Mangal Pandey in Hindi – मंगल पांडे जीवन परिचय

आज के आर्टिकल में हम स्वतन्त्रता सैनानी मंगल पांडे जीवन परिचय (Mangal Pandey in Hindi) को अच्छे से पढेंगे ,इनसे जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ हमें मिलेगी।

मंगल पांडे जीवन परिचय – Mangal Pandey in Hindi

मंगल पांडे
मंगल पांडे

Mangal Pandey in Hindi

जन्म19 जुलाई 1827 (30 जनवरी 1831)
जन्मस्थानउत्तरप्रदेश के बलिया जिले के नगवा गाँव
पिताश्री दिवाकर पांडे
माताश्रीमती अभय रानी
मृत्यु8 अप्रैल 1857
मृत्युस्थानबैरकपुर, पश्चिम बंगाल
मृत्यु का कारणफांसी दी गई
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम29 मार्च 1857
उपलब्धिसन् 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रदूत

जन्म :- 30 जनवरी 1831(उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में एक “भूमिहार ब्राह्मण” परिवार में हुआ था)।

पिताजी :- इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था।

कार्य :- 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में 34 वीं बंगाल नेटिव इनफैक्ट्री मे शामिल हो गए। इन्होने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विद्रोह का प्रारम्भ :-

विद्रोह की शुरुआत एक बंदूक की वजह से हुई । सिपाहियों को एनफ़ील्ड बंदूक दी गयीं जो पुरानी और कई दशकों से उपयोग में लायी जा रही ब्राउन बैस के मुकाबले में शक्तिशाली और अचूक थी। नयी बंदूक में गोली दागने की आधुनिक प्रणाली का प्रयोग किया गया था, परन्तु बंदूक में गोली भरने की प्रक्रिया पुरानी थी।

नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस का बाहरी आवरण में चर्बी होती थी जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी। सिपाहियों के बीच अफ़वाह फ़ैल चुकी थी कि कारतूस मे लगी चर्बी सूअर और गाय की है ।

आखिरकार मंगल पांडे ने 29 मार्च 1957 को विद्रोह कर दिया। तब वह बंगाल के बैरकपुर छावनी में तैनात थे। उन्होंने कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया और साथी सिपाहियों को भी विद्रोह के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ‘मारो फिरंगी को’ नारा दिया। मंगल पाण्डे ने रेजीमेण्ट के अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट बोग पर हमला कर के उसे घायल कर दिया।बाद में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया और उन्होंने अंग्रेज अफसरों के खिलाफ विद्रोह की बात स्वीकार की। उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और तारीख तय की गई 18 अप्रैल उन्हें तय समय से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई।

Mangal Pandey Biography in Hindi

अंग्रेजों को डर था कि मंगल पांडे ने विद्रोह की जो चिंगारी जलाई है। वह देशभर में कहीं ज्वाला न बन जाए। इसलिए तय तारीख से 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई। उनकी फांसी के बाद मेरठ, कसौली, कांगड़ा, धर्मशाली समेत देशभर में कई जगहों पर सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया और आम लोगों में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा।

20 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश के कसौली में सिपाहियों ने एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया। मई में मेरठ के भारतीय घुड़सवार सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। मेरठ के भारतीय सैनिकों के विद्रोह की चिंगारी पूरे पश्चिमी यूपी के साथ देशभर में फैली। लखनऊ में 30 मई को भारतीयों से व्यापक विद्रोह किया। पुराने लखनऊ के तमाम इलाकों के साथ खासकर चिनहट के इस्माईलगंज में किसानों, मजदूरों और सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला

मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की यह चिंगारी बुझी नहीं। एक महीने बाद ही 10मई 1857 को मेरठ की छावनी में बगावत हो गयी। यह विप्लव देखते ही देखते पूरे उत्तरी भारत में फैल गया।

  • 1984 में उनके सम्मान में जारी हुआ डॉक टिकट।
  • मंगल पांडे के सम्मान में 1984 में भारत सरकार ने डॉक टिकट जारी किया।

मंगल पांडे  से सम्बन्धित प्रश्नोत्तरी – Mangal Pandey in Hindi

1 – मंगल पाण्डे का जन्म कब हुआ?

उत्तर -30 जनवरी 1831

2 – मंगल पाण्डे का जन्म किस परिवार मे हुआ?

उत्तर – भूमिहार ब्राह्मण परिवार

प्रश्न – मंगल पाण्डे के पिताजी का क्या नाम था?

उत्तर – दिवाकर पाण्डे

3 – मंगल पाण्डे किस नेटिव इनफैक्ट्री मे शामिल हुये?

उत्तर – 34वीं

4 – अंग्रेजो ने ब्राउन बेस राइफल कि जगह किस राइफल का प्रयोग किया?

उत्तर – एनफील्ड राइफल

5 – मंगल पाण्डे ने विद्रोह कब किया?

उत्तर – 29मार्च 1857

6 – मंगल पाण्डे क़ो फांसी कब दी गई?

उत्तर – 8अप्रैल 1857

7 – मंगल पाण्डे ने किस अंग्रेज अधिकारी पर हमला कर दिया?

उत्तर – कैप्टन बोग

8 – भारत सरकार ने मंगल पाण्डे पर कब डाक टिकिट जारी किया?

उत्तर -1984

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