Latitudes and Longitudes-अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ

अक्षांश और देशांतर रेखाएँ (Latitudes and Longitudes) ग्लोब पर खींची (अंकित) गई काल्पनिक रेखाएँ है, जो क्रमशः पूर्व से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण दिशाओं में बनायी गयी है। इनके बने ’ग्रिड या जाल’ का पृथ्वी पर स्थिति निर्धारण में बहुत महत्व है, इसे ’भू जाल’ कहा जाता है। अक्षांश-देशांतर रेखाएँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती है।

अक्षांश एवं देशान्तर

(Latitudes and Longitudes)

अक्षांश-

भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो समान गोलाद्र्धों में विभाजित करती है, उत्तरी व दक्षिणी गोलार्द्ध। अक्षांशों का निर्धारण भूमध्य रेखा से उत्तर व दक्षिणी दिशाओं में समानान्तर होता है। इनके कोणों का निर्धारण पृथ्वी के केन्द्र से होता हैं। भूमध्य रेखा को 0° एवं उत्तर व दक्षिण ध्रुवों को 90° से अंकित किया जाता है। दोनों ध्रुवीय बिन्दु के रूप में होते है।

इस प्रकार 90° अक्षांश उत्तरी गौलार्द्ध एवं 90° दक्षिण गौलार्द्ध में पाये जाते है। सभी अक्षाओं के मध्य की दूरी 111 कि.मी. होती है, जो ध्रुवों पर उनके चपटा होने के कारण थोङा सा अधिक होती है। किसी स्थान की बिल्कुल सही स्थिति प्राप्त करने के लिए डिग्री को मिनट में एवं मिनट को सैकण्ड में बाँटा जाता है। जैसे मुम्बई की स्थिति 18°15’08’’ (18 डिग्री,55 मिनट एवं 08 सैकण्ड) उत्तर अक्षांश लिखी जायेगी।

अक्षांशीय ग्लोब का समान विभाजन 0° भूमध्य रेखा द्वारा होता है इसके उत्तर दिशा में 23½° उत्तर अक्षांश कर्क रेखा तथा 66)° उत्तरी अक्षांश आर्कटिक वृत्त एवं 90° उत्तरी ध्रुव केन्द्र या बिन्दु के रूप में होता है। इसी प्रकार भूमध्य रेखा के दक्षिण में 23½° दक्षिणी अक्षांश मकर रेखा एवं 66½° दक्षिणी अक्षांश अण्टार्कटिक वृत्त तथा 90° दक्षिणी ध्रुव केन्द्र या बिन्दु के रूप में प्रदर्शित होता है। ग्लोब पर 0° भूमध्य रेखा से 30° उत्तर एवं दक्षिण अक्षांशों के मध्य के क्षेत्र केा ’निम्न अक्षांशीय क्षेत्र, 30° से 60° उत्तर एवं दक्षिण अक्षांशों के मध्य का क्षेत्र ’मध्य अक्षांशीय क्षेत्र’ तथा 60° से 90° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों के मध्य का क्षेत्र ’उच्च अक्षांशीय क्षेत्र’ होता है।

इसी प्रकार 0° से 23° उत्तर एवं दक्षिण अक्षांशों के मध्य के क्षेत्र को ’उष्ण कटिबंध जलवायु पेटी, 23½° से 66½° उत्तर एवं दक्षिण अक्षांशों के क्षेत्र को, ’उत्तर एवं दक्षिण शितोष्ण कटिबन्ध जलवायु पेटी’ तथा 66½° से 90° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों वाले क्षेत्र को ’शीत कटिबन्ध जलवायु पेटी’ के नाम से जाना जाता है।

इसी आधार पर वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं की पेटियों का भी निर्धारण होता है। किसी भी स्थान का अक्षांश निर्धारण यंत्रों तथा सूर्य, तारों, चन्द्रमा आदि की स्थिति से होता है। वर्तमान में जी.पी.एस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) की मदद से अक्षांशों की सही स्थिति ज्ञात की जाती है।

देशान्तर-

ग्लोब पर जिन काल्पनिक रेखाओं को उत्तर-दक्षिण दिशा में खींचा जाता है, वे देशान्तर रेखा कहलाती है। लंदन के पास स्थित ’ग्रीनविच’ स्थान से उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची गई रेखा को ’प्रधान मध्याह्न’ रेखा या ’ग्रीनविच रेखा’ कहा जाता है जिसको 0° से प्रदर्शित किया जाता है। इसके पूर्व एवं पश्चिम दिशा में 180°-180° देशान्तर बनाये गए है। जिनका कुल योग 360° होता है। इनका निर्धारण पृथ्वी के केन्द्र से कोणात्मक दूरियों द्वारा होता है। केन्द्रीय या प्रधान देशान्तर के विपरित दिशा में 180° अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा की स्थिति होती है।

देशान्तरों के मध्य की सर्वाधिक दुरी भूमध्य रेखा पर होती है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की तरफ जाने पर इनके मध्य को अन्तर कम हो जाता है। ध्रुवों पर सभी देशान्तर केन्द्रीय स्थिति प्राप्त कर लेते है। यानि भूमध्य रेखा पर दो देशान्तरों के मध्य 111 कि.मी. का अन्तर होता है। 30° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों पर यह अन्तर 96.5 कि.मी. , 60° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों पर 55.4 कि.मी., 80° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों पर 19.3 कि.मी. तथा 90° उत्तर एवं दक्षिण ध्रुव बिन्दु पर शून्य रह जाता है।

अक्षांश रेखाओं की तरह ही देशान्तर रेखाओं को भी डिग्री, मिनट, सैकण्ड में बाँटा जाता है। जैसे मुम्बई का देशान्तरीय विस्तार 72° 54’10’’ (72 डिग्री, 54 मिनट एवं 10 सैकण्ड) है।

केन्द्रीय या प्रधान मध्याह्न रेखा से पूर्व में जाने पर प्रत्येक देशान्तर पर 4 मिनट तथा प्रत्येक 15° देशान्तर पर एक घण्टे की वृद्धि होती है। इसके विपरीत पश्चिम में जाने पर कमी आती है। प्रत्येक मध्याह्न रेखा पर ’स्थानीय समय’ समान रहता है। इसी प्रकार सभी 360° देशान्तर रेखाएँ जब एक वृत्त के रूप में परिवर्तित होती है तब ये वृहत वृत्त बन जाती हैं।

भूमध्य रेखा भी वृहत वृत्त के रूप में मानी जाती है। ’वृहत वृत्त’ वे वृत्त होते है जो पृथ्वी या ग्लोब को समान मण्डलों से विभाजित करते है। इनकी कुल संख्या 181 है।

महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर-

1. सभी अक्षांशों के मध्य दूरी कितनी होती है ?
(अ) 90 किमी (ब) 111 किमी ✔️
(स) 191 किमी (द) 241 किमी

2. प्रधान मध्याह्न रेखा किसे कहा गया है ?
(अ) भूूमध्य रेखा को (ब) कर्क रेखा को
(स) मकर रेखा को (द) ग्रीनविच रेखा को ✔️

3. कुल देशान्तरों की संख्या कितनी है ?
उत्तर- ग्लोब पर मिलने वाले कुल देशान्तरों की संख्या 360 है।

4. अक्षांश किसे कहते है ?
उत्तर- भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण भूतल पर स्थित किसी बिन्दु की पृथ्वी के केन्द्र से मापी गयी कोणिक दूरी को अक्षांश कहते है।

5. देशान्तर किसे कहते है ?
उत्तर- भूतल के किसी बिन्दु से गुजरने वाली मध्याह्न रेखा तथा प्रधान मध्याह्न रेखा के मध्य की कोणिक दूरी उक्त बिन्दु की देशान्तर होती है। अथवा उत्तरी ध्रुव को मिलाने वाली रेखाएं देशान्तर कहलाती है।

6. ग्लोब पर मिलने वाले अक्षांशो को किन-किन मुख्य भागों मे बांटा गया है ?
उत्तर- ग्लोब पर भूमध्य रेखा से उत्तर एवं दक्षिण की ओर 90-90 अक्षांश पाये जाते है। इन अक्षांशों को मुख्य रूप से निम्न भागों में बांटा गया है –
(अ) निम्न अक्षांश

(ब) मध्यवर्ती अक्षांश

(स) उच्च अक्षांश।

(अ) निम्न अक्षांश- भूमध्य रेखा (0° अक्षांश रेखा) ये दोनों ओर 30° उत्तरी एवं दक्षिण गोलाद्र्धो के बीच के भाग को निम्न अक्षांश कहते है।

(ब) मध्यवर्ती अक्षांश- ग्लोब पर 30°-60° उत्तरी एवं दक्षिण अक्षांशों के बीच के भाग को मध्यवर्ती अक्षांश कहा जाता है।

(स) उच्च अक्षांश- ग्लोब पर 60°-90° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशो के बीच के भाग को उच्च अक्षांश कहते है।

7. देशान्तर समय का निर्धारण कैसे करते है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पृथ्वी 360° देशान्तरों में बंटी हुई है। प्रत्येक देशान्तर को 1 डिग्री माना जाता है। इस प्रकार 360 देशान्तर 360° के रूप में बंटे हुए है। देशान्तरों का अन्तर समय के अंतर हेतु उत्तरदायी होता है। पृथ्वी लगभग 24 घंटे में 360° घूम लेती है। पृथ्वी 1 देशान्तर को घूमकर पार करने में 4 मिनट का समय लेती हैं। इस प्रकार 1 घंटे में पृथ्वी 150 घूमती हैं। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। अतः जो स्थान पूर्व में है, वहाँ सूर्य पहले दिखायी देगा।

यथा- भारत का मद्रास शहर 80° पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। यदि वहाँ सूर्योदय के समय सुबह के 6 बजे है तो जो स्थान मद्रास से पश्चिम में 65° देशान्तर पर होगा वहाँ सुबह के 5 ही बजेगें तथा वहाँ सूर्य 1 घंटे बाद दिखायी देगा। यदि हमें ग्रीनविच रेखा का और अपना स्थानीय समय मालूम होतो बङी सरलता से देशान्तर रेखा निकाल सकते है, जैसे यदि ग्रीनविच में इस दिन के 12 बज रहे हो और हमारी घङी में सायंकाल 6 बजे हो तो निश्चय है कि हम ग्रीनविच के पूर्व में है तो हमारी देशान्तर रेखा 15*6=90° होगी।

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