राजस्थान की झीलें – Rajasthan ki Jhilen || 2024 राजस्थान का भूगोल

Read : राजस्थान की झीलें, आज की पोस्ट में राजस्थान भूगोल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण विषयवस्तु राजस्थान की झीलों(Rajasthan ki Jhilen) के बारे विस्तृत जानकारी देने वाले है

राजस्थान की झीलें – Rajasthan ki Jhilen

Table of Contents

राजस्थान में मिलने वाली सभी खारी झीलें पश्चिमी राजस्थान में मिलती है। जबकि मीठे पानी की झीलें राज्य दोनों भागों में मिलती हैं।

खारे पानी की प्रमुख झीलें

राज्य में खारे पानी की झीलें टेथिस सागर के अवशेष है। रेगिस्तान में खारे पानी के छोटे खड्डे या अस्थाई झीलें रन या टाॅड (जैसलमेर में सर्वाधिक) तथा बङी झीलें प्लाया कहलाती है जो राजस्थान में सर्वाधिक है जबकि तटीय प्रदेशों में कयाल या लेंगून कहलाती है , जो केरल में सर्वाधिक है। राजस्थान की सबसे बङी (क्षेत्रफल की दृष्टि से) खारे पानी की साँभर झील (जयपुर ग्रामीण व डीडवाना-कुचामन) में है, तो भारत व राजस्थान की सबसे खारी (स्वाद की दृष्टि से ) झील पंचभद्रा झील (बालोतरा) है।

ध्यान रहे- डीडवाना झील (डीडवाना-कुचामन) व साँभर झील (जयपुर ग्रामीण) राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र मे नमक बनाने का कार्य किया जाता है।

सांभर (जयपुर ग्रामीण) झील

यह झील प्रशासनिक रूप से जयपुर ग्रामीण जिले के फुलेरा गाँव में स्थित है, कुछ भाग डीडवाना-कुचामन व अजमेर में है अतः प्रशासनिक कार्य जयपुर ग्रामीण से किया जाता है। साँभर झील का तल समुद्र तल से भी नीचा है। यह राजस्थान की सबसे बङी प्राकृतिक व खारे पानी की झील है लेकिन बिजौलिया शिलालेख के अनुसार साँभर झील का निर्माता वासुदेव चौहान था।

इसमें मेंथा, रूपनगढ़, खारी, खण्डेल और तुरतमती नदियाँ आकर गिरती है। यहाँ देश का सर्वाधिक नमक (8.7 प्रतिशत) प्राप्त होता है, तो यहाँ देश का पहला ’नमक का अजायबघर/म्यूजियम की स्थापना की गई जिसे पर्यटन के क्षेत्र में ’रामसर साइट’ के नाम से पुकारा जाता है। यहाँ केन्द्र सरकार का ’हिन्दुस्तान साँभर साॅल्ट लिमिटेड’ नामक कारखाने की स्थापना 1964 में की गई।

  • क्षेत्रफल की दृष्टी से राजस्थान की सबसे बड़ी झील है।
  • 500 वर्गमीटर में फैली हुई है।
  • केंद्र व राज्य का अनुपात  60:40
  • पर्यटन विकास हेतु सांभर झील को 1990 में रामसर साईट/नम श्रेणी भूमि में शामिल किया गया।
  • सांभर झील में देवयानी तीर्थस्थल, नालीसर मस्जिद, शाकम्भरी माता का मंदिर स्थित है।

डीडवाना झील (डीडवाना-कुचामन)

इस झील को खाल्ङा भी कहते हैं। यहाँ निजी संस्थाओं (जिन्हें देवल कहते है) के द्वारा सर्वाधिक नमक उत्पादन किया जाता है। यहाँ के नमक में सर्वाधिक सोडियम फ्लोराइड व सोडियम सल्फेट की मात्रा अधिक है अतः यह नमक खाने के योग्य नहीं होता है, इसी कारण यहाँ का नमक चमङा उद्योग व कागज उद्योग में उपयोगी है।

यहाँ राज्य सरकार के दो कारखाने राजस्थान स्टेट केमिकल्स वर्क्स लगे हुए है।

पंचभद्रा (बालोतरा) झील-

बालोतरा  में पंचा भील ने दलदल सुखाकर इस झील का निर्माण किया। वर्तमान में यहाँ खारवाल जाति के लोग ’मोरली झाङी’ से नमक बनाते हैं।

यहाँ ’सर्वश्रेष्ठ किस्म का नमक’ पाया जाता है। जिसमें (सोडियम क्लोराइड) 98 प्रतिशत पाया जाता है। यह राजस्थान की ही नहीं अपितु भारत की भी सबसे खारी झील (स्वाद में) हैं।

अन्य खारे पानी की झीलें

झीलजिला
कुचामनडीडवाना-कुचामन
लूणकरणसरबीकानेर
रैवासासीकर
काछौरसीकर
पीथमपुरीसीकर
कावोदजैसलमेर
पोकरणजैसलमेर
बापफलौदी

राजस्थान की मीठे पानी की झीलें

जयसमन्द झील (सलूम्बर)

जयसमन्द झील का प्राचीन नाम ’ढेबर झील’ है, जो भारत की दूसरी (प्रथम गोविन्दसर) व राजस्थान की सबसे बङी कृत्रिम झील है। अन्तः प्रवाह की झील है, जिसका निर्माण जयसिंह ने गोमती नदी पर बाँध बनाकर 1685 से 1691 में करवाया। इसमें गोमती, झावरी व केलवा नदियों का जल गिरता है।

इसमें कुल सात टापू है, जिनमें से बङे टापू को ’बाबा का भागङा’ व छोटे टापू को ’प्यारी’ कहते हैं तथा एक टापू ’बाबा का मगरा’ पर ’आइसलैण्ड रिर्सोट’ नामक होटल है। इसमें से दो नहरें श्यामपुरा नहर व भाट/भाटखेड़ा  नहर निकाली गई है तथा इसके निकट 6 कलात्मक छतरियाँ व निकट पहाङी पर चित्रित हवामहल/रूठी रानी का महल स्थित है।

  • सात टापुओं पर भील व मीणा  जनजाति के लोग निवास करतें है।
  • इसे जलचरों की बस्ती भी कहतें है।
  • जयसमन्द झील के पूर्व में लासड़िया का पठार स्थित है।

राजसमन्द (राजसमन्द) झीलें-

कांकरोली (राजसमन्द) मे राजसिंह (मेवाङ के शासक के नाम पर बनी झील)ने 1600 से 1662 में इसका निर्माण करवाया। इस झील में गोमती नदी का पानी गिरता है।

यह राज्य की एकमात्र झील है जिसके नाम पर जिले का नाम पङा। राज्य सरकार ने इसे धार्मिक दृष्टि से पवित्र झील घोषित किया। इस झील के उत्तरी भाग को नौ चौकी की पाल  कहते हैं, जहाँ तेलंग ब्राह्मण रणछोङ भट्ट द्वारा संस्कृत भाषा में काले संगमरमर पर 25 खण्डों में शिलालेख लिखा गया है, जिसमें मेवाङ का इतिहास लिखा हुआ है। इन्हे राजप्रशस्ति के नाम से जाना जाता है जो कि विश्व की सबसे बङी प्रशस्ति है। यह राजस्थान की दूसरी बङी कृत्रिम झील है।

ध्यान रहे- इस झील की स्थापना राजस्थान की एकमात्र ’कुँवारी सती घेवर माता’ द्वारा रखी गई थी, जिसका मंदिर इसी झील के किनारे पर स्थित है। (नन्दसमन्द झील भी राजसमन्द जिले में है)

इस झील के किनारे द्वारकाधीश का मंदिर भी है।

कायलाना (जोधपुर) झील-

शुरूआत में यह प्राकृतिक झील थी, जिसे वर्तमान स्वरूप 1872 ई. में सर प्रताप ने दिया और वर्तमान में इस झील में इंदिरा गाँधी नहर की शाखा ’राजीव गाँधी लिफ्ट नहर ’ का पानी आता है। इससे जोधपुर शहर को पेयजल दिया जाता है। इस झील के किनारे काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध भारत का प्रथम मरू वानस्पतिक उद्यान  माचिया सफारी पार्क स्थित है।

सिलिसेढ़ (अलवर) झील-

दिल्ली से जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग- 8 पर स्थित सिलीसेढ़ झील का निर्माण विनयसिंह ने रानी शिला हेतु करवाया था, जिसे ’राजस्थान का नन्दन कानन’ कहते हैं। वर्तमान में इसे होटल लेक पैलेस में तब्दील कर दिया गया है।

कोलायत (बीकानेर) झील-

यह एक प्राकृतिक झील है जहाँ कपिल मुनि (सांख्य दर्शन के प्रवर्तक) का मेेला प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा (नवम्बर) को भरता है। यह झील राष्ट्रीय राजमार्ग-15 पर स्थित है जिसे ’’शुष्क मरूस्थल या पश्चिमी राजस्थान का सुन्दर उद्यान’’ के नाम से जाना जाता है।

गजनेर (बीकानेर) झील-

इस झील का पानी ’दर्पण के समान’ प्रतीत होता हे, इसी कारण इस झील को ’’पानी का शुद्ध दर्पण’’ की उपमा दी गई है।

आनासागर (अजमेर) झील-

यह झील नागपहाङ व तारागढ़ के मध्य स्थित है। इस झील में बाण्ड नदी का पानी आता है। जिसका निर्माण तुर्कों की सेना के संहार के बाद खून की रंगी धरती को साफ करने के लिए अर्णोराज ने 1137 में चन्द्रा नदी के जल को रोककर करवाया।

जहाँगीर ने इसके पास में ही शाहीबाग/दौलत बाग जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान के नामों से जाना जाता है का निर्माण करवाया व जहाँगीर के पुत्र शाहजहाँ (खुर्रम) ने 5 बारहदरी का निर्माण करवाया।

ध्यान रहे- दिल्ली सल्तनत के ऐसे दो मुगल बादशाह जहाँगीर व शाहजहाँ थे, जिनकी माताएँ हिन्दू थी।

फाॅयसागर (अजमेर) झील-

इसका निर्माण इंजीनियर फाॅय के निर्देशन में अजमेर नगर निगम द्वारा अकाल राहत कार्य के तहत बांडी नदी पर बाँध बनाकर करवाया। इसमें अधिक जल भरने पर इसका पानी आनासागर झील में जाता है।

मानसागर (जयुपर) झील-

इस झील में जयपुर का जलमहल स्थित है। यहाँ ’ताल-2007’ का आयोजन किया गया।

रामगढ़ (बारां) झील-

इस झील का निर्माण ’उल्का पिंड’ से हुआ है।

रामदेवरा (जैसलमेर) झील-

कुष्ठ रोगों का निवारण हेतु इस झील का महत्व है। यह राज्य की सबसे बङी मीठे पानी की प्राकृतिक झील है, जिसका निर्माण ज्वालामुखी से हुआ था अतः यह झील क्रेटर या काॅल्डेरा झील कहलाती है। (भारत की दूसरी कालाडेरा झील लोनार महाराष्ट्र में है)

पुष्कर (अजमेर) झील-

राजस्थान की यह धार्मिक दृष्टि से सबसे पवित्र झील, जिसे तीर्थराज/ तीर्थों का मामा/कोंकण तीर्थ/ आदि तीर्थ/ हिन्दुओं का पाँचवा तीर्थ भी कहते है।

लेकिन यह राजस्थान की सर्वाधिक प्रदूषित झील है। इस झील को सर्वप्रथम पुष्करणा ब्राह्मणों द्वारा खोदी जाने के कारण इसका नाम पुष्कर झील पङा। 1809 ई. में मराठा सरदारों ने इसका पुनः निर्माण कर यहाँ गौ घाट का भी निर्माण करवाया।

यह झील NH-89 पर स्थित है, जिसके किनारे पर ब्रह्मा जी व नजदीक पहाङी पर माँ सावित्री का मंदिर है। ब्रह्मा जी की मूर्ति आद्य शंकराचार्य ने रखी थी तथा इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप गोकुल चन्द पारीक ने करवाया।

यही पर वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, तो इसके पास में भर्तृहरि की गुफा व कण्व मुनि का आश्रम है। यहीं पर विश्वामित्र की तपस्या मेनका ने भंग की, कौरवों पाण्डवों का मिलन हुआ, 1911 में मेडम मैरी ने महिला घाट (जनना घाट) बनाया जो गाँधी घाट कहलाता है, भगवान रामजी ने अपने पिता दशरथ का पिण्डदान किया, तो 1997-98 में यहाँ कनाङा के सहयोग से सफाई की गई।

यहाँ पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा राज्य का सबसे रंगीन मेला सर्वाधिक ऊँट बिक्री के लिए प्रसिद्ध है।

नक्की (माउण्ट आबू, सिरोही) झील-

यह झील माउण्ट-आबू में स्थित है जिसका निर्माण 14 वीं शताब्दी में किया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोद कर किया इसलिए इसे नक्की झील कहा जाता है।

यह राजस्थान की सबसे ऊँची/सबसे गहरी/ विवर्तनिकी झील है। इसमें दो चट्टाने हैं, जिनकी आकृति टाॅड-राॅक (मेंढ़क के समान) व नन राॅक (महिला के समान) जैसी हैं। यह राज्य की एकमात्र झील है, जो सर्दियों में अक्सर जम जाती है। इसी झील के किनारे सनसेट का दृश्य निहारने के लिए पर्यटक माउण्ट-आबू (सिरोही) में जाते हैं। यहाँ गरासिया जनजाति के लोग अस्थियाँ विर्सजन करते हैं।

गैव सागर (डूंगरपुर) झील-

इसे ’’एडवर्ड सागर बाँध भी कहते हैं। इसके मध्य में बादल महल बना हुआ है।

पिछोला (उदयपुर) झील-

यह बेङच नदी पर स्थित है इसका निर्माण 14 वीं शताब्दी में राणा लाखा के शासन काल में एक चिङिमार बंजारे ने बैल की स्मृति में करवाया। उदयसिंह ने इसकी पाल का पक्का करवाया। इसमें सीसारमा व बुझङा नदी आकर गिरती है। इस झील में जगमन्दिर करणसिंह ने 1620 में शुरू तथा जगतसिंह प्रथम ने 1651 में पूर्ण करवाया।

ध्यान रहे- यहाँ शरजादा खुर्रम (शाहजहाँ) गुजरात अभियान के तहत तथा अंग्रजो ने 1857 की क्रान्ति के समय शरण ली व जगनिवास/झील महल/लेक पैलेस (जगतसिंह द्वितीय ने 1746 में पूर्ण) करवाया।

इस झील में झील बीजारी नामक स्थान पर नटनी (गलकी) की स्मृति में गलकी नटनी का चबूतरा बनाया गया, तो महाराणा प्रताप के पुत्र अमरसिंह व मानसिंह की मुलाकात पिछोला झील के किनारे ही हुई।

फतेहसागर झील-

इसका निर्माण जयसिंह ने देवाली गाँव में करवाया अतः इसे ’’देवाली तालाब’’ कहते हैं। इसकी आधार शिला ’ड्यूक ऑफ़ कनाॅट’ द्वारा रखी गई, इसलिए इसे ’कनाॅट झील’ भी कहते हैं। बाद में बाढ़ से क्षतिग्रस्त होने पर फतेहसिंह ने इसका पुनः निर्माण करवाया, इसी कारण इसे फतेहसागर झील कहते हैं। इसके एक टापू पर नेहरू उद्यान है। इसके पास मोती मगरी में प्रताप का स्मारक, सहेलियों की बाङी (बगीचा), इस झील में नेहरू आइलैण्ड (द्वीप) तथा सौर वैद्यशाला स्थित है। इस झील के किनारे अन्तरिक्ष के अध्ययन हेतु ’टेलिस्काॅप’ (दूरबीन) लगाई गई है।

स्वरूप सागर (उदयपुर) झील-

पिछोला झील को फतेहसागर से जोङने के लिए बनाई गई तंग झील को ’स्वरूप सागर’ कहते हैं। इसका निर्माण महाराणा स्वरूप सिंह ने करवाया था।

मोती झील (भरतपुर)-

रूपारेल नदी के जल को रोककर मोती झील का निर्माण करवाया। इसे ’भरतपुर की लाइफ लाईन/जीवन रेखा’ कहते हैं। इस झील में प्राप्त नील हरित शैवाल एन-2 से युक्त खाद प्राप्त होती हैं।

तालाब-ए-शाही झील (धौलपुर)-

इसका निर्माण जहाँगीर के मनसबदार सलेह खाँ ने करवाया।

उदयसागर झील (उदयपुर)-

इस झील का निर्माण महाराणा उदयसिंह ने करवाया, जिसमें आयङ नदी गिरने के बाद बेङच नदी के नाम से जानी जाती है।

बाल समन्द झील (जोधपुर)-

यह झील जोधपुर-मण्डौर मार्ग पर स्थित है जिसका निर्माण परिहार शासक राव बाउक (बालक राव प्रतिहार) ने 1159 ई. में करवाया।

तलवाङा झील (हनुमानगढ़)-

घग्घर नदी के मुहाने राजस्थान की सर्वाधिक नीचाई (समुद्रतल से) पर स्थित है।

अन्य प्रमुख मीठे पानी की झीलें-

जैसलमेर जिलें में अमर सागर झील, गढ़सीसर झील, बुझ झील,

गंगानगर जिलें मे- बुढ्ढा जोहङ झील,

जयपुर जिले में- रामगढ़ झील, गलता झील, मानसागर झील,

चित्तौङगढ़ जिले में- भोपाल सागर,

झालावाङ जिले में- काँडेला झील (मानसरोवर झील), भीमसागर,

बूंदी जिले में- जैतसागर झील, नवलसागर झील, कनकसागर झील (इसका दूसरा नाम दुगारी झील है), रामसागर झील (सारस व  क्रेन के लिए प्रसिद्ध है),

उदयपुर जिले में- गोवर्धन सागर झील,

कोटा जिले में- किशोर सागर झील (कोटा),

पाली जिले में- चौपड़ा झील स्थित हैं।

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