एस्मा कानून क्या है | Esma Kanun -1968

रीड : एस्मा कानून क्या है, आज के आर्टिकल में हम आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून एस्मा (Esma -Essential Services Maintenance Act -1968) के बारे में विस्तार से पढेंगे ।

एस्मा कानून क्या है ? Esma Kanun

Esma in hindi
Esma in Hindi

एस्मा का पूरा नाम – अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (Essential Services Management Act)

एस्मा कानून क्यों लागू किया गया ?

  • अक्सर जब कोई लोग पहले हङताल किया करते थे जैसे – महँगाई को लेकर हङताल, किसानों को अपनी वस्तुओं के सही दाम नहीं मिल रहे है। इन कारणों की वजह से बाजार में इन चीजों की आपूर्ति कम हो जाती थी।
  • परन्तु अब सभी लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए एवं उनकी दैनिक प्रतिक्रिया को चलाने के लिए कुछ छोटी चीजों को उन्हें उपलब्ध करवाना होगा। कुछ ऐसी अत्यावश्यक सेवा होती है जो लोगों को हर वक्त मिलनी ही चाहिए। इसलिए ’अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून’ बना था।

 

  • इसे बनाने के बाद इसके काफी अच्छे परिणाम भी मिले। लेकिन कई जगह पर इसका दुरुपयोग भी किया गया। यदि लोग जमाखोरी कर रहे है, सामान को दुगुने-तिगुने दामों में बेच रहे है। वहाँ पर इसी कानून की मदद से उन लोगों पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। न केवल उन लोगों पर प्रतिबन्ध लगे बल्कि उनके खिलाफ एक कार्यवाही भी हो ये इस एस्मा कानून में है।

एस्मा कानून क्या है ?

🔸 एस्मा कानून अधिनियम संसद द्वारा 28 दिसम्बर 1968 में लागू किया गया। यह कानून हङताल को रोकने के लिए बनाया गया था। अगर कोई भी कर्मचारी या अधिकारी किसी भी मुद्दे को लेकर हङताल करता है तो उस पर ’एस्मा कानून’ लगाया जाता है। एस्मा कानून को लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्र या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है कि आप पर एस्मा कानून लगाया जा रहा है।

🔹 यह कानून लगने के बाद 6 महीने तक लागू रहता है। लेकिन अगर आवश्यकता पङे तो सरकार इसे लम्बे समय के लिए बढ़ा सकती है, हालाँकि एक बार में 6 माह से अधिक का आर्डर नहीं दिया जा सकता। इसके लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हङताल पर जाता है और वह कर्मचारी लोगों को ’अत्यावश्यक सेवा’ प्रदान नहीं करता है या गलत तरीके से लोगों को सेवा प्रदान करता है तो उसे अवैध और दण्डनीय माना जाता है।

🔸 अगर कोई कर्मचारी इस कानून का उल्लंघन करता है, तो उस कर्मचारी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है। एस्मा कानून की धारा 7 के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी अपराधी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है। इस कानून के तहत किन्हीं पर भी किसी भी मुकद्दमे को लेकर होने वाले हङतालें को रोकने के लिए यह कानून लागू किया जाता है। इस कानून का उल्लंघन करने पर कठोर दण्ड एवं जुर्माना का प्रावधान किया गया है।

🔹 एस्मा कानून की धारा 8 के अनुसार यदि किसी अन्य अधिनियम का टकराव इस अधिनियम से होता है तो एस्मा एक्ट को ही प्राथमिकता दी जायेगी। यह कानून अन्य सभी कानूनों को आच्छादित करेगा।

🔸 एस्मा कानून भले ही केंद्रीय कानून है, लेकिन इसे लागू करने की स्वतंत्रता ज्यादातर राज्य सरकारों पर निर्भर है। इस कानून के तहत केन्द्र सरकार के पास ऐसी शक्ति होती है जिससे वह राज्यों सरकारों को यह आदेश देते है कि आवश्यकता पङने पर ’एस्मा कानून’ लगाने के लिए स्वतंत्र है।

एस्मा कानून में आवश्यक सेवाएँ

  • कर्मचारियों द्वारा जनता के लिए आवश्यक सेवाएँ
  • डाक सेवा
  • टेलीफोन सेवा
  • संचार सेवाएँ
  • रेलवे सेवा अथवा अन्य परिहवन सेवाएँ
  • वायुयान से संबंधित सेवाएँ
  • तस्करी रोकने या सीमा शुल्क से संबंधित सेवाएँ
  • टकसाल से संबंधित सेवा
  • सुरक्षा प्रेस में कोई सेवा
  • रक्षा से संबंधित सेवा
  • चिकित्सक सेवा
  •  हवाईअड्डे के संचालन व रखरखाव से जुङी कोई सेवा या विमान के संचालन, रखरखाव एवं मरम्मत की सेवा
  •  यात्रियों की निकासी से जुङी कोई सेवा।
  • बैकिंग सेवाएँ
  • अनाज वितरण और क्रय सेवा
  • पानी सेवा
  • बिजली सेवा
  • पेट्रोलियम सेवा।

अन्य ऐसी कोई जरूरी सेवाएँ जो लोकहित में अत्यावश्यक है उसे इसमें शामिल किया जा सकता है। 

एस्मा कानून की क्या आवश्यकता है?

  • एस्मा कानून की कई कारणों के कारण आवश्यकता पङती है, जैसे – उत्पादनों में कमी हो रही है, श्रम आपूर्ति में कमी हो रही है। जमाखोरी और कालाबाजारी, सट्टा के व्यवसाय और मुनाफाखोरी जैसी संभावनाओं के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती है। वस्तुओं की कीमतें अगर बढ़ रही है तो एस्मा कानून में राज्यों को बङे पैमाने पर अपनी जनता के लिए उचित मूल्य पर इन वस्तुओं की उपलब्धता हो इसको सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए कहा गया है।

 

  • गृह मंत्रालय ’आपदा प्रबंधन अधिनियम’ के तहत अपने आदेशों में दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, खाद्य पदार्थों जैसी आवश्यक वस्तुओं के संबंध में निर्माण, उत्पादन, परिवहन और अन्य संबंधित आपूर्ति-शृंखला गतिविधियों की अनुमति दे सकता है। इसके लिए इस कानून को लगाया गया है।
  • इसके अलावा, भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय 30 जून, 2020 तक केंद्र सरकार की पूर्व सहमति जैसी आवश्यकता में भी छूट देते हुए एस्मा अधिनियम, 1955 के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश के लिए अधिकृत कर रहा है।

एस्मा कानून के प्रावधान

अगर इस अधिनियम के तहत किसी ने जमाखोरी की, वस्तुओं को दुगुने दामों में बेचा। जैसा कोई अपराध करता है तो एस्मा अधिनियम के तहत यह अपराध, एक आपराधिक जुर्म हैं और इसे कानून के तहत उसे 7 वर्ष की सजा या जुर्माना या दोनों ही हो सकते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार ’कालाबाजारी और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के रखरखाव निवारण अधिनियम, 1980’ के तहत अपराधियों को हिरासत में ले सकती है और बिना किसी वारंट के हिरासत में ले लिया जायेगा।

इस कानून में दण्ड हेतु 3 प्रकार से विभाजन किया गया है –

  1. जो व्यक्ति हङताल शुरू करता है या उसमें शामिल होता है – 6 माह तक का कारावास और 200 रु. जुर्माना (धारा 4 के अनुसार)
  2. जो व्यक्ति हङताल करने हेतु किसी को उकसाता है – अधिकतम 1 वर्ष तक का कारावास और 1000 रु. जुर्माना (धारा-5 के अनुसार)
  3. जो व्यक्ति गैर-कानूनी हङताल को जानबूझकर वित्तीय सहायता प्रदान करता है – 1 वर्ष का कारावास और 1000 जुर्माना (धारा-6 के अनुसार)।

सरकारें आखिर एस्मा कानून क्यों लगाती है ?

  • सरकारें एस्मा कानून को इसलिए लगाती है क्योंकि नागरिकों के आम जीवन पर बुरा प्रभाव न पङे। जो हङतालें होती है इसकी वजह से लागों के लिए आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पङने की भी सरकार को आशंका होती है। इसलिए सरकार अनिवार्य सेवाओं को बनाये रखने के लिए एस्मा कानून को लागू करती है।
  • इस कानून के तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हङताल नहीं कर सकते, अगर वो कानून लगने पर भी हङताल करते है तो धारा – 4 के अनुसार उन्हें 6 महीने तक की कैद या 200 रु. दंड तथा दोनों ही हो सकते हैं।
  • देश में व्यवस्था बनाये रखने के लिए एवं शांति स्थापित करने के लिए सरकारें ’एस्मा कानून’ लगाती है। हङतालों के कारण देश में होने वाले दंगों को रोकने के लिए यह कानून आवश्यक हो जाता है।
  • कर्मचारियों द्वारा जनता को आवश्यक सेवाओं नहीं पहुँचने और कर्मचारियों द्वारा हङताल करने इस सभी के लिए सरकारें को यह कानून लागू करना पङता है।

राज्यों में एस्मा कानून की स्थिति

देश के हर राज्य ने केंद्रीय कानून में परिवर्तन कर अपना अलग ’अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण’ बना लिया है। जिसके तहत राज्यों के द्वारा एस्मा लगाया जा रहा है –

  • राजस्थान में वर्ष 1970 में ’एस्मा कानून’ लागू किया गया था।
  • वर्ष 1994 में कर्नाटक में सफाई कर्मचारियों पर कर्नाटक सरकार ने एस्मा कानून लागू किया।
  • वर्ष 2016 में दिल्ली में सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग तथा 2019 में बिजली विभाग के कर्मचारियों के द्वारा हङताल करने पर एस्मा कानून लगाया गया।

कोरोना काल के चलते उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश में लागू हुआ ’एस्मा कानून’ –

🔸 उत्तरप्रदेश में ’एस्मा कानून’ – कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था खराब हो रही है। उत्तरप्रदेश में योगी सरकार ने कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण ’आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 1966 की धारा तीन की उपधारा (1) के अधीन अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए एस्मा कानून लागू किया है। योगी सरकार ने कर्मचारियों की लापरवाही पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया है। इस कानून के लागू होने के बाद राज्य में अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी छुट्टी एवं हङताल नहीं कर सकते। योगी सरकार ने उत्तरप्रदेश में 6 माह के लिए एस्मा लगाया है।

इस कानून के अनुसार राज्य में छह महीने तक राज्य में किसी भी सरकार के नियंत्रण वाले निगम, किसी भी सरकारी विभाग, कोई भी अधिकारी और कर्मचारी अपने मांगो को लेकर हङताल नहीं कर सकता। अब उत्तरप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के हङताल पर पूरी से रोक लगाई गई है। अगर इस कानून का कोई उल्लंघन करने पर 1 वर्ष की सजा और जुर्माना तथा दोनों का प्रावधान है।

🔹 मध्यप्रदेश में ’एस्मा कानून’ – कोरोना महामारी के चलते मध्यप्रदेश में एस्मा लागू किया गया है इसके तहत आवश्यक सेवा से जुङे कर्मचारी एवं अधिकारी अवकाश या हङताल पर नहीं जा सकते। इस कानून का उल्लंघन करने पर दण्ड दिया जायेगा। में मध्यप्रदेश में ’शिवराज सिंह चौहान’ ने नागरिकों के हित को देखते हुए कोविड-19 प्रकोप के बेहतर प्रबंधन के लिए सरकार ने मध्यप्रदेश में ’एसेशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट’ जिसे ESMA या हिंदी में ’अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून’ कहा जाता है, तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।

🔸 दिल्ली में डाॅक्टरों की हङतालें के कारण सरकार ने एस्मा लगाया गया है।

🔹 जैसा कि अब कोरोना के समय सभी जगह पर लाॅकडाउन है, वहाँ पर इस कानून की भूमिका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। कई राज्यों में तो इस कानून को लागू किया गया है। कोरोना का काल में दुकानदारों के द्वारा कालाबाजारी, तथा ऊँचे दामों में वस्तुओं बेचने पर प्रतिबन्ध और कठोर दण्ड का प्रावधान इस कानून के द्वारा लगाया गया है। कोरोना काल में होने वाली हङतालों पर भी रोक इसी कानून के द्वारा लगायी गई है।

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