• Home
  • Rajasthan History
  • India GK
  • Grammar
  • Web Stories
  • Articals
  • Quizzes

Gk Hub

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • Rajasthan History
  • India GK
  • Grammar
  • Web Stories
  • Articals
  • Quizzes

मुगलकाल में केन्द्रीय प्रशासन

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:12th May, 2021| Comments: 0

Tweet
Share
Pin
Share16
16 Shares

  मुगलकाल में केन्द्रीय प्रशासन(Central administration in the Mughal period)

Table of Contents

  •   मुगलकाल में केन्द्रीय प्रशासन(Central administration in the Mughal period)
    •                          मुगल प्रशासन का स्वरूप (केन्द्रीय शासन) 
      • मुगलकाल के अन्य उच्चाधिकारी 

दोस्तो आज हम मुगल काल के केन्द्रीय प्रशासन को अच्छे से समझेंगे 


⇒ मुगलों का राजत्व सिद्धान्त – मुगलों के राजत्व सिद्धान्त का मूलाधार ‘शरिअत’ (कुरान एवं हदीस का सम्मिलित नाम) था।
⇒ बाबर ने राजत्व संबंधी विचार प्रकट करते हुए कहा है कि ‘‘बादशाही से बढ़कर कोई बंधन नहीं है। बादशाह के लिए एकान्तवास या आलसी जीवन उचित नहीं है।’’
⇒ बाबर ने ‘बादशाह’ की उपाधि धारण करके मुगल बादशाहों को खलीफा के नाममात्र के आधिपत्य से भी मुक्त कर दिया। अब वे किसी विदेशी सत्ता अथवा व्यक्ति के अधीन नहीं रह गये।
⇒ हुमायूँ बादशाह को ‘पृथ्वी पर खुदा का प्रतिनिधि’ मानता था। उसके अनुसार सम्राट अपनी प्रजा की उसी प्रकार रक्षा करता है जिस प्रकार ईश्वर पृथ्वी के समस्त प्राणियों की रक्षा करता है।
⇒ अकबर कालीन मुगल राजत्व सिद्धान्त की स्पष्ट व्याख्या अबुल फजल ने ‘आइने-अकबरी’ में की है।
⇒ अबुल फजल ने अकबर कालीन राजत्व का विवेचन करते हुए लिखा है कि – ‘‘राजस्व ईश्वर का अनुग्रह है यह उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जिस व्यक्ति में हजारों गुण एक साथ विद्यमान हो।’’
⇒ अबुल फजल के अनुसार ‘‘राजसत्ता परमात्मा से फूटने वाला तेज और विश्व प्रकाशक सूर्य की एक किरण है।’’
⇒ अकबर ने स्वयं को इस्लामी कानूनों के बारे में अन्तिम निर्णायक घोषित करके बादशाह की स्थिति को और श्रेष्ठ बना दिया।
⇒ अकबर राजतन्त्र को धर्म एवं सम्प्रदाय से ऊपर मानता था और उसने रुढ़िवादी इस्लामी सिद्धान्त के स्थान पर ‘सुलह कुल’ की नीति अपनायी। जबकि औरंगजेब ने राजतन्त्र को इस्लाम का अनुचर बना दिया।
⇒ औरंगजेब यद्यपि भारत में परम्परागत रूप से चल रहे मुस्लिम कानून की ‘हनफी’ विचारधारा का परिपोषक था फिर भी उसने जबावित जैसे धर्मनिरपेक्ष आज्ञप्तियाँ (राजाज्ञायें) जारी करने में कोई संकोच नहीं किया। क्योंकि जबावित सैद्धान्तिक रूप से शरियत की पूरक थी।
⇒ मुगल बादशाहों ने निःसन्देह बादशाह के दो कर्तव्य माने थे – ‘जहाँबानी’ (राज्य की रक्षा) और ‘जहाँगीरी’ (अन्य राज्यों पर अधिकार)।
⇒ अबुल फजल ने जिस राजत्व सिद्धान्त का समर्थन किया है उसके अनुसार-‘‘बादशाह ईश्वर का प्रतिनिधि तथा पृथ्वी पर ईश्वर का दूत होता है और ईश्वर ने उसे साधारण मानव की अपेक्षा अधिक बुद्धि और विवेक प्रदान किया है।


                         मुगल प्रशासन का स्वरूप (केन्द्रीय शासन) 


⇒ मुगल प्रशासन सैन्य शक्ति पर आधारित एक केन्द्रीकृत व्यवस्था थी, जो ‘नियंत्रण एवं सन्तुलन’ पर आधारित थी।
⇒ मुगल प्रशासन ‘भारतीय तथा गैर-भारतीय’ (विदेशी) तत्वों का सम्मिश्रण था। दूसरे शब्दों में कहें तो यह ‘भारतीय पृष्ठभूमि में अरबी-फारसी’ पद्धति थी।
⇒ मुगल कालीन प्रशासन में अधिकार का बंटवारा-सूबेदार और दीवान के बीच-मिस्र के शासकों द्वारा अपनाई गयी प्रणाली पर आधारित था, राजस्व प्रणाली की दो पद्धतियाँ-अति प्राचीन हिन्दू तथा अरबी सिद्धान्तों का परिणाम थी। जबकि मनसबदारी व्यवस्था मध्य एशिया से ग्रहण की गयी थी।
⇒ मुगल साम्राज्य चूंकि पूर्णतः केन्द्रीकृत था इसलिए बादशाह की शक्ति असीम होती थी फिर भी प्रशासन की गतिविधियों को चलाने के लिए एक मन्त्रिपरिषद होती थी।
⇒ मंत्रिपरिषद के लिए ‘विजारत’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
वजीर (वकील)
⇒ बाबर और हुँमायु के समय में ‘वजीर’ का पद बहुत अधिक महत्वपूर्ण था। यह साम्राज्य का प्रधानमंत्री होता थ। इसे सैनिक तथा असैनिक दोनों मामलों में असीमम अधिकार प्राप्त है।
⇒ अकबर के काल में मुगल प्रधानमंत्री को ‘वकील’ कहा जाने लगा।
⇒ अकबर के शासन काल के आरमिभक वर्षों में बैरम खाँ ने वकील के रूप में अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया था।
⇒ इसलिए अकबर ने बैरम खाँ के पतन के बाद अपने शासनकाल में 8वें वर्ष एक नया पद ‘दीवान-ए-वजरात-ए-कुल’ की स्थापना की। जिसे राजस्व एवं वित्तीय मामलों के प्रबन्ध का अधिकार प्रदान किया गया।
⇒ धीरे-धीरे अकबर ने ‘वकील’ के एकाधिकार को समाप्त कर उसके अधिकारों को-दीवान, मीरबख्शी तथा मीर-सांमा और सद्र-उस-सुदूर में बांट दिया। उसके बाद से यह पद केवल सम्मान का पद रह गया जो शाहजहां के समय तक चलता रहा।
⇒ अकबर के काल में केवल चार ही मन्त्रीपद थे-वकील, दीवान (अथवा वजीर) मीर बख्शी एवं सद्र।


दीवान 
⇒ ‘दीवान’ शब्द फारसी मूल का शब्द है। इस पद की स्थापना अकबर ने अपने शासन काल के 8वें वर्ष वकील के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए किया था। इसे ‘वजीर’ भी कहा जाता था। यह वित्त एवं राजस्व का सर्वाेच्च अधिकारी होता था।
⇒ वित्त एवं राजस्व के अतिरिक्त अन्य सभी विभागों पर भी उसका प्रभाव होता था। सम्राट की अनुपस्थिति में वह शासन के साधारण कार्यों को बादशाह की ओर से देखता था। इस प्रकार वह एकतरह से सम्राट और शेष अधिकारियों के बीच की कड़ी था।
⇒ दीवान भी वकील की तरह शक्तिशाली न हो जाय इसलिए अकबर उसे स्थानान्तरित करता रहा।
⇒ मुगल बादशाह इन अधिकारियों की नियुक्ति उसकी वित्तीय योग्यता पर करते थे, न कि सैनिक योग्यता पर।
⇒ मुगल बादशाहों के काल में-मुजफ्फर खाँ तुरबती, राजा टोडरमल, एवाजशाह मंसूर (सभी अकबर कालीन) ऐतमादुद्दौला (जहाँगीर) सादुल्ला खाँ (शाहजहाँ कालीन) और असद खाँ (औरंगजेब कालीन) आदि योग्यतम् दीवान थे।
⇒ मुगलकाल में ‘असद खाँ’ ने सर्वाधिक 31वर्षों तक दीवान पद पर कार्य किया था।
⇒ दीवान वित्तमंत्री होने के बावजूद अपनी इच्छा से धन व जागीर नहीं दे सकता था। किन्तु वह खालिसा, जागीर और इनाम आदि जमीनों का केन्द्रीय अधिकारी होता था।
⇒ दीवान की सहायता के लिए अनेक अन्य अधिकारी भी होते थे-दीवाने खालिसा (शाही भूमि की देखभाल करने वाला अधिकारी) दीवान-ए-तन (वेतन तथा जागीरों की देखभाल करने वाला) मुस्तौफी (आय-व्यय का निरीक्षक) तथा मुशरिफ।


⇒ मीर बख्शी –

मीर बख्शी सैन्य विभाग का सर्वाेच्च अधिकारी होता था। इस पद का विकास अकबर के काल में शुरू हुआ था।
⇒ मीर बख्शी का प्रमुख कार्य – सैनिकों की भर्ती, उसका हुलिया रखना, रसद प्रबन्ध, सेना में अनुशासन रखना तथा सैनिकों के लिए हथियारों तथा हाथी घोड़ों का प्रबंध करना था।
⇒ इसके अतिरिक्त वह शाही महल की सुरक्षा का उत्तरदायित्व भी वहन करता था।
⇒ मुगल काल में मीर बख्शी सैन्यमंत्री होने पर भी वह न तो सेनानायक होता था और न ही स्थायी वेतन अधिकारी।
⇒ मीरबख्शी को युद्ध के दौरान छोड़कर बाकी सेना को वेतन बाँटने का कोई अधिकार नहीं था सामान्यतः यह अधिकार ‘दीवाने-तन’ को होता था।
⇒ मीर बख्शी के द्वारा ‘सरखत’ नामक पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद ही सेना का ‘मासिक वेतन’ निर्धारित होता था।
⇒ मुगलकाल में बख्शियों की कोई संख्या निश्चित नहीं होती थी। औरंगजेब के शासनकाल के अंतिम दौर में मुगल साम्राज्य का अधिक विस्तार हो जाने के कारण 4 बख्शियों को नियुक्त करना पड़ा था।
⇒ मीरबख्शी स्वयं उच्च श्रेणी का मनसबदार होता था और वह मनसबदारी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए उत्तरदायी होता था।
⇒ मीर बख्शी के दो अन्य सहायक – ‘बख्शिये-हुजूर’ व ‘बख्शिये-शाहगिर्द पेशा’ होते थे।
⇒ प्रान्तों में  ‘वाकयानवीस’ मीर बख्शी को सीधे सूचना देते थे।

मीर-ए-साँमा
⇒ अकबर ने अपने शासन काल में इस पद की भी स्थापना  की थी।
⇒ ‘मीर-ए-साँमा’ घरेलू मामलों का प्रधान होता था। वह सम्राट के परिवार, महल तथा उसकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता था। यह पद बहुत ही विश्वासी व्यक्ति को दिया जाता था।
⇒ ‘मीर-ए-साँमा’ के पास साम्राज्य के अन्तर्गत आने वाले कारखानों के संगठन और प्रबन्ध का स्वतंत्र प्रभार होता था। उसके अन्तर्गत आने वाले अन्य अधिकारी थे-‘दीवाने-बयूतात’, मुशरिफ, ‘दरोगा’ और ‘तहवीलदार’।
⇒ ‘मीर-ए-साँमा’ अकबर के समय में मंत्री पद नहीं था, किन्तु बाद में इसे मंत्री-पद बना दिया गया और यह इतना महत्वपूर्ण हो गया कि इसे वजीर का पद प्राप्त करने की अन्तिम सीढ़ी माना जाने लगा।
⇒ अन्तःपुर के सभी महत्वपूर्ण एवं गोपनीय कार्य ‘दरोगा’ के हाथों सम्पन्न होते थे।
⇒ ‘दस्तूर-उल-अमल’ में मीर-ए-साँमा को ‘व्यय का अधिकारी’ कहा गया है।
⇒ शाहजहाँ के काल तक इस अधिकारी को ‘मीर-ए-साँमा’ कहा जाता था। किन्तु औरंगजेब के काल में इसे ‘खाने-साँमा’ कहा जाने लगा।

सद्र-उस-सुदूर (सद्र-ए-कुल)
⇒ यह धार्मिक मामलों में बादशाह का सलाहकार होता था। उसका प्रमुख कार्य-दान-पुण्य की व्यवस्था करना, धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था करना, विद्वानों को कर मुक्त-भूमि एवं वजीफा प्रदान करना तथा इस्लामी कानूनों के पालन की समुचित व्यवस्था करना था।
⇒ ‘सद्र-उस-सुदूर’ को शेख-उल-इस्लाम भी कहा जाता था।
⇒ सद्र-उस-सुदूर को कभी-कभी मुख्यकाजी का भी पद दिया जाता था। अर्थात् जब वह न्याय विभाग के प्रमुख के रूप में कार्य करता था तब उसे ‘काजी-उल-कुजात’ कहा जाता था।
⇒ अकबर के समय में अंधिकांशतया यह पद पृथक-पृथक व्यक्ति को प्रदान किया जाता था।
⇒ सद्र दान में दी जाने वाली लगान-मुक्त भूमि का भी निरीक्षण करता था। इस भमि को-‘सयूरगाल’ या ‘मदद-ए-माश’ कहा जाता था।
⇒ ‘सद्र-उस-सुदूर’ बादशाहों या शहजादों द्वारा धार्मिक व्यक्तियों, विद्वानों तथा महन्थों को दी गयी कर-मुक्त भूमि की देखभाल करता था तथा उससे संबंधित मुकदमों का फैसला भी करता था।
⇒ अकबर के समय में सद्र पद का महत्व इसलिए कुछ कम हो गया था क्योंकि अकबर धार्मिक मामलों में इनकी सलाह नहीं लेता था। बल्कि उसने जागीर और वजीफे देने का अधिकार अपने हाथ में स्वयं ले लिया था।
⇒ जहाँगीर के शासन काल तक सद्र पद अपन अधिकांश प्रभाव खो चुका था। बाद में इस पद को सम्मान और अधिकार कभी प्राप्त न हो सका।
⇒ मुगलकाल के अन्य अधिकारियों के विपरीत स्रद का स्थानान्तरण नहीं होता था।
⇒ सद्र द्वारा जीविकोपार्जन हेतु दी जाने वाली नकदी को ‘वजीफा’ तथा कर-मुक्त भूमि को ‘सयूरगाल’ या मदद-ए-माश कहा जाता था।
⇒ 1578 में प्रान्तों में भी सद्र नियुक्त किये जाने लगे, जिससे केन्द्रीय सद्र का एकाधिकार समाप्त हो गया।


मुगलकाल के अन्य उच्चाधिकारी 


1. मीर-आतिश यह शाही तोपखाने का प्रधान था यह मन्त्रि पद नहीं होता था। इसकी सिफारिश पर महत्वपूर्ण नगरों में केन्द्र द्वारा कोतवाल की नियुक्ति होती थी।
2. साहिब-तौजीह यह सैनिक लेखाधिकारी होता था।
3. दीवान-ए-तन यह वेतन और जागीरों से संबंधित मामलों का निपटारा करता था। इसे (युद्ध के अवसर पर छोड़कर) सामान्यतया सेना को वेतन बांटने का अधिकार होता था।
4. दरोगा-ए-डाक चैकी गुप्तचर विभाग का प्रमुख होता था। यह इसके साथ-साथ पत्र व्यवहार का भी प्रभारी होता था।
5. मीर-ए-अर्ज यह बादशाह के पास भेजे जाने वाले आवेदन-पत्रों का प्रभारी होता था।
6. मीर-ए-बहर यह जल-सेना का प्रधान होता था। इसका प्रमुख कार्य शाही नौकाओं की देखभाल करना था।
7. मीर-ए-तोजक (मीर-ए-तुजुक) यह धर्मानुष्ठान का अधिकारी था। इसका कार्य धार्मिक उत्सवों आदि का प्रबन्ध करना था।
8. मीर-ए-बर्र यह वन-विभाग का अधीक्षक था।
9. नाजिर-ए-बयूतात
(या दीवान-ए-बयूतात) यह शाही कारखानों का अधीक्षक होता था।
10. वाकिया-नवीस यह समाचार लेखक होता था। जो राज्य के सारे समाचारों से केन्द्र को अवगत कराता था।
11. खुफिया-नवीस यह गुप्त पत्र-लेखक होते थे। जो गुप्त रूप से केन्द्र को महत्वपूर्ण खबरें उपलब्ध कराते थे।
12. स्वानिध-निगार ये समाचार लेखक होते थे।
13. हरकारा ये जासूस और संदेशवाहक दोनों होते थे।
14. वितिक्ची अकबर ने अपने शासन काल के 19वें वर्ष दरबार की सभी घटनाओं एवं खबरों को लिखने के लिए इनकी नियुक्ति की। इसके अतिरिक्त यह प्रान्तों की भूमि एवं लगान संबंधी कागजात तैयार करता था। यह अमलगुजार के अधीन कार्य करता था।
15. परवानची ऐसी आज्ञाओं को लिखने वाला, जिस पर सम्राट के मुहर की आवश्यकता नहीं पड़ती थी।
16. मुशरिफ (लेखाधिकारी) यह राज्य की आय-व्यय का लेखा-जोखा रखता था।
17. मुस्तौफी (लेखा परीक्षक) यह मुशरिफ द्वारा तैयार आय-व्यय के लेखा-जोखा की जांच करता था।
18. अमिल अकबर ने अपने शासन के 18वें वर्ष गुजरात, बिहार और बंगाल को छोड़कर सम्पूर्ण उत्तर भारत में एक करोड़ दाम आय वाले परगनों की मालगुजारी वसूलने के लिए नियुक्त किया जिसे जनसाधारण में करोड़ी कहा जाता था।
19. मुसद्दी यह बन्दरगाहों के प्रशासन की देखभाल करता था।


⇒ साधारणतया सद्र को उनके वेतन के एवज में कर-मुक्त भूमि दी जाती थी। वे मनसबदार नहीं होते थे किन्तु कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं, जब उन्हे मनसब दिया गया। जैसे -अकबर के काल में ‘सदे्र-जहां’ को अकबर ने दो हजार का मनसब एवं जहाँगीर ने उसे ही चार हजार और बाद में पाँच हजार का मनसब दिया।
⇒ इसी प्रकार शाहजहाँ के काल में ‘मुसब्बी खाँ’ को तीन हजार का मनसब तथा ‘सैय्यद जलाल’ को औरंगजेब ने छः हजार का मनसब दिया था।
⇒ मुगलकाल का सर्वप्रथम सद्र ‘शेखगदाई’ था, जिसे बैरम खाँ ने अपने संरक्षण काल में बनवाया था।
⇒ अकबर ने अपने शासन काल में दरिद्रों एवं अनाथों को मुक्त भोजन देने के लिए ‘धर्मपुरा’ (हिन्दुओं के लिए) ‘जोगीपुरा’ (जोगियों के लिए) तथा ‘खैरपुरा’ (मुसलमानों तथा अन्य के लिए) नाम के तीन दरिद्रलय खुलवाये और जिनकी देखरेख का उत्तदायित्व ‘अबुल फजल’ को दिया था।
⇒ अकबर ने वेश्याओं के लिए ‘शैतानपुर नगर’ की स्थापना किया था।


उच्च उच्चाधिकारी 


⇒ मुहतसिब (सार्वजनिक आचार नियंत्रक)-प्रजा के नैतिक चरित्र की देखभाल करने के लिए औरंगजेब ने मुहतसिबों की नियुक्ति की थी।
⇒ मुहतसिबों का मुख्य कार्य शरियत के प्रतिकूल काम करने वालों को रोकना तथा आम जनता को दुश्चरित्रता से बचाना था। किन्तु कभी-कभी उसे माप-तौल के पैमाने की देखभाल करना तथा वस्तुआकें के मूल्यों को निश्चित करने का उत्तरदायित्व भी दिया जाता था।
⇒ औरंगजेब के काल में हिन्दू मंदिरों और पाठशालाओं को तोड़ने के उत्तरदायित्व ‘मुहतसिबो’ को सौंपा था।
⇒ मुख्यकाजी (काजी-उल-कुजात)-मुगल बादशाह सभी मुकदमों का निर्णय स्वयं नहीं कर सकते थे इसलिए अपने राजधानी में एक ‘मुख्य काजी’ (मुख्य न्यायाधीश) नियुक्त किया, जो मुस्लिम कानून के अनुसार न्याय करता था।
⇒ मुख्य काजी की सहायता के लिए मुफ्ती नियुक्त होते थे, जो कानून की व्याख्या करते थे और उसी आधार पर मुख्यकाजी  निर्णय देता था।

दोस्तो आज की पोस्ट मे हमने  मुगलकाल में केन्द्रीय प्रशासन के बारे में विस्तार से जाना ,हमारी ये पोस्ट आपको केसे लगी ,कमेंट बॉक्स मे जरूर लिखें 

सुकन्या योजना क्या है    ⏩  चितौड़गढ़ दुर्ग की जानकारी 

⏩ 44 वां संविधान संशोधन    ⏩ 42 वां संविधान संशोधन 

⏩ सिन्धु सभ्यता      ⏩ वायुमंडल की परतें 

⏩ मारवाड़ का इतिहास      ⏩ राजस्थान के प्रमुख त्योंहार 

Tweet
Share
Pin
Share16
16 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें :

  • श्री हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa Hindi

    श्री हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa Hindi

  • फुटबॉल खेल का इतिहास – Football History and Rules in Hindi

    फुटबॉल खेल का इतिहास – Football History and Rules in Hindi

  • चन्द्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय – Chandragupta Maurya History in Hindi

    चन्द्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय – Chandragupta Maurya History in Hindi

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Primary Sidebar

Recent Posts

  • कैलाश पर्वत – Kailash Parvat || 10 अनसुलझे रहस्य || पूरी जानकारी
  • हॉकी खेल का इतिहास – Hockey Information in Hindi
  • शिव चालीसा – Shiv Chalisa Lyrics in Hindi
  • श्री हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa Hindi
  • फुटबॉल खेल का इतिहास – Football History and Rules in Hindi
  • चन्द्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय – Chandragupta Maurya History in Hindi
  • Mecca Medina – Makka Madina Pilgrimage
  • Captcha Meaning In Hindi – Captcha Code का मतलब क्या होता है?
  • How to Write Certificate For Project File – Sample Format
  • द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय || Draupadi Murmu Biography in Hindi

Categories

  • Amazon Quiz Answers
  • Answer Key
  • App Review
  • Basic Chemistry
  • Basic Knowledge
  • Biography in Hindi
  • Celebrity
  • Chalisa
  • computer knowledge
  • CTET
  • Ecommerce
  • Education
  • Election Result
  • Entertainment Service
  • Featured
  • Games
  • GK Questions
  • Government Scheme
  • Government Schemes
  • hindi grammer
  • india gk
  • India History
  • Indian History GK Quiz
  • Ipl cricket
  • latest news
  • LOAN
  • NEET Exam
  • Pahada Table
  • political science
  • Psychology
  • Rajasthan Exam Paper
  • Rajasthan Exam Solved Paper
  • Rajasthan Gk
  • rajasthan gk in hindi
  • Rajasthan GK Quiz
  • Reasoning Questions in Hindi
  • REET IMPORTANT QUESTION
  • Sanskrit Grammar
  • Science
  • Technical Tips
  • ugc net jrf first paper
  • Uncategorized
  • word history
  • World geography
  • Yoga
  • भूगोल
  • राजस्थान का इतिहास
  • राजस्थान का भूगोल

10 Popular Posts

1500+ Psychology Questions in Hindi || मनोविज्ञान प्रश्न || REET/CTET/RPSC
REET Exam Leval 2 -सामाजिक-महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी || प्रतिदिन 30 प्रश्न
मौर्यवंश पीडीएफ़ नोट्स व वीडियो-Rajasthan Gk – Important Facter
REET Exam Level 2 Part-2 -सामाजिक-महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी || प्रतिदिन 30 प्रश्न
भारतीय संविधान के संशोधन – Important Amendments in Indian Constitution
Sukanya Samriddhi Yojana-सुकन्या योजना की पूरी जानकारी देखें
REET Exam Level 2 Quiz-8-सामाजिक-महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी || प्रतिदिन 30 प्रश्न
psychology quiz 3
Corona Virus || कोरोना वायरस क्या है || लक्षण || बचाव
ugc net answer key first paper December 2019

Footer

जनरल नॉलेज

 Indian Calendar 2022
 Reasoning Questions in Hindi
 बजाज पर्सनल लोन की पूरी जानकारी
 हस्त रेखा ज्ञान चित्र सहित
 हॉटस्टार लाइव टीवी ऐप कैसे डाउनलोड करें
 आज का राशिफल
 कल मौसम कैसा रहेगा?
 WinZO Game App क्या है
  कैरम बोर्ड गेम कैसे खेलें
 स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
 पर्यावरण प्रदूषण क्या है

Top 10 Articles

 100 Pulses Name in Hindi and English
 60 Dry Fruits Name In Hindi and English
 Week Name in English Hindi
 100 Vegetables Name In English and Hindi
 100 Animals Name in English
 100 flowers Name in English
 Week Name in English Hindi
 Cutie Pie Meaning in Hindi
 At The Rate Kya Hota Hain
 Colours Name in English

Top 10 Articles

 Spice Money Login
 DM Full Form
 Anjana Om Kashyap Biography
 What is Pandora Papers Leaks
 Safer With Google
 Turn Off Google Assistant
 Doodle Champion Island Games
 YouTube Shorts क्या है
 Starlink Satellite Internet Project Kya Hai
 Nitish Rana biography in Hindi
Copyright ©2020 GKHUB DMCA.com Protection Status Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us