दोस्तो आज की पोस्ट में हम महासागरीय धाराओं(Ocean currents) के बारे मे जानेंगे।
महासागरीय धाराएँ(Ocean currents)
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सागरों में सागरीय सतह के जल के एक बङी मात्रा में निश्चित दिशा में प्रवाहित होने की गति को धाराएं कहते हैं। तापमान के आधार पर इन्हें ठंडी व गर्म धाराओं में वर्गीकृत किया जाता है।
धाराओं की गति, आकार एवं प्रवाह दिशा के आधार पर धाराएं तीन प्रकार की होती है
1. प्रवाह – जब सागरीय सतह का जल प्रचलित पवन के प्रभाव में आगे बढ़ता है तो उसे प्रवाह कहते है।
इसकी गति एवं सीमा निश्चित नहीं होती। परंतु प्रवाह सदैव मंद गति वाली सागरीय गति है। जैसे -उत्तरी प्रशांत प्रवाह, दक्षिणी अटलांटिक प्रवाह आदि।
2. धारा – जब सागर का जल एक निश्चित दिशा में , निश्चित सीमा में तीव्र गति से अग्रसर होता है। तो इसे धारा कहते है। इसकी गति प्रवाह से अधिक होती है।
जैसे – क्यूरोशिवो की धारा, हम्बोल्ट धारा आदि।
3. विशाल धारा – जब सागरीय सतह की विशाल जल राशि एक निश्चित दिशा में तेज गति से अग्रसर होती है। तो इसे विशाल धारा कहते हैं। इसको गति प्रवाह एवं धारा से अधिक होती है। जैसे – गल्फ स्ट्रीम।
सागरीय धाराओं के चलने के लिए उत्तरदायी कारक:
- स्थायी/ग्रहीय/सनातनी हवाओं से।
- सागरीय तापमानों में अंतर से।
- सागरीय लवणता में अंतर से।
- पृथ्वी की परिभ्रमण गति से।
- तटीय भूमि के स्वरूप से।
महासागरीय धाराएँ – Ocean currents
⇒ भूमध्य रेखा से धु्रवों की तरफ जाने वाली जलधाराएं गर्म होती है।
⇒ ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर आने वाली जलधाराएं ठण्डी होती है।
⇒ महाद्वीपों के पूर्वी किनाारों पर गर्म जल की धाराएं बहती है। जबकि पश्चिमी किनारों पर ठण्डे जल की धाराएं बहती है।
⇒अपवाद – दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी किनारे पर हम्बोल्ट या पीरू की ठण्डी धारा बहती है परंतु 4-5 साल बाद यही धारा गर्म होकर नीचे की ओर मुङ जाती है इसे एलनीनों कहते हैं।
⇒ सारगैसों सागर – उत्तरी अंध महासागर में गल्फ स्ट्रीम की गर्म धारा तथा लेब्रोडोर और ग्रीन लैंड की ठण्डी धाराओं के मिलने से एक गुनगुने जल का सागर बनता है जिसे सारगैसो सागर कहते हैं।
⇒ सारगैसो एक घास का नाम है जिसके नाम पर सारगैसो सागर का नामकरण किया गया है।
⇒ सारगैसो में घना कोहरा पैदा होता है और यहां पर सारगैसो घास पर प्लैंकटन नामक सूक्ष्म जीव पाये जाते हैं जो मछलियों का प्रमुख भोजन है।
इसीलिये यहां पर संसार में सबसे ज्यादा मछलियां पाई जाती हैं और इसे ग्रांड बैंक के नाम से जाना जाता है।
⇒ उत्तरी अंध महासागर में ही इंग्लैण्ड के पास एक अन्य बैंक डाॅगर/डागर बैंक कहलाता है।
⇒ उत्तरी अंध महासागर में सारगैसो सागर से थोङे से दक्षिण में बरमुङा त्रिकोण स्थित है। जिसके ऊपर से गुजरने वाले जलयान व वायुयान गायब हो जाते है।
इसलिए इसे रहस्यमयी द्वीप के नाम से जाना जाता है। इसका मुख्य कारण यहां चट्टानों में पाया जाने वाला चुम्बकत्व है।
उत्तरी अंध महासागर की धाराएं
- उत्तरी अंध महासागरीय भूमध्यरेखीय गर्म जल धारा
- फ्लोरिडा की गर्म धारा
- गल्फस्ट्रीम गर्म धारा (विश्व की सबसे तेज गति से बहनी वाली धारा) (यूरोप का गर्म कम्बल)
- पछुआ पवन प्रवाह गर्म
- नार्वे की धारा गर्म
- लेबे्रडोर की ठण्डी धारा
- ग्रीनलैंड की ठण्डी धारा
- कैनारी की ठण्डी धारा
प्रतिधारा
उत्तरी अंध महासागरीय और दक्षिणी अंध महासागरीय धाराओं के बीच में सामने एक प्रति धारा चलती है जिसे प्रति धारा कहते हैं यह गर्म धारा है।
दक्षिणी अंध महासागर की धाराएँ
- दक्षिणी अंध महासागरीय भूमध्यरेखीय गर्म जलधारा
- वेनेजुएला धारा (गर्म)
- ब्राजील की गर्म धारा
- फाॅकलैण्ड की ठण्डी धारा
- पछुआ पवन प्रवाह (ठण्डी)
- बेंगुला धारा (ठण्डी)
उत्तरी हिन्द महासागर की धारा
- ग्रीष्मकालीन प्रवाह – ग्रीष्मकाल में उत्तरी हिन्द महासागर में दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर हवाओं के प्रभाव से में महासागरीय धारा भी दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर बहने लगती है। यह गर्म धारा है।
- शीतकालीन प्रवाह – शीतकाल में भारत में उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर हवाएं चलती है
जिनके कारण उत्तरी हिन्द महासागर की धारा भी शीतकाल में उत्तर पूर्व से दक्षिण की ओर चलने लगती है। यह भी गर्म धारा है।
दक्षिणी हिन्द महासागर की धारा
- दक्षिणी हिन्द महासागरीय भूमध्य रेखीय गर्मधारा
- मोजाम्बिक गर्म धारा
- मेडागास्कर/मालागासी की गर्म धारा
- अगुलहास की गर्म धारा
- पछुआ पवन प्रवाह (ठण्डी धारा)
- पश्चिमी आस्ट्रेलिया की ठण्डी धारा
उत्तरी प्रशान्त महासागर की धाराएं
- उत्तरी प्रशान्त महासागरीय भूमध्यरेखीय गर्म जल की धारा
- क्यूरोशिवों की गर्म धारा (जापान की काली/नीली धारा)
- सुशिमा जलधारा (गर्म)
- पछुआ पवन प्रवाह (गर्म धारा)
- अलास्का की गर्म धारा
- कमचटका की ठण्डी धारा
- ओखोटस्क की ठण्डी धारा
- ओयोशिवो/क्यूराइल की ठण्डी धारा
- कैलिफोर्निया की ठण्डी धारा
दक्षिणी प्रशान्त महासागरीय धारा
- दक्षिणी प्रशान्त महासागरीय भूमध्यरेखीय गर्म धारा।
- पूर्वी आस्ट्रेलिया की गर्म धारा
- पछुआ पवन प्रवाह (ठण्डी धारा)
- हम्बोल्ट/पीरू की ठण्डी धारा
प्रशान्त महासागरीय प्रति विषुवत रेखीय गर्म धारा
- उत्तरी प्रशांत महासागरीय और दक्षिणी प्रशांत महासागरीय धाराओं के बीच में सामने एक प्रति धारा चलती है जिसे प्रति विषुवत रेखीय गर्म धारा कहते हैं।
- दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी किनारे पर हम्बोल्ट या पीरू के तट पर एक ठण्डे जल की धारा बहती है जो हम्बोल्ट/ पीरू धारा के नाम से जानी जाती है।
- 3-4 साल के बाद 25 दिसम्बर के आसपास हम्बोल्ट या पीरू की धारा गर्म होकर नीचे की ओर मुङ जाती है। यह एल-नीनों कहलाती है जो गर्म जल की धारा होती है।
- चूंकि यह स्थिति क्रिसमस के दिन के निकट (22-25 दिसम्बर के बीच) उत्पन्न होती है इसलिये इसे शिशु ईसा धारा या चाइल्ड क्रिस्ट कहलाती है।
- एलनीनो आने पर हम्बोल्ट-पीरू के तट पर अतिवृष्टि होती है जबकि भारत के तट पर सूखा पङता है।
- उत्तरी भारत में श्रीगंगानगर में शीतकाल में होने वाली वर्षा मावठ के लिये भूमध्य सागरीय चक्रवात जिम्मेवार होते हैं।
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