आज के आर्टिकल में हम TDS Payment Online के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे ,इसका अर्थ व इसके चरणों को समझेंगे |
टीडीएस क्या है ? (TDS kya hai)
TDS(Tax Deducted at Source) सरकार द्वारा टैक्स लेने का एक तरह का इनडायरेक्ट तरीका होता है जिससे टैक्स की चोरी को रोका जाता है।भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत TDS भारतीय नागरिकों के द्वारा अप्रत्यक्ष कर जमा करने का एक महत्वपूर्ण source है।
TDS Full Form
आपको यह जानना भी जरुरी है कि टीडीएस का फुल फॉर्म क्या है- Tax Deducted at Source
इसका हिन्दी में अर्थ है ‘स्रोत पर टैक्स कटौती’। यहां स्रोत ‘sources’ से मतलब है—कमाई का स्रोत या जरिया । इनकम टैक्स एक्ट के तहत कमाई के प्रमुख स्रोत 5 प्रकार के माने गए हैं
- Income from business/profession
- ⋅Income as salary
- Income as capital gains
- ⋅Income from house property
- Income From other sources
टीडीएस में यह होता है कि ये सैलरी देने वाले संस्थान/व्यक्ति, हमें Payment देने से पहले ही हमारा टैक्स काट लेते हैं। और बाकि बची हुई रकम हमें Salary या Payment के रूप में दे देते हैं।
टीडीएस पेमेंट करने वाले व्यक्ति या संस्थान (Payer ) द्वारा काटा जाता है। Payer को Deductor और हमें Deductee के नाम से जाना जाता है।
अब आप समझ गए होंगे कि टीडीएस क्या होता है और इसे कौन काटता है |
टीडीएस सभी आय और सभी लेनदेन के लिए व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है। अलग-अलग भुगतान और प्राप्तकर्ताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए आयकर अधिनियम द्वारा TDS की अलग-अलग RATE निर्धारित हैं।
टीडीएस कैसे कार्य करता है?
Paying unit कर के रूप में भुगतान की गई राशि का एक निश्चित प्रतिशत काटती है, और Deductee को शेष राशि का भुगतान करती है। Deductee को टीडीएस की राशि बताते हुए कटौतीकर्ता से एक certificate भी प्राप्त होता है। कटौतीकर्ता इस TDS राशि का दावा कर सकता है क्योंकि उसके द्वारा दिए Deductor उस financial year के लिए भुगतान किया जाता है जिसमें यह कटौती की जाती है।
यदि कोई व्यक्ति यह सोचता है कि एक वित्तीय वर्ष में उसकी कुल आय छूट की सीमा से कम हुई , तो उसे यह अधिकार है कि वह भुगतानकर्ता को फॉर्म 15G / 15H जमा करके TDS नहीं जमा के लिए कह सकता है।
टीडीएस के नियम(TDS rules) :
TDS निर्धारित समय पर काट लेना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है। तो 1% प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।
TDS काटने के पश्चात कलेक्ट की गई धन राशि को कम्पनी या संस्था को अगले महीने की 7 तारीख तक सरकार के पास जमा करना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है। तो हर महीने 1.5% की दर से अलग ब्याज देना पड़ सकता है।
आमतौर पर हर महीने टीडीएस काटा जाता है। जिसका रिटर्न हर तिमाही के अगले महीने की अंतिम तारीख तक दाखिल होना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि एक 31 जुलाई , 31 अक्टूबर , 31 जनवरी और 31 मई तक जमा करना चाहिए।
TDS online payment कैसे करें ?
- आयकर विभाग की वेबसाइट www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
- लॉग-इन करें और TAN नंबर आपका यूजर आईडी और पासवर्ड डालें।
- लॉग-इन करने के बाद ‘Upload TDS’ पर क्लिक करें।
- सही डिटेल भरें और accept पर क्लिक करें।
- इसके बाद, आप अपना डिजिटल Signature अपलोड करें।
- एक बार जब आप आवश्यक Document अपलोड कर देंगे तो आपके स्क्रीन लेनदेन आईडी पर एक Msg दिखाई देगा जो आपके Email Id पर भी भेजा दिया जाएगा।
ऐसे समझें (NSDL website TDS online payment):
STEP:1 TAX के ई-पेमेंट के लिए NSDL की वेबसाइट Open करें , दाएं साइड में Pay taxes Online मेनू में Click to pay tax online पर क्लिक करें
STEP:2 TDS/TCS सेक्शन में ‘चालान नंबर/आईटीएनएस 281′ का चुनाव करें।
Process पर क्लिक करें
STEP:3 इस पेज पर आपको ये जानकारी दर्ज़ करनी हैं: यदि किसी कंपनी को पेमेंट करते समय आप टीडीएस काट रहे हैं तो ‘टैक्स एप्लीकेबल’ में जाकर ‘Company Deductees’ का चयन करें। अगर ऐसा नहीं है तो ‘Non-Company Deductees’ का चयन करें। टीएएन (TAN) और आंकलन वर्ष दर्ज़ करें जिसके लिए आप पेमेंट कर रहे हैं। पिन कोड नंबर दर्ज़ करें और लिस्ट में से अपना State का चयन करें । अब यह सलेक्ट करें कि पेमेंट आपके द्वारा काटे गए टीडीएस का किया जाना है या नियमित टीडीएस भुगतान है। ड्रॉप डाउन लिस्ट में से ‘Nature of Payment’ और ‘मोड ऑफ पेमेंट’ का चुनाव करें।और सबमिट बटन पर क्लिक करें।
STEP:4 इसे सबमिट करने पर एक कन्फर्मेशन स्क्रीन हमें दिखाई देगी
STEP:5 दर्ज़ किए गए डेटा की पुष्टि के बाद आप अपने बैंक की नेट बैंकिंग साइट पर redirect होंगे।
STEP: 6 अब हमें यहां बैंक द्वारा दिये गए नेट बैंकिंग यूजर नेम और पासवर्ड द्वारा लॉग-इन करना होता है।
STEP: 7 सफल भुगतान होने पर, एक चालान काउंटर फाइल डिस्प्ले होता है जिसमें सीआईएन, पेमेंट और बैंक की जानकारी होती है जिससे भुगतान किया गया है। यह काउंटर फाइल हमारे भुगतान का सबूत होता है। टीडीएस का भुगतान करने के बाद, हमें अपना TDS Return भरना होता । हम टीडीएस डेटा कभी भी कहीं भी एक्सेस कर सकते हैं।
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