Ruma Devi Biography : Fashion Designer Rajasthan, product, Age, Height, Husband, Family, Badmer, Net Worth & More ..नमस्कार दोस्तों, इस आर्टिकल में आपको राजस्थान के बाड़मेर जिले में रहने वाली श्रीमती रूमा देवी के जीवन के बारे में बताएंगे। बहुत सारे संघर्षों के बाद रूमा देवी ने आखिरकार सफलता हासिल कर ली। रूमा देवी एक फैशन डिजाइनर (Fashion Designer) है। इन्होंने बहुत सारी महिलाओं की मदद की है और एक महिलाओं का समूह बना लिया है।
इस समूह में लगभग 22 हजार से ज्यादा महिलाएँ काम करती है। रूमा देवी ने महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए देश के कोने-कोने तक कला का प्रसार कर रही है। इनका जीवन आसान नहीं रहा, इन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया है। आज पूरे देशवासी रूमा देवी के बारे में जानना चाहते है, इसलिए इस आर्टिकल में आपको रूमा देवी के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। तो चलिए जानते है कि रूमा देवी कौन है ?
रूमा देवी का जीवन परिचय – Ruma Devi Biography In Hindi
Ruma Devi Personal Life
नाम | रूमा देवी |
जन्म | 1988 |
जन्म स्थान | रावतसर, बाड़मेर |
धर्म | हिन्दू |
जाति | जाट (राड़) |
पिता का नाम | खेताराम |
माता का नाम | इमरती देवी |
व्यवसाय | फैशन डिजाइनर |
पति का नाम | टीकूराम |
संतान | 1 बेटा (लक्षित) |
शिक्षा | आठवीं |
संस्थान | दीप देवल महिला स्वयं सहायता समूह |
रूमा देवी कौन है ?
रूमा देवी राजस्थान के बाड़मेर जिले में रहने वाली एक महिला है जो आज पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। ये एक फैशन डिजाइनर है। इनको कशीदाकारी और हस्तकला का काम अच्छे से आता है और रूमा इस काम को अन्य महिलाओं को भी सीखा रही है। इन्होंने ये काम बाड़मेर में ही सीखा था। रूमा देवी एक साधारण परिवार की महिला है, लेकिन अनेक द्वारा किए गए कार्य हर किसी के बस की बात नहीं है। इन्होंने कड़ी मेहनत करके अपने साथ बहुत सारी महिलाओं को जोड़ा है और उनको रोजगार दिया है।
इनको अनेक पुरस्कार दिए गए है। विदेशों में भी इनकी कला का प्रसार हो चुका है। आज ये महिलाओं के लिए उदाहरण बन चुकी है। रूमा देवी महिलाओं को अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करती है और उन्हें रोजगार प्रदान करती है।
रूमा देवी का प्रारम्भिक जीवन – Ruma Devi Early Life
राजस्थान की रूमा देवी का जन्म सन 1988 को बाड़मेर जिले के 30 किलोमीटर दूर रावतसर गांव की ढाणी के एक बहुत गरीब किसान परिवार में हुआ था। रुमा देवी बताती है कि जब वह सिर्फ 4 साल की थी, तब उनकी माता जी की मृत्यु हो गई थी। मृत्यु का कारण यह था कि जब उनकी माता जी गर्भवती थी और उनके गांव में इतने चिकित्सा के संसाधन नही थे, जो उनका इलाज कर सके। तब रूमा देवी का एक छोटा भाई हुआ। परंतु डिलवरी के समय उनके भाई और माता जी दोनो का देहांत हो गया।
रूमा देवी के सात बहन ने भी है तथा इनकी माता की मृत्यु होने के बाद इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। रूमा देवी को अपने भाई के पास भेज दिया। रूमा देवी का स्कूल भी काफी दूर था तथा रूमा देवी जब आठवीं क्लास में हुई, तब घर की परिस्थितियां ठीक नहीं होने के कारण इनको विद्यालय छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्हें घर की जिम्मेदारियों को संभालना पड़ा। घर का काम करना, पशुपालन करना, गांव में पानी की कमी होने के कारण बैलगाड़ी के द्वारा अपने और पड़ोसियों के लिए पानी लाना। इन परिस्थितियों के कारण यह आगे की शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकी ।
जब भी उन्हें समय मिलता तब वह अपनी दादी के पास बैठ कर कशीदाकारी का काम सीखती थी। दादी कशीदाकारी (kashidakari ) का काम करती थी इसीलिए रूमा देवी भी अच्छे तरीके से यह कार्य सीख गई क्योंकि दादी हमेशा भेड़ की उन की कताई करके पहनने के लिए दाबले बनाती, ओडने के लिए लुंकार बनाती। इसीलिए रूमा देवी को यह काम अच्छा लगता था और इस प्रकार वह कताई का काम सीख गई ।
जब रूमा देवी 17 साल की थी तब उनकी शादी कर दी गई, परंतु शादी के बाद भी घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। शादी के 2 वर्ष बाद जब उन्हें एक संतान हुई लेकिन यह भी भगवान को मंजूर नहीं था और उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। रुपए न होने के कारण वह बच्चे का इलाज नही करवा पाई और 48 घंटे के बाद उसने भी दम तोड़ दिया।
रूमा देवी का करियर – Ruma Devi Career
पहले बच्चे की मृत्यु हो जाने के बाद रूमा देवी को लगा कि अब उनकी लाइफ पूरी तरह रूक चुकी है और उनके पास खुशी का जरिया नहीं बचा है। फिर उन्होंने सोचा कि घर पर बैठे कर कुछ ऐसा काम किया जाए, जिससे उनको पैसे भी मिले और उनका मन बहल जाए। रूमा देवी की दादी ने उनको बचपन में ही कशीदाकारी का काम सीखा दिया था। रूमा देवी ने इसी कशीदाकारी को अपना व्यवसाय बनाने का सोचा। इन्होंने सबसे पहले सूई-धागे से शुरूआत की।
इनके पास मशीन नहीं थी इसलिए सारे काम को सूई से ही किया करती थी। इन्होंने पहली बार में एक बैग बनाया, लेकिन उसे सिलने के लिए मशीन की जरूरत थी। रूमा देवी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे मशीन खरीद सके। इसलिए इन्होंने बेग को सुई से ही सिल लिया। इनका पहला बैग इनका सुंदर था कि यह बैग 70 रूपये में बिक गया। ये 70 रूपये रूमा देवी के लिए बहुत बड़ी खुशी की बात थी क्योंकि ये उनकी पहली कमाई थी।
इन 70 रूपये से इन्होंने 4 बैग बनाने का मैटिरियल खरीद लिया। लेकिन इस बार भी उन्हें मशीन न होने की दिक्कत आई। फिर इन्होंने पड़ोस की महिलाओं से बात की और उन्हें बताया कि इस तरह आप भी पैसे कमा सकते है। फिर इन्होंने 10 महिलाओं का एक समूह बना लिया। इस समूह का नाम इन्होंने ’दीप देवल’ रखा। सभी महिलाओं ने 100-100 रूपये इकट्ठे करके एक मशीन खरीदी।
जब इन्होंने बेग सिल कर मार्केट में सप्लाई करना शुरू किया तो इन्हें बहुत सारे लोगों के ताने सुनने पड़े। लेकिन रूमा देवी ने हिम्मत नहीं हारी और काम करती रही। फिर इन्होंने ’ग्रामीण विकास चेतना संस्थान’ से सहयोग मांगा। यह संस्थान महिलाओं को प्रोत्साहित और रोजगार देने का काम करती है। इस संस्था के अध्यक्ष ने इनसे सैंपल मांगे। रूमा देवी को सेंपल के लिए दो दिन का समय दिया गया। लेकिन इन्होंने 1 दिन में ही सैंपल दे दिए। संस्था को इनके द्वारा बनाए गए सेंपल बहुत पसंद आए और यहीं से रूमा देवी को पहला ऑर्डर मिला।
2008 में रूमा देवी के पास सिर्फ 10 महिलाओं का समूह था। लेकिन इनका काम धीरे-धीरे बढ़ता गया और महिलाएँ इनके साथ जुड़ती रही। 2010 तक इन्होंने 5000 महिलाओं को अपने साथ जोड़ लिया था। रूमा देवी महिलाओं को हस्तकला सिखाती और रोजगार प्रदान करती है।
रूमा देवी ने अपने काम को बढ़ाने के लिए फेशन शो करने का सोचा। इसके लिए इन्होंने सबसे पहले जयपुर में फेशन शो किया लेकिन इनको यहां खास सफलता नहीं मिली। फिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद बाड़मेर में फैशन लिबास एक शो आयोजित हो रहा था। रूमा देवी ने इस शो में भाग लिया और अपने प्रोडेक्ट दिखाए। इस शो में रूमा देवी के काम को बहुत पसंद किया गया। 30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस के दिन जयपुर में एक मेगा-शो रखा गया था।
इस शो को 112 देशों में लाइव दिखाया जा रहा था। रूमा देवी ने इस मौके को नहीं छोड़ा और शो में हिस्सा ले लिया। विदेशी लोगों को राजस्थानी वेशभूषा बहुत पसंद आई और यहां से ही रूमा देवी ने एक नए सफर की शुरूआत कर ली थी। इनको बहुत सारे ऑर्डर मिले।
रूमा देवी को जर्मनी के टेक्सटाइल शो में जाने का ऑफर आया। रूमा देवी ने वहां जाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। जर्मनी के सारे डिजाइन रूमा देवी की कला को देखकर कर चौंक गए। रूमा देवी की कला ने उन्हें बहुत आगे तक बढ़ा दिया।
रूमा देवी सोशल मीडिया अकांउट – Ruma Devi social media account
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वेबसाइट | rumadevi.com |
रूमा देवी के पुरस्कार – Ruma Devi Awards
- उनके द्वारा किए गए इस कार्य के लिए रूमा देवी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश की सर्वोच्च महिला समान नारी शक्ति पुरस्कार से 2018 में स्मानित किया गया है ।
- इस पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद रूमा देवी को राजस्थानी की बेस्ट फैशन डिजाइनर के रूप में पहचान मिली ।
- एक अच्छी फैशन डिज़ाइनर होने के कारण उन्हें देश तथा विदेशों में फैशन शो के कार्यक्रमों में भाग लेने के न्योते मिले ।
- रूमा देवी ने 15-16 फरवरी को अमेरिका में आयोजित दो दिन की हावर्ड यूनिवर्सिटी इंडिया कॉन्फ्रेंस में भी हिस्सा लिया ।
- हावर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा रूमा देवी के बेटे लक्षित को अच्छी शिक्षा प्रदान करने का भी प्रस्ताव दिया गया है ।
- नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित होने के अलावा सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ लोकप्रिय शो कौन बनेगा करोड़पति में भी स्टेज शेयर कर चुकी है ।
रूमा देवी से संबंधित रोचक तथ्य एवं जानकारी
- रूमा देवी ने अपना जीवन रेतील धोरों के बीच बनी कच्ची झोपङियों से आरम्भ किया था। रूमा देवी को अपनी पारम्परिक वेशभूषा और संस्कृति में जीना बहुत पसंद है। इन्हें अपनी संस्कृति से विशेष लगाव है।
- रूमा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय और चर्चित है। अपने कार्यक्रमों और अपनी कला से जुङी बातों को वो सोशल मीडिया पर शेयर करती है। उनको लोकगीत गाने का शौक है और ये अपने यूट्यूब चैनल पर लोकगीत के ही वीडियो अपलोड करती है।
- रूमा देवी आठवीं कक्षा तक ही पढ़ी है। लेकिन फिर भी रूमा देवी को हावर्ड यूनिवर्सिटी में अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए आमंत्रण आया था। इन्हें समाज से भी बहुत लगाव है और यह सामाजिक कार्यकर्ता भी है, इन्होंने सामाजिक कार्यों में अपना बहुत योगदान दिया है। रूमा देवी सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लेती है। रूमा देवी एक फैशन डिजायनर है।
- रूमा देवी आज तक कई देशों की यात्राओं पर जा चुकी है। रूमा देवी फाउंडेशन नामक एनजीओ चलाती है। इसके तहत होनहार और प्रतिभाशाली, बुद्धिशाली बच्चों को छात्रवृत्ति और पुरस्कार दिये जाते है। रूमा देवी ने फाउंडेशन खेल, कला और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले प्रतिभशाली युवक-युवतियों को ’छात्रवृत्ति योजना अक्षरा’ के तहत 50 प्रतिभाओं को सम्मानित भी करती है।
- रूमा देवी बाङमेर जिले की रहने वाली थी और इन्होंने 8 वीं कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त की है साथ ही साधनों की कमी और अभावों में भी अपने जीवन में कामयाबी को हासिल किया। लेखिका निधि जैन रूमा देवी के जीवन से प्रभावित हुई थी और उन्होंने रूमा की कहानी को ’हौंसले से हुनर’ शीर्षक से प्रकाशित किया था। उनके जीवन की प्रत्येक घटना और पहलुओं को बढ़िया तरीके से कहानी में लिखा गया है।
अमेरिका यात्रा
FAQ
1. राजस्थान की फैशन डिजाइनर रूमा देवी किस गाँव में रहती है ?
उत्तर – रूमा देवी का मायका रावतसर गाँव में है तथा सुसराल मंगले की बेरी में है।
2. रूमा देवी ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की है ?
उत्तर – रूमा देवी ने आठवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की है तथा इन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।
3. रूमा देवी ने काशीदकारी का काम कहां से सीखा ?
उत्तर- अपनी दादी से
4. रूमा देवी काशीदाकारी का काम किन वस्त्रों पर करती है ?
उत्तर – रूमा अपने संगठन की 22 हजार महिलाओं के साथ बुनाई एंब्रॉयडरी, प्रिंट, एप्लिक वर्क, काँच-कशीदा वर्क करती है।
5. रूमा देवी को हाल ही में कौनसा पुरस्कार मिला है ?
उत्तर – रूमा देवी को हाल ही में 16 नवंबर को दुबई के इंडिया क्लब में आयोजित कार्यक्रमों में द महाराणा अवार्ड, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन से पुरस्कृत किया गया है।
6. रूमा देवी के पति का क्या नाम है?
उत्तर – टीकूराम
7. रूमा देवी की जाति क्या है?
उत्तर – जाट (राड़)
8. रूमा देवी की वेबसाइट का क्या नाम है?
उत्तर – rumadevi.com
Conclusion – निष्कर्ष
दिल में अगर कुछ झज्झबा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता ऐसा ही कर दिखाया है रूमा देवी ने। रूमा देवी (Ruma Devi) ने न केवल देश में बल्कि विदेश में भी अपना लोहा मनवाया है। रूमा देवी देश के सर्वोच्च पुरस्कार ’नारी शक्ति’ से सम्मानित है। इसके अलावा अमिताभ बच्चन के साथ भी बातचीत कर चुकी है।
आर्टिकल को पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि रूमा देवी ने किन परिस्थतियों में कार्य करना चालू किया था और आज वे कितने बड़े मुकाम पर पहुंच गई है। अगर आपको इस आर्टिकल से संबंधित कोई संशय है तो आप कंमेट करके पूछ सकते है। आपका संशय दूर कर दिया जाएगा।
अगर आपको आज का आर्टिकल पसंद आया तो आप इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि सभी लोग रूमा देवी के बारे में जान सके और इनसे प्रेरणा ले सके।
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