13 वीं शताब्दी में की। अतः इन्हें मारवाङ के राठौङों का संस्थापक, मूल पुरुष आदि पुरुष कहते हैं।

राव चुंडा –

⇒ राव सीहा के वंशज वीरमदेव का पुत्र राव चुंडा इस वंश का प्रथम प्रतापी शासक हुआ, जिसने मांडू के सूबेदार से मंडोर दुर्ग छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया। उसने अपना राज्य विस्तार नाडोल, डीडवाना, नागौर आदि क्षेत्रों तक कर लिया।

⇔ राव चूंडा द्वारा अपने ज्येष्ठ पुत्र को अपना उत्तराधिकारी न बनाए जाने पर उनका ज्येष्ठ पुत्र रणमल मेवाङ नरेश महाराणा लाखा की सेवा में चला गया।

वहां उसने अपनी बहन हंसाबाई का विवाह राणा लाखा से इस शर्त पर किया कि उससे उत्पन्न पुत्र ही मेवाङ का उत्तराधिकारी होगा।

कुछ समय पश्चात् रणमल ने मेवाङ की सेना लेकर मंडोर पर आक्रमण किया और सन् 1426 में उसे अपने अधिकार में ले लिया।

महाराणा लाखा के बाद उनके पुत्र मोकल तथा उनके बाद महाराणा कुंभा के अल्पवयस्क काल तक मेवाङ के शासन की देखरेख रखमल के हाथों में ही रही।

पंरतु कुछ सरदारों के बहकावे में आकर महाराणा कुंभा ने सन् 1438 ई. में रणमल की हत्या करवा दी।

राव जोधा (1438-89)-

अपने पिता रणमल की हत्या हो जाने के बाद उनके पुत्र राव जोधा मेवाङ से भाग निकले पंरतु मेवाङ की सेना ने उनका पीछा किया और मंडोर के किले पर मेवाङ की सेना ने अधिकार कर लिया।

राव जोधा ने 1453 ई. में पुनः मंडोर के किले पर मेवाङ की सेना ने अधिकार कर लिया। सन् 1459 में उन्होंने चिङियाटूक पहाङी पर जोधपुर दुर्ग (मेहरानगढ़) का निर्माण करवाया और इसके पास वर्तमान जोधपुर शहर बसाया।

उनके समय जोधपुर राज्य अत्यधिक विस्तार हो चुका था। इसी समय इनकी एक रानी हाङी जसमा देवी ने किले के पास ’रानीसर’ तालाब बनवाया। जोधा की दूसरी रानी सोनगरी (चैहान) चांदकुंवरी ने एक बावङी बनवाई जो चांदबावङी के नाम से प्रसिद्ध है।

किले के पास जोधा ने ’पदमसर’ तालाब बनवाया। 1489 में राव जोधा की मृत्यु हो गई।

राव गंगा –

इन्होंने 1527 ई. के खानवा के युद्ध में अपने पुत्र मालदेव के साथ सांगा की सहायता की थी। इनके पुत्र मालदेव ने इनको महल की खिङकी से गिराकर इनकी हत्या कर दी। अतः मालदेव मारवाङ का पितृहन्ता कहलाता है।

राव मालदेव (1531-62)

यह राव गंगा का पुत्र था। इसे फरिश्ता ने ’’ हसमत वाला शासक’’ कहा जाता है। जो 5 जून, 1531 को जोधपुर की गद्दी पर बैठा था। इसका राज्यभिषेक सोजत में सम्पन्न हुआ।

राव मालदेव राठौङ वंश का सबसे योग्य व प्रतापी शासक हुआ। इनका विवाह जैसलमेर के शासक रावल लूणकरण की पुत्री उमादे से हुआ। जो विवाह की पहली रात से ही अपने पति से रूठ गई।

जो आजीवन ’रूठी रानी’ के नाम कसे प्रसिद्ध रही और तारागढ़ अजमेर में अपना जीवन बिताया।

सुमेलगिरी का युद्ध

1544 ई. में अफगान बादशाह शेरशाह सूरी और मालदेव की सेनाओं के बीच सुमेलगिरी मैदान (पाली) में हुुआ। जिसमें शेरशाह सूरी की बङी कठिनाइयों से विजय हुई।

तब उसने कहा था कि ’मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।’ इस युद्ध में मालदेव के वीर सेनानायक जेता एवं कूँपा मारे गए।

इसके बाद शेरशाह ने जोधपुर के दुर्ग पर आक्रमण कर अपना अधिकार कर लिया तथा वहां का प्रबंध खवास खाँ को संभला दिया। मालदेव ने कुछ समय बाद पुनः समस्त क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया।

हरमाङे का युद्ध

सुमेल युद्ध के बाद अजमेर पर भी शेहशाह का अधिकार हो गया था। इस समय वहां हाजी खाँ नामक अमीर नियुक्त था।

शेरशाह की मृत्यु के बाद जब हुमायूँ ने पुनः दिल्ली-आगरा पर अधिकार कर लिया तो परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए मेवाङ के महाराणा उदयसिंह ने अजमेर को जीत लिया।

इस अवसर पर हाली खाँ अलवर-मेवात में ंथा। हुमायूँ की मृत्यु के बाद सम्राट अकबर ने मेवाङ के लिए मुगल सेना भेज दी। हाजी खाँ वहां से भागकर महाराणा की शरण में उदयसिंह और बीकानेर के कल्याणमलन ने मालदेव के विरुद्ध उसकी सहायता के लिए सैनिक दस्ते भेज दिए।

अतः मालदेव की सेना बिना युद्ध किए ही वापस लौट गई। उसके कुछ दिनों बाद ही ’रंगराय’ नामक वेश्या को लेकर महाराणा उदयसिंह और हाजी खाँ के आपसी संबंध बिगङ गए और महाराणा ने हाजी खाँ को दंड देने का निश्चय किया। अब हाजी खाँ ने मालदेव से सहायता की याचना की।

मालदेव तो पहले ही महाराणा से खिन्न था और वह मेवाङ की बढ़ती हुई शक्ति को भी नियंत्रित करना चाहता था। अतः उसने तत्काल हाजी खाँ की सहायता के लिए सेना भेज दी।

उधर, मेवाङ की सेना भी हरमाङे नामक स्थान पर जा पहुंची। हाजी खाँ और मालदेव की सेना ने भी हरमाङे में मोर्चा जमा लिया। हरमाङे के इस युद्ध में मेवाङ की सेना बुरी तरह पराजित हुई। इससे राजस्थान में मालदेव की प्रतिष्ठा पुनः स्थापित हो गई।

राव चन्द्रसेन (1562-81)-

इन्हें मारवाङ का राणा प्रताप, प्रताप का अग्रगामी, भूला-बिसरा राजा आदि नामों से जाना जाता है। राव चन्द्रसेन मारवाङ नरेश राव मालदेव के छठे पुत्र थे।

राव मालदेव के देहांत के बाद उनके कनिष्ठ पुत्र राव चन्द्रसेन 1562 में जोधपुर की गद्दी पर बैठे। उस समय राव चन्द्रसेन के तीनों बङे भाइयों में कलह पैदा हो गया था।

इस दौरान राव चन्द्रसेन परिवार सहित भाद्राजूण की तरफ चले गए। मौके का लाभ उठाकर 1564 ई. में जोधपुर किले पर मुगल सेना का अधिकार हो गया था।

राव चन्द्रसेन प्रथम राजपूत शासक थे जिन्होंने अपनी रणनीति में दुर्ग के स्थान पर जंगल और पहाङी क्षेत्र को अधिक महत्व दिया। इन्होंने जीवन भर अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।

जब नवम्बर 1570 ई. में अकबर हुआ था वहां कई राजपूत राजाओं ने उपस्थित होकर उपस्थित होकर अकबर की अधीनता स्वीकार की थी।

वहां राव चन्द्रसेन भी भाद्राजूण से नागौर दरबार में आए थे परंतु अन्य राजाओं की तरह उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की एवं चुपचाप वहां से भाद्राजूण चले गए।

मोटा राजा उदयसिंह (1583-95)

उदयसिंह मारवाङ का प्रथम शासक था, जिसने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर उनसे वैवाहिक संबंध स्थापित किए। राव उदयसिंह ने अपनी पुत्री मानीबाई (जगत गसाई) का विवाह शहजादा सलीम (जहांगीर) से कर मुगलों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए।

 

जसवंतसिंह प्रथम (1638-78)

इनका राज्यभिषेक आगरा में हुआ। मुगल बादशाह शाहजहां ने इन्हें ’’महाराजा’’ की उपाधि देकर सम्मानित किया था। 1656 ई. में शाहजहां के बीमार हो जाने पर उसके चारों पुत्रों में उत्तराधिकार का संघर्ष हुआ।

महाराजा जसवंतसिंह ने शाहजहां के बङे पुत्र दाराशिकोह का साथ दिया। और औरंगजेब को हराने के लिए उज्जैन की तरफ सेना लेकर गए।

धरमत का युद्ध – 1658ः

औरंगजेब एवं दाराशिकोह के मध्य उत्तराधिकार युद्ध, जो उज्जैन के पास धरमत में लङा गया। शाही फौज ने औरंगजेब को हरा दिया। मारवाङ शासक महाराजा जसवंत सिंह प्रथम ने इस युद्ध में दाराशिकोह की शाही सेना का नेतृत्व किया था।

दौराई का युद्ध-

11 मार्च से 15 मार्च 1659 में अजमेर के निकट दौराई स्थान पर पुनः दाराशिकोह एवं औरंगजेब की सेना के मध्य युद्ध हुआ। जिसमें दाराशिकोह की सेना पराजित हुई और जसवंत सिंह प्रथम औरंगजेब की शरण में चले गए।

28 नवम्बर 1678 ई. में महाराजा का जमरूद (अफगानिस्तान) में इनका देहांत हो गया। जसवंत सिंह प्रथम के मंत्री मुहणोत नैणसी ने ’ नैणसी की ख्यात’ एवं ’मारवाङ रा परगाना री विगत’ नामक दो ऐतिहासिक ग्रंथ लिखे थे

परंतु अंतिम दिनों में महाराजा जसवंत सिंह प्रथम से अनबन हो जाने के कारण नैणसी को कैदखाने में डाल दिया। जहां उसने आत्महत्या कर ली।

महाराजा जसंवत की मृत्यु के समय इनकी रानी गर्भवती थी परंतु जीवित उत्तराधिकारी के अभाव में औरंगजेब ने जोधपुर राज्य को मुगल साम्राज्य में मिला लिया।

जसंवत सिंह की मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा था ’आज कुफ्र (धर्म विरोध) का दरवाजा टूट गया है।’

महाराजा अजीत सिंह-

महाराजा जसंवत सिंह की गर्भवती रानी के राजकुमार अजीतसिंह को 19 फरवरी, 1679 को लाहौर में जन्म दिया।

जोधपुर के राठौङ सरदार वीर दुर्गादास एवं अन्य सरदारों ने मिलकर औरंगजेब से राजकुमार अजीतसिंह को जोधपुर का शासक घोषित करने की मांग की थी परन्तु औरंगजेब ने इसे टाल दिया एवं कहा कि राजकुमारी के बङा हो जाने पर उन्हें राजा बना दिया जाएगा।

इसके बाद औरंगजेब ने राजकुमार एवं रानियों को परवरिश हेतु दिल्ली अपने पास बुला लिया। इन्हें वहां रूपसिंह राठौङ की हवेली में रखा गया। उसके मन मे पाप आ गया था और वह राजकुमार को समाप्त कर जोधपुर राज्य को हमेशा के लिए हङपना चाहता था।

वीर दुर्गादास औरंगजेब की चालाकी से राजकुमार अजीतसिंह एवं रानियों को ’बाघेली’ नामक महिला की मदद से औरंगजेब के चंगुल से बाहर निकल लाए और गुप्त रूप से सिरोही के कालिन्दी स्थान पर जयदेव नामक ब्राह्मण के घर पर उनकी परवरिश्ज्ञ की।

दिल्ली में एक अन्य बालक को नकली अजीतसिंह के रूप में रखा।

बादशाह औरंगजेब ने बालक को असली अजीतसिंह समझते हुए उसका नाम मोहम्मदीराज रखा। मारवाङ में भी अजीतसिंह को सुरक्षित न देखकर वीर राठौङ दुर्गादास ने मेवाङ में शरण ली।

मेवाङ महाराणा राजसिंह ने अजीतसिंह के निर्वाह के लिए दुर्गादास को की जागीर प्रदान की।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद महाराजा अजीतसिंह ने वीर दुर्गादास व अन्य सैनिकों की मदद से जोधपुर पर अधिकार कर लिया और 12 मार्च ,1707 केा उन्होंने अपने पैतृक शहर जोधपुर में प्रवेश किया।

बाद में गलत लोगों के बहकावे में आकर महाराजा अजीतसिंह ने वीर दुर्गादास जैसे स्वामीभक्त वीर को अपने राज्य से निर्वासित कर दिया, जहां वे वीर दुर्गादास दुःखी मन से मेवाङ की सेवा में चले गए।

महाराजा अजीतसिंह ने मुगल बादशाह फर्रुखशियर के साथ संधि कर ली और लङकी इन्द्र कुँवरी का विवाह बादशाह से कर दिया।

23 जून, 1724 को महाराजा अजीतसिंह की इनके छोटे पुत्र बख्तसिंह ने सोते हुए हत्या कर दी। अतः बख्तसिंह मारवाङ का दूसरा पितृहन्ता कहालाता है।

महाराजा मानसिंह (1803-43)-

1803 में उत्तराधिकार युद्ध के बाद मानसिंह जोधपुर के सिंहासन पर बैठे। तब मानसिंह जालौर में मारवाङ की सेना से घिरे हुए थे। तब गोरखनाथ सम्प्रदाय के गुरु आयम देवनाथ ने भविष्यवाणी की, कि मानसिंह शीघ्र ही जोधपुर के राजा बनेंगे।

अतः राजा बनते ही मानसिंह ने देवनाथ का जोधपुर बुलाकर अपना गुरु बनाया तथा वहां नाथ सम्प्रदाय के महामंदिर का निर्माण करवाया।

इन्होंने 1818 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ आश्रित पार्थक्य की संधि की। मानसिंह व जगतसिंह द्वितीय के मध्य कृष्णा कुमारी के कारण गिंगोली का युद्ध हुआ।

दोस्तो आज की पोस्ट में आपने  मारवाड़ का इतिहास के बारें में पढ़ा ,आपको ये जानकारी कैसे लगी ,नीचे दिये कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें 

ये भी जरूर पढ़ें ⇓⇓

राजस्थान का एकीकरण जरूर पढ़ें 

राजस्थान के स्वतन्त्रता सैनानी

मेवाड़ का इतिहास

राजस्थान की मिट्टियाँ

राजस्थान के मैले

राष्ट्रपति की सम्पूर्ण जानकारी जानें 

 

Tweet
Share
Pin
Share
0 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें :

  • एफिलिएट मार्केटिंग क्या है – Affiliate Marketing Kya Hai || घर बैठे लाखों कैसे कमायें

    एफिलिएट मार्केटिंग क्या है – Affiliate Marketing Kya Hai || घर बैठे लाखों कैसे कमायें

  • Rajathan Current GK – राजस्थान करंट जीके || समसामयिक घटनाचक्र – Current Affairs 2022

    Rajathan Current GK – राजस्थान करंट जीके || समसामयिक घटनाचक्र – Current Affairs 2022

  • GenYoutube App Download – Apk, Login, Register, Video

    GenYoutube App Download – Apk, Login, Register, Video

Comments

  1. Sunil Pareek says

    May 10, 2019 at 6:10 PM

    Bhut achhi post h

    Reply
  2. Yashpal says

    May 11, 2019 at 7:08 AM

    Zordaar……….Authentic Notes

    Reply
  3. Mahendra Kumar saini says

    May 12, 2019 at 10:19 PM

    Bhut good sir

    Reply
  4. Subhash chander says

    August 24, 2021 at 6:59 AM

    Bahut achchha prayas hai sir

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Primary Sidebar

Recent Posts

  • राजस्थान के मुख्य सचिव – Chief Secretary of Rajasthan || राजस्थान सचिवालय
  • Rush Apk Download – Latest Version App, Register, Login
  • स्टर्नबर्ग का त्रितंत्र बुद्धि सिद्धांत – Sternberg Ka Tritantra Buddhi Siddhant
  • एफिलिएट मार्केटिंग क्या है – Affiliate Marketing Kya Hai || घर बैठे लाखों कैसे कमायें
  • Rajathan Current GK – राजस्थान करंट जीके || समसामयिक घटनाचक्र – Current Affairs 2022
  • GenYoutube App Download – Apk, Login, Register, Video
  • राजस्थान के प्रमुख खिलाड़ी – Rajasthan ke Pramukh Khiladi
  • राजस्थान के पशु मेले – Rajasthan ke pramukh Pashu Mele
  • राजस्थान में जल संरक्षण की विधियाँ और तकनीक – REET Mains 2023
  • राजस्थान की प्रमुख बोलियाँ – Rajasthan ki Boliyan

Categories

  • Amazon Quiz Answers
  • Answer Key
  • App Review
  • Basic Chemistry
  • Basic Knowledge
  • Biography
  • Biography in Hindi
  • Celebrity
  • Chalisa
  • computer knowledge
  • Cricket
  • CTET
  • Ecommerce
  • Education
  • Election Result
  • Entertainment Service
  • Featured
  • Games
  • GK Questions
  • Government Scheme
  • Government Schemes
  • Health
  • hindi grammer
  • india gk
  • India History
  • Indian History GK Quiz
  • Ipl cricket
  • latest news
  • LOAN
  • Math
  • Money Earn Tips
  • NEET Exam
  • Pahada Table
  • political science
  • Psychology
  • Rajasthan Current Gk
  • Rajasthan Exam Paper
  • Rajasthan Exam Solved Paper
  • Rajasthan Gk
  • rajasthan gk in hindi
  • Rajasthan GK Quiz
  • Rashifal
  • Reasoning Questions in Hindi
  • Reet Exam Gk
  • REET IMPORTANT QUESTION
  • Reet Main Exam
  • Religious
  • Sanskrit Grammar
  • Science
  • Technical Tips
  • ugc net jrf first paper
  • Uncategorized
  • word history
  • World geography
  • Yoga
  • भूगोल
  • राजस्थान का इतिहास
  • राजस्थान का भूगोल

10 Popular Posts

1500+ Psychology Questions in Hindi || मनोविज्ञान प्रश्न || REET/CTET/RPSC
REET Exam Leval 2 -सामाजिक-महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी || प्रतिदिन 30 प्रश्न
मौर्यवंश पीडीएफ़ नोट्स व वीडियो-Rajasthan Gk – Important Facter
REET Exam Level 2 Part-2 -सामाजिक-महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी || प्रतिदिन 30 प्रश्न
भारतीय संविधान के संशोधन – Important Amendments in Indian Constitution
100 flowers Name in English- Names of Flowers
Sukanya Samriddhi Yojana-सुकन्या योजना की पूरी जानकारी देखें
REET Exam Level 2 Quiz-8-सामाजिक-महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी || प्रतिदिन 30 प्रश्न
psychology quiz 3
Corona Virus || कोरोना वायरस क्या है || लक्षण || बचाव

Footer

जनरल नॉलेज

 Indian Calendar 2022
 Reasoning Questions in Hindi
 बजाज पर्सनल लोन की पूरी जानकारी
 हस्त रेखा ज्ञान चित्र सहित
 हॉटस्टार लाइव टीवी ऐप कैसे डाउनलोड करें
 आज का राशिफल
 कल मौसम कैसा रहेगा?
 WinZO Game App क्या है
  कैरम बोर्ड गेम कैसे खेलें
 स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
 पर्यावरण प्रदूषण क्या है

Top 10 Articles

 100 Pulses Name in Hindi and English
 60 Dry Fruits Name In Hindi and English
 Week Name in English Hindi
 100 Vegetables Name In English and Hindi
 100 Animals Name in English
 100 flowers Name in English
 Week Name in English Hindi
 Cutie Pie Meaning in Hindi
 At The Rate Kya Hota Hain
 Colours Name in English

Top 10 Articles

 Spice Money Login
 DM Full Form
 Anjana Om Kashyap Biography
 What is Pandora Papers Leaks
 Safer With Google
 Turn Off Google Assistant
 Doodle Champion Island Games
 YouTube Shorts क्या है
 Starlink Satellite Internet Project Kya Hai
 Nitish Rana biography in Hindi
Copyright ©2020 GKHUB DMCA.com Protection Status Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us