वायुमंडलीय दाब – Vayumadaliye Dab || Atmospheric Pressure

दोस्तो आज हम वायुमंडलीय दाब (Vayumadaliye Dab) के बारे मे अच्छे से जानेंगे। हमारे चारों ओर वायु तथा कई गैसों का आवरण हमें और सभी जीव जंतुओं को चारों ओर से घेरे हुए हैं, जिसे वायुमंडल (atmosphere) कहा जाता है।

वायुमंडलीय दाब – Atmospheric pressure

वायुमंडलीय दाब क्या है?

इसे अगर हम आसानी से समझें तो वायुमंडल में उपस्थित वायु और गैसें सभी जीव जंतुओं पर अधिक दबाव डालती है, जिसे वायुमंडलीय दाब (atmospheric pressure) कहा जाता हैं।

वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के द्वारा लगाया गया बल है। अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुमान मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाया जा सकता है।

आज के आर्टिकल हम निम्न बिन्दुओं की जानकारी प्राप्त करेंगे ।

  • वायुदाब किसे कहते हैं
  • वायुमंडलीय दाब किससे मापा जाता है ?
  • ⋅वायुमंडलीय दाब के प्रमुख उदाहरण
  • वायुमंडलीय दाब कितना होता है ?
  • वायुदाब सबसे कम कहाँ होता है ?
  • पृथ्वी पर वायुदाब की पेटियों के नाम

वायुमंडलीय दाब की परिभाषा

पृथ्वी के चारों तरफ वायुमण्डल फैला हुआ है जो अनेक गैसों से बना हुआ है। हजारों किमी मोटा आवरण है। यह मण्डल पृथ्वी के धरातल पर दाब डालता है, जिसे वायुमण्डलीय दाब अथवा वायुदाब कहते है।
  • वायुदाब की खोज सर्वप्रथम ग्यूरिक ने की थी।
  • वायुदाब को बैरोमीटर नामक यंत्र से मापा जाता है तथा इसे मापने की इकाई मिलिबार है।
  • सागर तल पर वायुदाब सर्वाधिक होता है।
  • समुद्रतल पर वायुदाब 76 सेमी या 1013.25 मिलीबार होती है।वायुदाब में परिवर्तन के कारण हवाओं में क्षैतिज गति उत्पन्न हो जाने की घटना को पवन कहते हैं।
  • मानचित्र पर वायुमण्डलीय दाब को समदाब रेखाओं के द्वारा दिखाया जाता है।
  • समदाब रेखाओं की परस्पर दूरी वायुदाब की प्रवणता को दर्शाती है। आस-पास स्थित समदाब रेखाएँ अधिक दाब प्रवणता व दूर-2 स्थित रेखाएँ मंद दाब प्रवणता को दर्शाती है।
  • धरातल पर सामान्य वायुदाब 940 से 1060 मिलीबार के बीच रहता है।

वायुमण्डलीय दाब को प्रभावित करने वाले कारक – Factors Affecting Atmospheric Pressure

  • तापमान – तापमान व वायुदाब का उल्टा सम्बन्ध होता है। विषुवत रेखा पर कम व ध्रुवों पर अधिक वायुदाब पाया जाता है।

  • समुद्रतल से ऊँचाई – ऊँचाई के साथ वायुदाब कम होता जाता है क्योंकि  ऊँचाई की ओर वायु विरल व हल्की होती जाती है। प्रति 300 मीटर की ऊँचाई पर 34 मिलीबार वायुदाब कम हो जाता है अथवा 10 मीटर ऊँचाई पर जाने पर 1 मिलीबार वायुदाब कम हो जाता है।

  • पृथ्वी का परिभ्रमण – पृथ्वी के परिभ्रमण का प्रभाव वायुदाब पर पङता है। जिसके कारण भूमध्य रेखा पर वायुदाब कम तथा ध्रुवों पर वायुदाब कुछ हो जाता है।

  • जलवाष्प – जलवाष्प वायु से हल्की होती है। वायु में जलवाष्प की मात्रा बढ़ने पर वायुदाब कम हो जाता है।

पृथ्वी पर वायुदाब की पेटियाँ

पृथ्वी के धरातल पर कुल 7 वायुदाब की पेटियाँ पाई जाती है।

  • तापजन्य वायुदाब पेटी (3 पेटियाँ)

इसमें विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब तथा ध्रुवीय उच्च वायुदाब की वायु पेटी को सम्मिलित किया जाता है।

  • गति जन्य वायुदाब पेटी (4 पेटियाँ)

इसमें उपोष्ण उच्च वायुदाब तथा उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियों को सम्मिलित किया जाता है।

विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब पेटी 0-5० उ.द. (डोलड्रम)

इस पेटी का विस्तार भूमध्यरेखीय के दोनों ओर 5अक्षांशों तक मिलता है।

  • भूमध्यरेखा पर वर्ष भर सूर्य की किरणें लम्बवत पङती हैं, तथा वर्ष भर ’दिन रात बराबर होते हैं, जिस कारण अत्यधिक तापमान के कारण हवाएँ गर्म होकर फैलती हैं तथा ऊपर उठती हैं। इस कारण इस पर सदैव निम्न दाब रहता है।
  • भूमध्यरेखा निम्नवायु की पेटी को डोलड्रम शान्त क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है।
  • विषुवत/भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के घूर्णन का वेग सबसे अधिक होता है। जिससे यहां पर अपकेन्द्रीय बल सर्वाधिक होता है जो वायु को पृथ्वी से परे धकेलती है। इसके कारण भी यहां पर वायुदाब कम होता है।

उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी 30-35 उ. द. (अश्व अक्षांश)

  • दोनों गोलार्धों (उत्तर एवं दक्षिण) में इनका विस्तार 30०  से 35०  अक्षांशों के मध्य पाया जाता है।
  • यहाँ पर शीतकाल के दो महीनों को छोङकर वर्ष भर ऊँचा तापमान रहता है।
  • पृथ्वी की दैनिक गति एवं वायु के अवतलन के कारण ही इस कटिबन्ध में उच्च वायुदाब की पेटी पायी जाती है।
  • कोरियालिस बल के कारण उच्च वायुदाब की उत्पत्ति होती है।
  • विश्व के लगभग सभी मरूस्थल इसी वायुदाब की पेटी में पाए जाते हैं।
    दोनों  गोलार्धों में 30०  से 35०  अक्षांशों को अश्व (घोङे) का अक्षांश भी कहते हैं।
  • प्राचीनकाल में व्यापारी अपने पाल के जलयान द्वारा इंग्लैण्ड से आस्ट्रेलिया जा रहे थे। मार्ग में मकर रेखा के निकट की इसी पेटी में उसका जलयान फस गया और डूबने लगा, इसलिए व्यापारियों ने जहाज बचाने के लिए घोङे समुद्र में फेंक दिए तभी से इस उच्च वायुदाब की पेटी को ’घोङे के अक्षांश’ के नाम से भी पुकारा जाता है।

उपधूर्वीय निम्न वायुदाब की पेटी 60० -65०  उ. द. गोलार्द्ध

  • इस पेटी का विस्तार दोनों गोलार्धोंं में  60० -65० अक्षांशों के बीच पाया जाता है।
  • पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण इन अक्षांशों से वायु फैलकर स्थानान्तरित हो जाती है और वायुदाब कम रहता है।
  • इस वायुदाब पेटी में उच्चदाब एवं ध्रुवीय उच्चदाब क्षेत्र से आने वाली वायु आपस में टकराती है एवं ऊपर उठ जाती है। इन दो विपरीत दिशाओं से आने वाली वायु के तापमान में अधिक अंतर के कारण इस कटिबन्ध में  शीतोष्ण चक्रवातों की उत्पत्ति होती है।

ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटी 80० -90०  उ.द. गोलार्द्ध

  • ध्रुवों पर कठोर शीत का वातावरण हमेशा रहता है इसलिए यहां उच्च वायुदाब पाया जाता है।
  • ध्रुव वृत्तों से ध्रुव की ओर जाने पर वायुदाब बढ़ता जाता है। ध्रुवों के निकट तो उच्च वायुदाब का एक क्षेत्र बन जाता हैं

atmospheric pressure

 
 

1 thought on “वायुमंडलीय दाब – Vayumadaliye Dab || Atmospheric Pressure”

  1. So helpful information , I read many article on this matter but finally I am satisfied . With this definition and information

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