दोस्तो आज की पोस्ट में महाराणा प्रतापसिंह के बारें सिर्फ वही तथ्य बताए गए है जो हर परीक्षा में पूछे ही जातें है आप इन तथ्यों को अच्छी तरह से तैयार करें
महाराणा प्रतापसिंह(Maharana Pratap Singh) (1572-97 ई .)
जन्म – 9 मई 1540 ई. (ज्येष्ठ शुक्ल), रविवार – कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। |
महाराणा प्रताप के बचपन का नाम – कीका |
पिता – उदयसिंह |
माता – जैवंताबाई (पाली) |
पत्नी – अजबदे पंवार |
पुत्र – अमरसिंह |
नोट – प्रताप का जन्म – 1540 ई., चन्द्रसेन का जन्म – 1541 ई., अकबर का जन्म – 1542 ई. (रविवार) को हुआ।
अकबर के शांति अभियान –
1. जलाल खाँ – 1572 ई. में |
2. मानसिंह – 1573 ई. में गोपीनाथ शर्मा के अनुसार प्रताप व मानसिंह की मुलाकात गोगुन्दा में हुआ। टाॅड के अनुसार उदयसागर झील पर हुई। |
3. भगवनदास (1573 ई. में) |
4. टोडरमल – (1573 ई. में) टोडरमल अकबर भू-राजस्व व्यवस्था का प्रमुख था इसने ’’दक्षाल’’ पद्धति चलाई थी। |
5. रहीम जी – अब्दुल रहीम खानखाना – 1580 ई. में |
6. जगन्नाथ कच्छवाह – (1584 ई. में) महाराणा प्रताप के विकद्ध अंतिम अभियान लेकर गया था |
- हल्दीघाटी युद्ध/गोगुन्दा का युद्ध (बदायुनी)/खमनौर का युद्ध (अबुल फजल)/मेवाङ की थर्मोपल्ली (टोडमल)/रक्ततलाई/हाथियों का युद्ध/बनास का युद्ध – 18 या 21 जून 1576 – मानसिंह व आसफ खां सेनापति बनाए गए।
⇒ मानसिंह अजमेर से रवाना होकर मांडलगढ़ पहुँचा।
⇒ 2 माह तक मांडलगढ़ में रुका।
⇒ इसके बाद खमनौर (राजसमन्द) पहुँचा।
⇒ मानसिंह मर्दाना हाथी पर था।
⇒ मानसिंह की हरावल सेना का नेतृत्व जगन्नाथ कच्छवाह व सैय्यद खां कर रहे थे।
⇒ मानसिंह की चन्द्रावल सेना का नेतृत्व मिहतर खां कर रहा था।
⇒ मिहतर खां में बादशाह के जाने की झूठी खबर फैलाई।
⇒ हल्दीघाटी युद्ध का प्रत्यक्ष दृष्टा इतिहासकार बँदायुनी था।
⇒ राणा की हरावल सेना का नेतृत्व हाकिम खां सूर कर रहा था ये प्रताप का एकमात्र मुस्लिम सेनापति था।
⇒ हाकिम खां सूरी का मकबरा खमनौर में है।
⇒ राणा की चन्द्रावल सेना का नेतृत्व भील पूजा कर रहा था पूजा एकमात्र भील है जिसे प्रताप ने राणा लगाने की इजाजत दी।
प्रताप के अन्य सहयोगी –
⇒ जगन्नाथ, केशव, कृष्णदास, झाला बीदा (प्रताप का राज चिन्ह धारण किया था।)
⇒ प्रताप के हाथियों के नाम – लूणा, रामप्रसाद (इसका नाम अकबर ने पीर प्रसाद कर दिया था।)
⇒ मुगलों के हाथियों के नाम – गजराज, गजयुक्ता, रणमंदिर।
⇒ प्रताप के घोङो का नाम – एटक (ये अस्तबल में रहता था।), चेतक (छतरी बलीचा (राजस्थान में))
⇒ गोपीनाथ शर्मा के अनुसार हल्दीघाटी युद्ध अनिर्णित युद्ध था।
⇒ नवीन शोधोें के अनुसार (छब्म्त्ज्) इसमें प्रताप की विजय हुई।
⇒ हल्दीघाटी युद्ध के बाद प्रताप कोल्यार (उदयपुर) गांव पहुंचे व घायल सैनिकों का उपचार किया।
⇒ 1576 में ही अकबर उदयपुर आया और उदयपुर का नाम मुमदाबाद कर दिया।
⇒ इसके बाद अकबर हल्दीघाटी देखने गया।
⇒ अकबर ने नाथद्वारा व मोही में 30,000 सैनिक छोङ दिए।
⇒ अकबर ने उदयपुर का प्रशासन फकरुद्दीन व जगन्नाथ को सौंपा।
⇒ इसके बाद अकबर डूंगरपुर व बांसवाङा गया।
⇒ बांसवाङा का राव प्रताप सिंह व डूंगरपुर के आसकरण ने अधीनता स्वीकार की।
शाहबाज खां का आक्रमण –
⇒ प्रथम बार शाहबाज खां आक्रमण – (1577 ई.) मेवाङ की ओर आया। कुंभलगढ़ की ओर आक्रमण किया।
⇒ राणा कुंभलगढ़ छोङकर पहाङियों में चले गए।
⇒ 1578 में शाहबाज खां अजयदुर्ग कुंभलगढ़ को जीत लिया।
⇒ इतिहास में कुंभलगढ़ दुर्ग सिर्फ एक बार ही जीता गया है।
⇒ शाहबाज खां ने यह दुर्ग गाजी खां को सौंप दिया।
⇒ कुंभलगढ़ के बाद शाहबाज खां गोगुन्दा व उसके बाद उदयपुर पहुंचा।
⇒ शाहबाज खां ने मेवाङ में 50 थाने स्थापित कर दिए।
⇒ दूसरी बार शाहबाज खां आक्रमण (दिसम्बर-1578 ई.) मेवाङ आया।
⇒ तीसरी बार शाहबाज खां नवम्बर-1579 ई. में आया।
⇒ राणा आबू चले गए, आबू के राव धुल्ला के यहां रहे धुल्ला की पुत्री से विवाह किया व धुल्ला को राणा लगाने की इजाजत दी।
⇒ 1580 ई. में वापस आ गए।
⇒ भामाशाह से मुलाकातः भामाशाह व ताराचंद ने राणा से मुलाकात की उस समय राणा चूलिया गांव (चितौङगढ़) में थे।
⇒ भामाशाह ने इनकी आर्थिक सहायता की।
⇒ यह इतनी दल राशि थी जिससे राणा 25000 सैनिक 12 वर्ष तक रख सकते थे।
⇒ राणा ने भामाशाह को अपना प्रधानमंत्री बनाया इससे पहले राणा का प्रधानमंत्री रामा महासणी था।
⇒ भामाशाह को मेवाङ को उद्धारक व टाॅड ने मेवाङ का कर्ण कहा है।
⇒ रहीम जी अभियान (1580) -रहीम का परिवार शेरपुरा गांव में रूका हुआ था।
⇒ अमरसिंह ने इनके परिवार को गिरफ्तार कर लिया बाद में प्रताप के कहने पर वापस छोङ दिया।
⇒ दिवेर का युद्ध (अक्टूबर-1582)- दिवेर चौकी का प्रभारी-सुलतान खां
⇒ राणा व कुंवर अमरसिंह ने चौकी पर आक्रमण किया सुल्तान को मार दिया।
⇒ दिवेर से राणा के विजयों की शुरूआत मानी जाती है।
⇒ दिवेर के युद्ध को महाराणा प्रताप के गौरव का प्रतीक कहा जाता है।
⇒ टाॅड ने इस युद्ध को मेवाङ का मेराथन कहा है।
⇒ जगन्नाथ कच्छवाहा का अभियान (1584ई.)- राणा के विरूद्ध अंतिम अभियान के रूप में भगवनदास का भाई
जगन्नाथ कच्छवाह आया।
⇒ राणा ने मालपुरा (टोंक) कस्बे को लूटा था। 1585 में लूणा चावण्डिया को हराकर प्रताप ने अंतिम राजधानी चावण्ड को
बनवाई व यहां चामुण्डा माता का मंदिर बनवाया।
⇒ चावण्ड राजधानी 1605 तक रही। यहां धनुष की प्रत्यंचा खींचते समय आंतो में खिंचाव हो गया।
⇒ 19 जनवरी 1597 को राणा की मृत्यु हो गई।
⇒ इनका दाह संस्कार बाङौली (चितौङ) में हुआ।
⇒ बाङौली में प्रताप की 8 खंभों की छतरी बनी है।
⇒ चेतक की छतरी बलीचा (राजसमंद) में है।
महाराणा प्रताप के स्मारक –
हल्दीघाटी में
फतेहसागर झील- उदयपुर
पुष्कर – अजमेर
⇒ मेवाङ फांउडेशन द्वारा खेल के क्षेत्र में महाराणा प्रताप पुरस्कार व पत्रकारिता के क्षेत्र में हल्दीघाटी पुरस्कार दिया जाता है।
⇒ पर्यावरण के क्षेत्र में उदयसिंह पुरस्कार दिया जाता है।
⇒ हिन्दु-मुस्लिम सौहार्द्र के लिए हाकिम खां सूरी पुरस्कार दिया जाता है।
⇒ जनजाति उत्थान – राणा पूंजा पुरस्कार
⇒ बलिदान के लिए- पन्ना धाय पुरस्कार
⇒ पातल का पीथल – यह रचना कन्हैयालाल सेठिया ने लिखी। इसमें पातल महाराणा प्रताप व पीथल पृथ्वीराज राठौङ को कहा गया है।
⇒ कन्हैयालाल सेठिया जी सुजानगढ़ (चुरु) के थे।
⇒ सेठिया जी की अन्य रचनाएं- कू-कू, मींझर , धरती धोरां री, आज हिमालय बोल उठा, धर मंझला धर ऊंचा आदि।
⇒ पृथ्वीराज राठौङ (बीकानेर)- यह अकबर के दरबार में थे।
⇒ अकबर ने राठौङ को गागरोन की जागीर दी।
⇒ गागरोन दुर्ग में इन्होंने डिंगल भाषा में ’’बैली किशन रूक्मणी री’’ नामक ग्रंथ लिखा था।
⇒ इस ग्रंथ को दुरसा आडा में पांचवा वेद व 19 वां पुराण कहा गया।
⇒ पृथ्वीराज को टेसीटोरी ने डिंगल का हेराॅन्स कहा था।
⇒ टेसीटोरी इटली के थे।
⇒ इनका सम्बन्ध चारण साहित्य से है।
⇒ इनकी मृत्यु बीकानेर में हुई थी।
⇒ टेसीटोरी को धोराँ रो धोरी भी कहा जाता है।
⇒ पृथ्वीराज राठौङ ने महाराणा प्रताप के लिए कहा था
मायङ जैङो पूत अण, जैङो महाराणा प्रताप।
अकबर सूतो ओज में, जाण सिराणै सांप।।
⇒ दुरसा आडा इन्होंने ’’विकद्ध छहतरी बावनो’’ नामक ग्रंथ लिखा था।
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राजस्थान के स्वतन्त्रता सैनानी
राष्ट्रपति की सम्पूर्ण जानकारी जानें
बहुत अच्छा।
कृपया महाराणा प्रताप का पुरा विडियो बनाने का प्रयास करें।
Super sir ji …
Achi h
Osm
Nice…..Acha lga sir ap ka ye pariyas…….. Ache nots h
Shubhaas Gi Jai hoo
Sir yadi apki aavaj m maharana pratap ka video bn jye to bhut hi khusi hogi sr kyuki sr aap smjao tbhi pdne ka mja aata h
Hello Sir, Thanks for the notes. Its really comprehensive and helpful from the exam point of view.
Similarly , please arrange Notes & Videos for Psychology Subject.
Subhas sir aap bhut accha padhate ho,or mene aapke ab tak ke sare videos dekh liye he …Or aapki padhai hui har topic muje asani ye yad b ho jati he ,,so yadi ap 1st grade ke GK ke videos bana ke dalte ho to ,hume is se bhut fayda milega sir
Bahut achi lagi sar